दिल्ली के 5000 से अधिक वाहनों को जारी कर दी Fake Insurance Policy, कोर्ट के आदेश पर FIR दर्ज कर जांच शुरू
दिल्ली में एक बड़े बीमा फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है जिसमें 5000 से अधिक वाहनों के लिए फर्जी पॉलिसी जारी की गईं। मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। धोखेबाजों ने बीमा कंपनियों के ऑनलाइन पोर्टल का इस्तेमाल कर वाहन मालिकों को ठगा जिसमें दोपहिया वाहनों के प्रीमियम पर तिपहिया और चौपहिया वाहनों की पॉलिसी जारी की गई।

जागरण संवाददता, नई दिल्ली। राजधानी में पांच हजार से अधिक वाहनों के फर्जी बीमा पॉलिसी जारी करने का मामला सामने आया है।
मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) की शिकायत पर कोर्ट के आदेश पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने ठगों पर एफआईआर दर्ज कर फर्जीवाड़े की जांच शुरू कर दी है।
ठगों ने दोपहिया वाहनों की बीमा पॉलिसी को कार का बनाकर भेज दिया, जिसकी वजह से बीमा कंपनियों को नुकसान हुआ।
इतना ही नहीं, जिन लोगों को पॉलिसी बॉन्ड दिया, वह फर्जी निकला। जिसमें गलत जानकारी भरी गई थी और बीमा कंपनी के सिस्टम में अलग जानकारी भरी गई।
ठगों ने बीमा कंपनियों के ई-मोटर पोर्टल और अन्य ऑनलाइन सुविधाओं का फायदा उठा वाहन मालिकों को शिकार बनाया।
यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने फर्मों को दावों के नोटिस भेजने शुरू किए।
जांच से पता चला है कि अकेले दिल्ली में पांच हजार से ज्यादा वाहनों को ऐसी फर्जी पाॅलिसी जारी की गई, जिन्हें अब रद कर दिया गया है।
क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक एक बीमा फर्म के अधिकारी ने बताया कि ठगों ने ग्राहकों के डेटा, वाहन वर्गीकरण और संपर्क विवरण में हेरफेर कर फर्जी पाॅलिसी जारी की।
कई मामलों में ठगों ने पॉलिसी दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ की, जिसमें मेक, माॅडल, प्रीमियम राशि और पाॅलिसी कोड शामिल थे।
कंपनी को विभिन्न राज्यों में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) अदालतों में दायर तृतीय-पक्ष दावों के निपटारे के दौरान गंभीर विसंगतियां मिलीं।
आंतरिक जांच से पता चला कि 2022 और 2023 के बीच जारी की गईं 80,014 फर्जी पाॅलिसियों में अकेले दिल्ली में पंजीकृत 5,613 वाहन हैं। इनमें केवल 14 में ही ग्राहकों के संपर्क विवरण वैध थे।
कंपनियों के अधिकारियों ने विभिन्न स्थानों पर रहने वाले 14 लोगों से मुलाकात कर उनसे बीमा पाॅलिसियों के बारे में पूछताछ की।
जिसमें पता चला कि बीमा लेने वालों ने पाॅलिसियों की प्रतियों का सत्यापन करने और वाहन बीमा पाॅलिसियों के रिकार्ड की जांच में पाया गया कि लोगों को मिलीं पाॅलिसियों की प्रतियां जाली थीं।
वाहन के ब्रांड, माॅडल, पाॅलिसी उत्पाद कोड और प्रीमियम राशि के साथ छेड़छाड़ की गई थी। ठगों ने जानबूझकर ग्राहकों के गलत ईमेल आईडी और संपर्क नंबर दिए थे।
ये नंबर ठगों के होने का संदेह है। जांच से पता चला कि धोखाधड़ी वाली पाॅलिसियों में से 74 प्रतिशत में यूपीआई, नेट बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड से लेनदेन लिया गया था।
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