Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'ज्यादा वेतन या बड़ा पद Pilots को श्रम कानूनों से बाहर नहीं कर देता', दिल्ली HC ने खरिज की Airlines की अपील

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 04:45 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने किंग एयरवेज की सभी अपीलें खारिज करते हुए कहा कि एयरलाइन पायलट औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत वर्कमैन माने जाएंगे। कोर्ट ने कहा कि क ...और पढ़ें

    Hero Image

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने किंग एयरवेज की सभी अपीलें खारिज करते हुए साफ शब्दों में कहा कि एयरलाइन पायलट, चाहे वे पायलट इन कमांड ही क्यों न हों, औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत वर्कमैन माने जाएंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत ने कहा कि किसी कर्मचारी का ज्यादा वेतन, बड़ा पद या उड़ान के दौरान कमान संभालना, उसे श्रम कानूनों से बाहर नहीं करता है। न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने यह फैसला किंग एयरवेज और उसके पूर्व पायलटों के बीच चले विवाद में सुनाया। एयरलाइन ने पायलटों को बकाया वेतन और अन्य भुगतान देने के आदेश को चुनौती दी थी।

    कोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी के वर्कमैन होने का फैसला उसके काम की असली प्रकृति से होता है। पायलट का मुख्य काम विमान उड़ाना है, जो एक तकनीकी और कौशल आधारित जिम्मेदारी है।

    भले ही उड़ान के दौरान पायलट इन कमांड को जिम्मेदार माना जाता हो, लेकिन वह न तो दफ्तर के कामकाज में और न ही कर्मचारियों के प्रशासनिक मामलों में कोई प्रबंधकीय या पर्यवेक्षी भूमिका निभाता है।

    अदालत ने एयरलाइन की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि पायलटों का ऊंचा वेतन या सीनियर कमांडर का पद उन्हें वर्कमैन की श्रेणी से बाहर कर देता है। कोर्ट ने कहा कि वेतन की सीमा तभी मायने रखती है, जब यह साबित हो कि कर्मचारी वास्तव में सुपरवाइजरी काम करता है, जो इस मामले में साबित नहीं हुआ।

    हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि विमानन नियमों में जिस निगरानी या नियंत्रण की बात होती है, वह केवल उड़ान की सुरक्षा से जुड़ी होती है। इसे श्रम कानूनों में बताए गए प्रबंधन या सुपरविजन के बराबर नहीं माना जा सकता।

    बकाया वेतन के मामले में भी कोर्ट ने पायलटों के पक्ष में फैसला बरकरार रखा। अदालत ने माना कि पायलटों की नौकरी गलत तरीके से खत्म की गई थी। इसलिए उन्हें दोबारा सेवा में लेना, सेवा की निरंतरता देना और बकाया वेतन देना सही है।

    यह भी पढ़ें- राजधानी की जहरीली हवा पर दिल्ली सरकार से CAQM नाराज, हरियाणा-UP और राजस्थान को भी आयोग ने दी चेतावनी