डेढ़ मिनट के सटायर सीन पर नहीं होना चाहिए ओवरसेंसिटिव, समीर वानखेड़े की याचिका पर Netflix की दलील
नेटफ्लिक्स का कहना है कि समीर वानखेड़े को एक छोटे से व्यंग्य दृश्य को लेकर इतना संवेदनशील नहीं होना चाहिए। कंपनी के अनुसार, हास्य को हल्के में लेना चाहिए और व्यक्तिगत रूप से नहीं लेना चाहिए।

आईआरएस समीर वानखेड़े की याचिका का ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स ने किया विरोध।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। द बैड्स ऑफ बालीवुड सीरीज पर अंतरिम रोक लगाने की मांग से जुड़ी आईआरएस ऑफिसर समीर वानखेड़ की याचिका का ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट में विरोध किया।
नेटफ्लिक्स की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव नायर ने कहा कि यह शो बालीवुड कल्चर, सटायर और डार्क काॅमेडी को दिखाता है और इसे मानहानि के केस में नहीं रोका जा सकता। न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की पीठ के समक्ष नेटफ्लिक्स ने कहा कि समीर वानखेड़े को डेढ़ मिनट के सटायर सीन को लेकर ओवरसेंसिटिव नहीं होना चाहिए, जब वह खुद मानते हैं कि यह सटायर है।
वरिष्ठ वकील राजीव नायर ने पीठ को बताया कि ऐसे मामलों में मानहानि की सीमा बहुत ज्यादा होती है, जिसे इस स्तर पर साबित नहीं किया जा सकता और वादी को इसे ट्रायल के दौरान ही साबित करना होगा, तभी उसे हर्जाना मिलेगा।
उन्होंने तर्क दिया कि सिर्फ यह दिखाना कि शो अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान का है, उनके दावे के लिए काफी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब पूरी सीरीज को देखा जाता है, तो यह बालीवुड का एक बड़ा मज़ाक है। यही थीम है। थीम बालीवुड और उसके काम करने के तरीके को सामने लाना है।
उक्त तर्काें को सुनने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई दो दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। इस तारीख पर समीर वानखेड़े के वकील के जवाबी जिरह पेश करेंगे। पीठ ने समीर के वकली को अपने लिखित बयान भी फाइल करने का निर्देश दिया।

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