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    Yamuna Pollution: यमुना की सफाई के लिए दिल्ली सरकार ने उठाया ये कदम, अक्टूबर तक कमियां दूर करने का टारगेट

    Updated: Sat, 07 Jun 2025 12:19 PM (IST)

    यमुना नदी में प्रदूषण की समस्या को दूर करने के लिए दिल्ली सरकार ने कमर कस ली है। अधिकांश सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं जिससे यमुना में गंदा पानी गिर रहा है। सरकार ने सभी एसटीपी का ऑडिट कराने और नालों का सर्वे कराने का फैसला किया है। अक्टूबर तक कमियों को दूर करने का लक्ष्य रखा गया है।

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    सीवेज उपचार संयंत्रों की बीमारी की पहचान करेगा सीपीसीबी।

    राज्य ब्यूरो, जागरण.नई दिल्लीः यमुना में गंदा पानी न गिरे इसके लिए दिल्ली में 37 सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) हैं, लेकिन इसमें से अधिकांश अपनी क्षमता और मानदंड के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं।

    इस कारण यमुना में नालों व सीवर का गंदा पानी गिर रहा है। यमुना को स्वच्छ करने के इसे दुरुस्त करना आवश्यक है।

    इसे ध्यान में रखकर दिल्ली सरकार ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से सभी संयंत्रों का ऑडिट कराने का निर्णय लिया है। सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार कमियों को दूर करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

    37 में से सिर्फ 11 एसटीपी ही मानकों के अनुरूप कर रहे काम

    दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) की पिछले महीनों की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के 37 में से सिर्फ 11 से 12 एसटीपी ही मानक के अनुरूप काम कर रहे हैं।

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    इस कारण एसटीपी से गंदा पानी यमुना में पहुंच रहा है। वर्षों से यह समस्या है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के निर्देश पर वर्ष 2015 में 18 एसटीपी के अपग्रेडेशन का कार्य शुरू हुआ था।

    वर्ष 2017 तक इसे पूरा किया जाना था, लेकिन अभी नहीं हो सका। कई अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं।

    उपचारित किए जा रहे पानी की गुणवत्ता ही ठीक नहीं

    यही कारण है कि दिल्ली में प्रतिदिन 792 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमजीडी) निकलने वाले सीवेज में से 640 एमजीडी उपचारित होता है, लेकिन उसकी गुणवत्ता भी सही नहीं है।

    पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यमुना सफाई की समीक्षा बैठक में एसटीपी के आंकड़ों के आकलन के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग करने को कहा था।

    अब अक्तूबर तक कमियों को दूर करने का लक्ष्य रखा

    दिल्ली सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू किया है। इसी के तहत एसटीपी के थर्ड पार्टी आडिट का निर्णय़ लिया गया है।

    सीपीसीबी से रिपोर्ट मिलने के बाद कार्य योजना तैयार की जाएगी। अक्टूबर तक कमियां दूर करने का लक्ष्य रखा गया है।

    नालों का सर्वे विशेषज्ञ एजेंसी से करवाया जाएगा

    नदी में गिरने वाले नाले प्रदूषण का बड़ा कारण है। कई नाले एसटीपी नेटवर्क से नहीं जुड़े हैं। कई बड़े नाले से रिसाव होकर सीधे यमुना में गंदा पानी पहुंच रहा है।

    इन नालों के सर्वे के लिए विशेषज्ञ एजेंसी का चयन किया जाएगा। वह यमुना में गिरने वाले गंदे नालों की पहचान कर सितंबर तक अपनी रिपोर्ट देगी। उसके बाद विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर समस्या के समाधान के लिए काम शुरू होगा।

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