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    क्या भाजपा सरकार के दावे हो गए फेल? यमुना की मौजूदा हालत से बढ़ी दिल्ली वालों की टेंशन

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 10:14 PM (IST)

    भाजपा सरकार के आने के बाद भी यमुना की सफाई में सुधार नहीं हुआ है। दिल्ली में लगभग 200 छोटे-बड़े नाले यमुना में गिरते हैं जिनमें से 17 बड़े नाले चिंताजनक हैं। डीपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष नालों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि नालों को एसटीपी में ले जाकर उपचारित करना होगा।

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    दिल्ली के नालों से यमुना और मैली हुई। जागरण

    संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। भाजपा की सरकार बनने के बाद यमुना को साफ करने के लिए विशेष अभियान चलाने के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी है। इसका मुख्य कारण यमुना में गिरने वाले नाले हैं।

    दिल्ली में लगभग 200 छोटे बड़े नाले नदी में गिरते हैं। इनमें से 17 बड़े नालों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। पिछले वर्षों की तुलना में इनमें प्रदूषण बढ़ा है। इससे यमुना और अधिक मैली हो गई है। नदी को स्वच्छ बनाने के लिए इन नालों को साफ करना आवश्यक है।

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    दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई, 2023 और जुलाई, 2024 की तुलना में इस बार जुलाई में नालों में प्रदूषण बढ़ा है। तय मानक के अनुसार यह 30 मिलीग्राम (एमजी) प्रति लीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। मेटकाफ हाउस नाला को छोड़कर अन्य किसी भी नाले का बीओडी मानक के अनुरुप नहीं है। नौ नालों में यह 100 मिलीग्राम (एमजी) प्रति लीटर से अधिक है।

    वहीं, पिछले दो वर्षों में फरवरी में इतना प्रदूषण नहीं बढ़ा था। इस वर्ष फरवरी में भाजपा की सरकार बनने के बाद नालों व यमुना की सफाई का काम शुरू किया गया है। फरवरी की तुलना में नजफगढ़, आइएसबीटी और सोनिया विहार नाले में बीओडी की मात्रा कुछ ठीक हुई है, लेकिन अन्य नालों की स्थिति खराब हुई है।

    प्रदूषण बढ़ने से नालों का रासायनिक आक्सीजन मांग (सीओडी) में भी अधिक वृद्धि हुई है। उच्च सीओडी का अर्थ है कि पानी में अधिक कार्बनिक पदार्थ मौजूद हैं, जो पानी में घुलित ऑक्सीजन (डीओ) को कम और बीओडी को बढ़ाता है। यह जलीय जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है।

    औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि रसायनों और अपशिष्ट जल से कार्बनिक पदार्थ पानी में प्रवेश करते हैं, जिससे सीओडी बढ़ जाती है। सीओडी बढ़ने से बीओडी की मात्रा भी बढ़ती है। कई नालों के पानी में कुल निलंबित ठोस (टीएसएस) की मात्रा भी मानक (100 एमजी प्रति लीटर) से अधिक है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ नालों से गाद निकालने से समस्या का समाधान नहीं होगा। इनमें मिलने वाले सीवरेज और औद्योगिक अपशिष्ट की समस्या दूर करनी होगी। इसके लिए सभी नालों के पानी को टैप कर सीवरेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) में ले जाकर शोधित करना होगा।

    जल बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, ड्रेन प्रबंधन का काम चल रहा है। दिसंबर, 2027 तक यमुना में गिरने से पहले सभी नालों का पानी टैप कर इसे एसटीपी में उपचारित किया जाएगा।

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    साउथ एशिया नेटवर्क आन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल (संड्रप) के समन्वयक बीएस रावत ने कहा, कम वर्षा से इस बार यमुना व इसमे गिरने वाले नालों में अधिक प्रदूषण है। अधिक वर्षा होने से नाले व नदी अपने आप साफ हो जाते हैं। जुलाई, 2023 में बहुत अधिक वर्षा हुई थी। कई दिनों तक बाढ़ की स्थिति रही थी। इससे कई माह तक यमुना में प्रदूषण का स्तर कम रहा था।

    पिछले वर्ष मानसून में और इस बार भी अब तक कम वर्षा हुई है। इससे यमुना में प्रदूषण बढ़ रहा है। सभी नालों का पानी एसटीपी तक ले जाना होगा। साथ ही एसटीपी की गुणवत्ता सुधारनी होगी।