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Year Ender 2019: अपने ही मुखिया के खिलाफ पुलिस का हल्ला बोल के साथ बीता साल

Year Ender 2019 इस साल जिस तरह से पुलिसकर्मियों ने अपने ही मुखिया के खिलाफ पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया वो ऐतिहासिक रहा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 01:21 PM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 02:30 PM (IST)
Year Ender 2019: अपने ही मुखिया के खिलाफ पुलिस का हल्ला बोल के साथ बीता साल
Year Ender 2019: अपने ही मुखिया के खिलाफ पुलिस का हल्ला बोल के साथ बीता साल

राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। Year Ender 2019: अपनी कार्यशैली से देश की राजधानी को क्राइम कैपिटल का तमगा दिला चुकी दिल्ली पुलिस के खाते में यूं तो हर साल ढेर सारी नाकामियों का पुलंदा होता है, लेकिन इस साल जिस तरह से पुलिसकर्मियों ने अपने ही मुखिया के खिलाफ पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया, वो ऐतिहासिक रहा।

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अपराध की ढेर सारी घटनाएं हुई, कई के आरोपितों को पकड़ने और खुलासे का सेहरा पुलिस के सिर जरूर बंधा, लेकिन साल के अंत में जब पुलिस के काम का लेखा-जोखा किया जाएगा तो शांति- व्यवस्था बनाने रखने की जिम्मेदारी वाले पुलिसकर्मियों का चेहरा हल्ला- बोल करते हुए नजर आएगा। तीस हजारी कोर्ट में वकीलों व पुलिसकर्मियों के बीच हुआ यह विवाद कई दिनों तक चला, जिससे अदालतों का काम-काज ठप पड़ जाने से आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

अपराध की घटनाओं पर नजर डालें तो इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भतीजी से सिविल लाइंस इलाके में स्कूटी सवार दो झपटमारों द्वारा पर्स झपट लेने की घटना छायी रही। इसके अलावा ओखला में महिला जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कार का पीछा कर बाइक सवार बदमाशों द्वारा लूटपाट करने व रूप नगर में महानगर दंडाधिकारी का मोबाइल झपट लेने जैसी घटनाओं ने साबित कर दिया कि राजधानी में स्ट्रीट क्राइम बहुत बड़ी समस्या है। दिल्ली पुलिस, स्ट्रीट क्राइम को रोक पाने अथवा कम कर पाने में नाकाम साबित हो रही है। ये तीनों घटनाएं एक के बाद लगातार हुईं।

दिल्ली में अपराध बढ़ने को लेकर जब सवाल उठने लगे तब जाकर बदमाशों में खौफ पैदा करने के लिए पुलिस ने रणनीति बनाई। स्पेशल सेल व क्राइम ब्रांच को अनौपचारिक तौर पर निर्देश दिए गए कि वे धरपकड़ तेज करें व उत्तर प्रदेश पुलिस की तरह मुठभेड़ में बदमाशों के पैरों व हाथों में गोली मारें। कई बड़े बदमाश व झपटमार पकड़े गए तो कईयों को मुठभेड़ में गोली लगने की बात बताई गई।

कानून व्यवस्था की दृष्टि से झपटमारी सबसे संगीन अपराध माना जाता है। इससे शहर की कानून-व्यवस्था के हाल का सीधा पता चलता है। नई दिल्ली जैसा अति सुरक्षित जिला हो, उत्तर पूर्वी जिला हो या बाहरी जिला, कहीं भी लोग खुद को झपटमारों से सुरक्षित नहीं समझ रहे हैं। मोबाइल पर बात करते हुए चलना व पर्स लटका कर चलना दिल्ली में कहीं भी खतरे से खाली नहीं है। साल भर दिल्ली के लोग झपटमारों से परेशान रहते हैं। झपटमारी की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस के आंकड़ों में पिछले सालों की तुलना में हर साल कमी ही दिखाई जाती है।

ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि झपटमारी होने पर बहुत कम लोग थाने पहुंच कर एफआइआर दर्ज कराते हैं। अधिकतर लोग ऑनलाइन एनसीआर काट लेते हैं, इसलिए ये घटनाएं आंकड़ों में शामिल नहीं हो पातीं। हर पुलिस आयुक्त ज्वाइन करने के दौरान और सलाना पत्रकार वार्ता के दौरान कुछ प्राथमिकताओं पर काम करने का दावा करता है, उनमें झपटमारी यानी स्ट्रीट क्राइम पर अंकुश लगाने की बात प्रमुखता से होती है, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है।

आतंकी हमले रोकने में मिली सफलता

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, आइबी व अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ तालमेल बिठा कर लगातार आतंकी संगठनों पर नजर गड़ाए रही। जिससे इस साल भी दिल्ली में कोई आतंकी हमला नहीं हुआ। सेल ने बड़ी संख्या में हथियार तस्करों, नकली नोटों के तस्करों व ड्रग तस्करों को दबोच उनसे भारी संख्या में हथियार, नकली नोट व ड्रग्स बरामद किए। भ्रष्टाचार का दाग लगने व और कार्य में लापरवाही बरतने पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को बर्खास्त व निलंबित किया गया

इन घटनाओं से भी राजधानी के लोगों के बीच फैली दहशत

4 जनवरी: रोहिणी के केएन काटजू मार्ग थाना क्षेत्र में बबलू खेड़ा गैंग के बदमाशों ने अनिल नामक प्रॉपर्टी डीलर की हत्या कर दी। अनिल प्रवेश मान का भतीजा था, जो बबलू खेड़ा की हत्या में बंद अपने चाचा की कोर्ट में पैरवी कर रहा था। हत्या गैंगवार का नतीजा थी।

8 सितंबर: नरेला इलाके में गैंगवार में बसपा से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके घोषित बदमाश वीरेंद्र मान उर्फ काले की हत्या कर दी गई।

21 मार्च: जहांगीरपुरी में अवैध संबंधों के शक में पति बालेंदू ने पत्नी अनमोल गला रेतकर हत्या कर दी गई थी।

22 सितंबर: प्रेम नगर इलाके में एक कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर आशु ने शक के चक्कर में पत्नी सीमा की हत्या कर दी और शव को टुकड़े-टुकड़े कर घर के सेप्टिक टैंक व नाले में डाल दिया था। वारदात के बाद उसने खुद ही थाने पहुंच पुलिस को घटना की जानकारी दी थी।

आखिरकार पुलिस को मिल ही गया अपना मुख्यालय

इस साल नवंबर के अंत में दिल्ली पुलिस को अपना पुलिस मुख्यालय भी मिल गया। आजादी के बाद से पुलिस मुख्यालय अलग-अलग जगहों पर किराए के भवनों व अन्य सरकारी भवनों में ही चलते रहे थे। लुटियंस दिल्ली के जय सिंह रोड पर 17 मंजिल वाली आलीशान बिल्डिंग में मुख्यालय शिफ्ट हो गया। आइटीओ स्थित पुराने मुख्यालय में डीसीपी स्तर के चंद अधिकारी बैठ रहे हैं। संयुक्त आयुक्त व उनसे ऊपर के सभी वरिष्ठ अधिकारी नए मुख्यालय में बैठते है।

वकीलों से हिंसक झड़प ने कराई किरकिरी

2 नवंबर-उत्तरी दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट परिसर में लॉकअप के बाहर कार खड़ी करने को लेकर वकीलों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। एक वकील लॉकअप के बाहर अपनी कार खड़ी कर रहा था। मना करने पर जब वह नहीं माने तो उसकी पुलिसकर्मियों से हाथापाई हो गई। इससे गुस्साए वकीलों ने पुलिसकर्मियों से बदसलूकी शुरू कर दी थी। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक वकीलों ने लॉकअप रूम में बाहर एकत्र हो कैदियों को भगाने का प्रयास किया। लिहाजा पुलिस को बल का प्रयोग करना पड़ा। इसी बीच पुलिसकर्मी द्वारा बचाव के लिए हवा में चलाई गई गोली एक वकील के सीने तो दूसरे के हाथ में लग गई थी। वहीं, कई अन्य वकीलों को भी चोटें आईं। इस घटना के बाद वकील बेकाबू हो गए थे। उन्होंने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट व उपद्रव शुरू कर दिया था। पुलिसकर्मियों व वकीलों के बीच विवाद कई दिनों तक चला।

1 जुलाई-हौजकाजी के लालकुआं में स्कूटी पार्क करने को लेकर दो संप्रदायों के लोगों के बीच मारपीट के बाद इलाके का धार्मिक सद्भाव बिगड़ गया था। सोशल मीडिया पर व्यक्ति की मॉब लिंचिंग की झूठी खबर के बाद एक संप्रदाय को लोग भड़क उठे थे। उन्होंने हौजकाजी थाने के बाहर प्रदर्शन करने के बाद लालकुआं स्थित मंदिर में तोड़फोड़ भी की थी। जिसके बाद पूरी घटना ने सांप्रदायिक रंग ले लिया था। दोनों संप्रदायों के लोगों ने जगह-जगह नारेबाजी शुरू कर दी थी। बवाल की वजह से तमाम बाजार बंद हो गए थे। इलाके में अद्र्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा था।

फैक्ट्री में आग से ताजा हुईं उपहार हादसे की यादें

8 दिसंबर-फिल्मिस्तान अनाज मंडी स्थित लेडीज पर्स, बैग और प्लास्टिक आइटम बनाने की चार मंजिला एक अवैध फैक्ट्री में भीषण आग लग गई। हादसे में 44 श्रमिकों की मौत हो गई, जबकि 18 लोग घायल हो गए थे। दिल्ली में वर्ष 1997 में उपहार सिनेमा के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा अग्निकांड था, जिसमें अब तब सबसे ज्यादा लोगों की जान गई। उपहार सिनेमा अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। अधिकतर की मौत जहरीले धुएं की चपेट में आने से हुई। मरने वालों में ज्यादातर बिहार के समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश के बिजनौर और मुरादाबाद के रहने वाले थे। कई नाबालिग भी थे। फैक्ट्री अवैध थी उसके दरवाजे बाहर से बंद थे। जिससे बचाव दल को कार्रवाई करने में देरी हुई।

इन मौतों ने पुलिस पर उठाए सवाल

27 मई: हत्या के प्रयास के मामले में भगोड़ा घोषित बदमाश के पिता बलराज ने बवाना थाने की तीसरी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने बेटे के बारे में पूछताछ के लिए बुलाया था।

8 दिसंबर: नरेला औद्योगिक क्षेत्र थाने में राशिद नाम के युवक ने फांसी लगा ली। युवक को पत्नी की संदिग्धावस्था में मौत के मामले में पुलिस पूछताछ के लिए थाने लेकर आई थी।

लाक्षागृह बन गया था करोलबाग का होटल

12 फरवरी-करोलबाग स्थित होटल अर्पित पैलेस में भीषण आग लगने से 17 लोगों की जिंदा जलने व दम घुटने से मौत हो गई थी। वहीं, कई लोग बुरी तरह झुलस गए थे। मृतकों में दस पुरुष, छह महिलाएं और एक बच्चा शामिल था। मरने वालों में तीन केरल के कोच्चि जिले के एक ही परिवार के सदस्य थे। इस हादसे में म्यांमार से आए दो पर्यटक और हरियाणा के पंचकूला निवासी आइआरएस अधिकारी सुरेश कुमार की भी जान चली गई। ज्यादातर मौतें धुएं के कारण दम घुटने से हुईं, जबकि कुछ की मौत जलने और होटल से कूदने की वजह से भी हुई थी। होटल मालिक नियम कानून को ताक पर रखकर अवैध तरीके से होटल चला रहा था, जिससे हादसा हुआ।

गैंगवार में चली गई 30 की जान

इस साल यमुनापार के जिलों, उत्तरी, पश्चिमी व बाहरी जिले में गैंगस्टरों के बीच सरेआम गैंगवार हुई। जिसमें 30 से ज्यादा बदमाशों की जान गई। राहगीर भी परेशान हुए।

इस साल भी राजधानी में चोरी हो गए पांच हजार वाहन

इस साल भी वाहन चोरी की घटनाओं पर लगाम नहीं लगाई जा सकी। इस साल पांच हजार वाहन चोरी हुए। इस पर पुलिस अंकुश नहीं लगा पा रही है।

नए कानून के बाद भी सड़क पर 1220 की मौत

सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए नया मोटर व्हीकल एक्ट लाया गया, फिर भी दुर्घटनाओं में कमी नहीं आई। इस साल नवंबर तक 1220 लोगों की मौत हुई।

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