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    यमुना में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा फीकल कोलीफॉर्म, आईटीओ बैराज और आईएसबीटी पुल के पास हालात गंभीर

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 10:25 PM (IST)

    दिल्ली में यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है खासकर आईटीओ बैराज के पास जहाँ मल-मूत्र से होने वाले प्रदूषण की मात्रा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्षा के दिनों में गंदगी बहकर यमुना में पहुँचने से प्रदूषण बढ़ता है लेकिन इस बार की वृद्धि असामान्य है। विशेषज्ञों ने दिल्ली सरकार से इसकी जाँच कराने की मांग की है।

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    आईटीओ पर सबसे अधिक प्रदूषित हुई है यमुना।

    संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद फरवरी से ही यमुना की सफाई का काम शुरू हो गया था। नदी में गिरने वाले नालों की सफाई के साथ ही सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के अपग्रेडेशन का काम चल रहा है।

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    इसके बावजूद दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार मार्च की तुलना में जुलाई में यमुना में प्रदूषण बढ़ा है। सबसे खराब स्थिति आईटीओ बैराज के पास है।

    मल-मूत्र से होने वाले प्रदूषण (फीकल कोलीफार्म) की मात्रा यहां रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है। इससे विशेषज्ञ भी चिंतित हैं।

    जनवरी और फरवरी की रिपोर्ट गुणवत्ता बेहद खराब

    डीपीसीसी की जनवरी व फरवरी की रिपोर्ट के अनुसार यमुना के पानी की गुणवत्ता बहुत अधिक खराब हो गई थी। फीकल कोलीफार्म का स्तर लगभग पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक था।

    लेकिन, अप्रैल में स्थिति सुधर गई थी। पानी में फीकल कोलीफार्म का स्तर प्रति 100 मिलीलीटर 500 सर्वाधिक संभावित संख्या (एमपीएन) होना चाहिए।

    इसका स्तर 2500 एमपीएन पहुंचने पर यह उपयोग लायक नहीं रह जाता है। फरवरी में यह असगरपुर में 1.60 करोड़ तक पहुंच गया था, लेकिन इस माह यह 7.9 लाख रह गया है।

    विशेषज्ञ बोले- गंभीरता बरते सरकार

    असगरपुर को छोड़कर अन्य सभी स्थानों पर यह बढ़ा है। आईटीओ बैराज के पास यह पहली बार 92 लाख पहुंच गया है। इससे पहले फरवरी में यहां सबसे अधिक 43 लाख और पिछले माह 35 लाख था।

    विशेषज्ञों का कहना है कि वर्षा के दिनों में गंदगी बहकर यमुना में पहुंचने से यह मात्रा बढ़ती है, लेकिन इस तरह से असमान्य वृद्धि चिंताजनक है।

    आईटीओ घाट पर कई तरह के धार्मिक आयोजन होते हैं, इसलिए सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। फीकल कोलीफार्म के साथ ही जैव रसायन ऑक्सीजन मांग (बीओडी) और घुलनशील ऑक्सीजन (डीओ) की स्थिति की अभी भी चिंताजनक है।

    स्वच्छ पानी में बीओडी तीन मिलीग्राम (एमजी) प्रति लीटर या इससे कम और डीओ पांच एमजी प्रति लीटर या इससे अधिक होना चाहिए। दिल्ली में कहीं भी इस मानक के अनुसार यमुना का पानी नहीं है।

    डीपीसीसी की जुलाई की रिपोर्ट

    स्थान बीओडी डीओ फीकल कोलीफार्म
    पल्ला 8 4.4 2700
    वजीराबाद 11 3.4 3900
    आईएसबीटी पुल 47 0 2800000
    आईटीओ पुल 70 0 9200000
    निजामुद्दीन पुल 74 0 1100000
    ओखला बैराज 46 0 2200000
    आगरा नहर 40 0 2100000
    असगरपुर 24 0.9 79000

    नोट:  बीओडी और डीओ एमजी प्रति लीटर और फीकल कोलीफार्म एमपीएन प्रति एमएल में है।

    आईटीओ बैराज के पास फेकल कोलीफार्म की स्थिति

    • 25 जून 2024 को 24 लाख
    • 29 जुलाई 2024 को 24 हजार
    • 16 जून 2025 को 35 लाख

    आईटीओ के पास फीकल कोलीफार्म की मात्रा बहुत अधिक बढ़ना चिंताजनक है। इसके दो कारण हो सकते हैं। नालों से गाद निकाले जाने के कारण घरों से निकलने वाली गंदगी अब बिना किसी अवरोध के नदी में पहुंच रही है। यमुना किनारे लोग खुले में शौच जाते हैं। वर्षा के पानी के साथ मल मूत्र नदी में गिरने से प्रदूषण बढ़ रहा है। दिल्ली सरकार को इसके कारण की जांच करानी चाहिए।

    - डाॅ. अनिल गुप्ता (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य)

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