'अवैध खनन से यमुना को खतरा', एनजीटी ने दिल्ली-यूपी को सख्त निगरानी के साथ संयुक्त टास्क फोर्स बनाने को कहा
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यमुना नदी में अवैध खनन पर दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। एनजीटी ने यमुना की निगरानी और अवैध खनन रोकने के लिए संयुक्त टास्क फोर्स बनाने का आदेश दिया है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि अवैध खनन से यमुना नदी को गंभीर खतरा है, इसलिए तत्काल कदम उठाना जरूरी है।
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राष्ट्रीय हरित अधिकरण की इमारत। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली और गाजियाबाद के बीच यमुना में हो रहे अवैध खनन से जुड़े मामले पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश प्रशासन को संयुक्त रूप से खनन पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया है। यमुन में खनन से जुड़ी एक समाचार रिपोर्ट का संज्ञान लेकर एनजीटी ने मामले में सुनवाई शुरू की थी।
न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डाॅ. अफरोज अहमद की पीठ ने उत्तर प्रदेश खनन विभाग द्वारा दाखिल किए गए हलफनामा पर गौर किया। साथ ही, जिला खनन अधिकारी को अगली सुनवाई से एक दिन पहले एनजीटी द्वारा पूर्व में दिए गए निर्देशों के तहत की गई कार्रवाई पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
साथ ही, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि संयुक्त अंतर-राज्यीय टास्क फोर्स के लिए नामित अधिकारियों की सूची पेश करें। साथ ही दिल्ली-उत्तर प्रदेश की संयुक्त अंतर-राज्यीय टास्क फोर्स को संयुक्त निरीक्षण एवं बैठकें आयोजित करने का भी निर्देश दिया।
एनजीटी ने निर्देश दिया कि मामले की कई कार्रवाई व बैठकों की कार्यवृत्त पेश करें। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि उक्त रिपोर्ट को संबंधित जिलाधिकारियों की वेबसाइटों (दिल्ली व उत्तर प्रदेश) पर अपलोड किया जाए।
उक्त निर्देशों के साथ अदालत ने मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी। याचिका के अनुसार यमुना नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को अवैध रेत खनन से नुकसान हो रहा है और एनजीटी ने इसे रोकने के लिए संयुक्त कार्रवाई, प्रभावी निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करने के पूर्व में निर्देश दिए थे।
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