दिल्ली में बंद पड़ीं 250 मोहल्ला क्लीनिकों का भी होगा इस्तेमाल, बेघरों के लिए योजना बना रही रेखा सरकार
दिल्ली सरकार बंद मोहल्ला क्लीनिकों को रैन बसेरों के रूप में उपयोग करने पर विचार कर रही है। दिल्ली में अब तक लगभग 250 मोहल्ला क्लीनिक बंद हो चुके हैं। ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार बंद मोहल्ला क्लीनिकों को रैन बसेरों के रूप में उपयोग करने पर विचार कर रही है। दिल्ली में अब तक 250 के करीब मोहल्ला क्लीनिक बंद हो चुके हैं। दिल्ली सरकार इस बात पर चर्चा कर रही है कि क्या सड़कों के किनारे बने मोहल्ला क्लीनिकों के लिए अस्थायी निर्माण को रैन बसेरों में बदला जा सकता है।
गत दिनों वसंत कुंज के रैन बसेरे में आग से दो बेघराें की मौत के चलते आग से पर्याप्त सुरक्षा इतजाम के लिए भी दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) से सुझाव मांगा गया है। इनकी मौजूदा हालत का आंकलन करने और उन जगहों की पहचान करने के लिए डूसिब से कहा गया है, जहां उन्हें फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।
दिल्ली में अब तक 250 मोहल्ला क्लीनिक बंद हो चुके हैं, दिल्ली सरकार यह पता लगा रही है कि क्या इन प्राइमरी केयर सुविधाओं वाले पोर्टा केबिनों को बेघरों के लिए रैन बसेरों में बदला जा सकता है। डूसिब के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने मरम्मत के लिए रेगुलर फंड का अनुमान भी मांगा है।
अधिकारी ने कहा कि एक मोहल्ला क्लीनिक निर्माण को रैन बसेरे के तौर पर चलाने और मैनेज करने के लिए हर महीने लगभग 10 लाख रुपये होगा। इसमें रैन बसेरों का संचालन, कर्मचारी और अन्य सुविधाएं शामिल हैं।
इसके अलावा उन्हें रैन बसेरों के तौर पर इस्तेमाल करने लायक बनाने के लिए बिस्तर और कंबल जैसी चीजों काे खरीदने और मरम्मत के लिए हर क्लीनिक पर एक बार में 10 लाख रुपये तक खर्च हो सकते हैं।
दिल्ली में इस समस 330 स्थलों पर रैन बसेरे चल रहे हैं। इसमें करीब 20 हजार बेघरों के रहने की व्यवस्था है। डूसिब का दावा है कि उनके यहां इस समय औसतन 8000 के करीब बेघर रह रहे हैं। जन रैन बसेरों में बेघरों की संख्या कम है उनमें द्वारका और रोहिणी आदि की तरफ के रैन बसेरे अधिक हैं।

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