Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    राजधानी में 21 साल बाद बेसहारा गायों को मिलेगा आश्रय, दिल्ली सरकार पीपीपी माॅडल पर बनाने जा रही गोशाला

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 09:04 PM (IST)

    दिल्ली में पिछले 21 सालों से कोई नई गोशाला नहीं बनी है, जिसके कारण बेसहारा गायें सड़कों पर भटक रही हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए घुम्मनहेड़ा में पीपीपी मॉडल पर एक नई गोशाला बनाने का निर्णय लिया गया है। सरकार का उद्देश्य गायों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है। गोशाला की जिम्मेदारी एनजीओ को दी जाएगी, और उन्हें एक वर्ष के भीतर इसे स्थापित करना होगा।

    Hero Image

    सड़क पर बेसहारा गायों से दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। आर्काइव

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में गोशाला की कमी के कारण सड़कों पर बेसहारा गाय सड़कों पर भटकती रहती हैं। इससे सड़क दुर्घटनाओं का डर बना रहता है। पिछले कई वर्षों से यह समस्या है। इसके बावजूद 21 वर्षों से एक भी नई गोशाला नहीं बनी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उपलब्ध चार गोशालाओं में क्षमता से अधिक गाय हैं। इसके समाधान के लिए घुम्मनहेड़ा में नई गोशाला बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसकी स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए अभिरुचि आमंत्रण (ईवोआई) को लेकर विकास मंत्री कपिल मिश्रा की अध्यक्षता में बैठक हुई।

    मिश्रा ने कहा, सरकार का उद्देश्य गायों को सड़कों से हटाकर सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में लाना है। यदि गोशालाएं आत्मनिर्भर बन जाएं, तो यह समाज और पर्यावरण दोनों के लिए आदर्श उदाहरण होगा। इसे ध्यान में रखकर पांचवीं गोशाला को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) माडल के अंतर्गत बनाने का निर्णय लिया गया है।

    इसकी स्थापना, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी ईवोआइ प्रक्रिया से चयनित एनजीओ, ट्रस्ट, फाउंडेशन या किसी निजी कंपनी को दी जाएगी। भूमि का आवंटन लाइसेंस डीड के आधार पर किया जाएगा।

    संस्था अपने खर्च पर गोशाला के निर्माण, संचालन और रखरखाव करेगी। चयन एक वर्ष के अंदर उसे गोशाला की स्थापना के लिए पर्याप्त संसाधन और जनशक्ति उपलब्ध करानी होगी। संचालन में बेसहारा पशुओं की देखभाल, भोजन, स्वास्थ्य एवं निगरानी की पूरी जिम्मेदारी चयनित संस्था की होगी।

    वर्ष 1994 में विकास विभाग की पंचायत इकाई ने पशुपालन इकाई को गोशालाओं के संचालन के लिए 99 वर्षों की लीज़ पर भूमि आवंटित की थी। उस समय छह गोशालाएं बनाई गई थी। इसमें से एक शुरू होने के कुछ समय बाद ही बंद हो गई।

    घुम्मनहेड़ा स्थित आचार्य सुशील मुनि गोसदन का लाइसेंस, अनुबंध शर्तों के उल्लंघन और वर्ष 2018 में कई गायों की मृत्यु होने की वजह से निरस्त कर दिया गया था। चार गोशालाओं की क्षमता 19838 है, लेकिन इसमें लगभग 20500 पशु हैं। बैठक में विकास आयुक्त शूरवीर सिंह, संबंधित विभाग के अधिकारी और स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

    यह भी पढ़ें- CM रेखा गुप्ता ने छठ घाट की रंगाई-पुताई के काम में किया श्रमदान, कहा- इस बार पूरी दिल्ली होगी छठमय