Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Yamuna Pollution: एसटीपी से निकलने वाला ट्रीटेड पानी भी यमुना नदी को कर रहा है प्रदूषित, जानें क्या है वजह

    Updated: Thu, 22 May 2025 08:15 PM (IST)

    यमुना नदी में प्रदूषण का मुख्य कारण सीवेज है। एनजीटी के आदेश के बाद भी कई एसटीपी मानकों के अनुरूप नहीं हैं जिससे नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है। दिल्ली जल बोर्ड का कहना है कि अपग्रेडेशन में देरी हुई है इसे अगले वर्ष तक पूरा करने का लक्ष्य है।

    Hero Image
    एसटीपी से भी यमुना को नहीं मिल रहा साफ पानी।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, नई दिल्लीः गंदे नालों के साथ ही अधिकांश सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) से निकलने वाला उपचारित पानी भी यमुना नदी को प्रदूषित कर रहा है।

    इसके समाधान के लिए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने वर्ष 2015 में दिल्ली जल बोर्ड को दिसंबर 2017 तक सभी एसटीपी को अपग्रेेड का आदेश दिया था।

    उसके बाद 18 एसटीपी के अपग्रेडेशन का प्रस्ताव तैयार हुआ था, लेकिन अब तक यह काम पूरा नहीं हुआ है दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार अभी भी 37 में से मात्र 12 एसटीपी मानक के अनुरुप काम कर रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यमुना के पानी में फीकल कोलीफार्म की मात्रा बहुत ज्यादा

    अधिकांश एसटीपी से निकलने वाला पानी कहने को तो उपचारित है लेकिन इसकी गुणवत्ता बहुत खराब है। इनमें से अधिकांश मल-मूत्र से होने वाले प्रदूषण (फीकल कोलीफार्म) की मात्रा बहुत अधिक है।

    निर्धारित मानक के अनुसार एसटीपी से उपचारित पानी का फीकल कोलीफार्म का स्तर प्रति 100 मिलीलीटर 230 सर्वाधिक संभावित संख्या (एमपीएन) होना चाहिए।

    सिर्फ 13 एसटीपी में ही मानक के अनुसार पानी हो रहा शोधित

    सिर्फ 13 एसटीपी में इस मानक के अनुसार पानी शोधित हो रहा है। अधिकांश में जैव रसायन ऑक्सीजन मांग (बीओडी), रासायनिक ऑक्सीजन मांग (सीओडी), कुल निलंबित ठोस (टीएसएस) की मात्रा भी मानक से अधिक है। यह दूषित पानी यमुना को और अधिक प्रदूषित कर रहा है।

    एसटीपी के मानक के अनुरुप काम नहीं करने पर पिछले वर्ष नवंबर में दिल्ली हाई कोर्ट ने चिंता जताई थी। जल बोर्ड के आग्रह पर एनजीटी कई बार अपग्रेडेशन का काम पूरा करने की तिथि बढ़ा चुका है।

    जल बोर्ड का यहां पर अपग्रेडेशन कार्य पूरा होने का दावा

    जल बोर्ड का दावा है कि रिठाला फेज-2, कोंडली फेज-4, रोहिणी सेक्टर-25, नरेला, नजफगढ़, कोरोनेशन पिलर फेज-1, फेज-2 व फेज-3 , पप्पनकलां, निलोठी, केशवपुर फेज-2 व फेज 3 एसटीपी का काम पूरा हो गया है।

    ओखला फेज-5, घिटोरनी, वसंत कुंज, यमुना विहार फेज-1, केशवपुर फेज-1 और यमुना विहार फेज-3 एसटीपी का उन्नयन कार्य पिछले वर्ष पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन अब इसे अगले वर्ष दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

    अपग्रेडेशन के बावजूद भी एसटीपी काम न करने का आरोप

    दिल्ली में प्रतिदिन 792 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमजीडी) सीवेज निकलता है। इसमें से भी 640 को उपचारित होता है, लेकिन उसकी गुणवत्ता सही नहीं है।

    सामाजिक कार्यकर्ता और अर्थ वारियर्स के संस्थापक पंकज का कहना है कि जिन एसटीपी का अपग्रेडेशन पूरा हो गया है वह भी मानक के अनुरुप नहीं चल रहे हैं।

    कोंडली के एसटीपी से भी दूषित पानी मिल रहा है। इससे उन्नयन कार्य पर प्रश्न भी खड़े होते हैं।

    इन कारणों से एसटीपी अपग्रेडेशन में हुई देरी

    अधिकारियों का कहना है कि फंड की कमी बड़ी समस्या रही है। पिछले वर्षों में जल बोर्ड पर एसटीपी अपग्रेडेशन सहित कई कामों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।

    उसके बाद वित्त विभाग ने फंड रोक दिए थे। कुछ मामलों में बोलीकर्ता नहीं मिलने के कारण निविदा शर्तों में संशोधन करने और अन्य तकनीकी कारणों से भी विलंब हुआ।

    यह भी पढ़ें: जाम से मुक्त होगी दिल्ली! पुलिस और PWD ने तैयार किया मास्टर प्लान; लाखों लोगों की टेंशन होगी खत्म

    comedy show banner
    comedy show banner