दिल्ली में बाढ़ का असर, लोगों का काम-धंधा हुआ बंद; अब गाद से लड़ी जा रही जंग
यमुना में जलस्तर घटने के बाद भी किनारे रहने वालों की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं। बाढ़ का पानी उतरने के बाद निचले इलाकों में गाद और गंदगी से लोग परेशान हैं। घरों में दो से तीन फीट तक कीचड़ जमा है जिसे हटाने में परिवार लगा है। यमुना बाजार सिग्नेचर ब्रिज के नीचे स्थिति चिंताजनक है जहां सांप निकलने से डर बना हुआ है।

लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। यमुना का जलस्तर नीचे जाने के बाद भी नदी किनारे रहने वाले लोगों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बाढ़ का पानी उतर चुका है, लेकिन निचले इलाकों में अब गाद-गंदगी और दुर्गंध से लोग जंग लड़ी जा रही है।
हालत यह है कि लोगों के घरों और गलियों में अब भी दो से तीन फीट तक कीचड़ और गाद जमा है। इसे हटाने के लिए पूरा परिवार काम-धंधा सब छोड़कर दिनभर गाद निकालने में लगा रहता है। जिन परिवारों में एक ही व्यक्ति कमाई करने वाला है, उसके लिए बड़ी दिक्कत है। कुल मिलाकर अभी इन लोगों की जिंदगी बिल्कुल अस्त-व्यस्त है। इसे पटरी पर लौटने में समय लगेगा।
यमुना बाजार, सिग्नेचर ब्रिज के नीचे और राजघाट रोड पर स्थिति बेहद चिंताजनक है। बुधवार को यमुना बाजार के घाट नंबर-24 और उससे लगी गली से स्थानीय लोग कीचड़ हटाने का प्रयास करते दिखे। इस दौरान सांप भी निकल रहे थे।
लोगों का कहना है कि प्रशासन उनकी कोई मदद नहीं कर रहा है। कीचड़ और गाद हटाते समय इसमें से जहरीले सांप और कीड़े-मकोड़े निकलते हैं, जो उनको काट सकते हैं। इसलिए उनकी मांग है कि सरकार इसे मशीन से साफ करवाए। निचले इलाकों में मच्छरों का प्रकोप भी बहुत बढ़ गया है। इसलिए लोग चाहते हैं कि प्रशासन यहां फागिंग करवाए।
बदबू से भरी गलियों में चारपाई पर पढ़ाई...
यमुना बाजार इलाके में बाढ़ आने के बाद से अधिकांश स्कूल बंद चल रहे हैं। उस समय बच्चे परिवार के साथ राहत शिविरों में रहने चले गए थे। वहां से लौटने के बाद वे भी परिवार के साथ दिनभर गाद निकालते रहते हैं। बीच में जब समय मिलता है तो घर के बाहर डाली गई चारपाई पर बैठकर वे पढ़ाई करते हैं।
घर की सफाई करते-करते जब महिलाएं थक जाती हैं, तो वे भी आराम करने के लिए बाहर पढ़ रहे बच्चों के पास बैठ जाती हैं। गली भी गाद और कीचड़ से भरी हुई है, जिससे वहां दुर्गंध भी आती रहती है, लेकिन घर के अंदर से बाहर वे कुछ बेहतर महसूस करती हैं। दिनभर यही सिलसिला चलता रहता है।
बीमारी फैलने की सता रही आशंका
यमुना बाजार और सिग्नेचर ब्रिज के नीचे फिर से जिंदगी को पटरी पर लाने में जुटे लोगों के लिए मच्छर और गंदगी बहुत बड़ी समस्या है। जो लोग दिनभर कीचड़ में रहते हैं, उनके हाथ-पांव में जख्म हो जाते हैं। बदबू से जीना मुहाल रहता है और ऊपर से दिनभर मच्छर काटते रहते हैं। अभी भी कई स्थानों पर पानी जमा है। ऐसे में लोगों को डेंगू का भी डर सता रहा है। घाटों पर भी सफाई अभियान चल रहा है, जिसमें स्थानीय लोग जुटे हुए हैं। यहां अब भी बिजली नहीं है।
प्रशासन का कहना है कि अभी लोगों के घरों में सीलन है। इसलिए यदि बिजली आपूर्ति चालू कर दी गई तो करंट फैलने का खतरा रहेगा। इसीलिए बिजली आपूर्ति काटी गई है। राजघाट रोड पर नदी किनारे खेती करने वाले करीब एक हजार किसान अपने घर नहीं जा रहे हैं।
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उनका कहना है कि अभी भी घरों को फिर से रहने लायक बनाने में 20 दिन से अधिक लग सकते हैं। लोहे के पुल के नीचे थोड़ी आवाजाही शुरू हुई है, लेकिन यमुना बाजार की सबसे बड़ी समस्या शौचालयों को लेकर है। लोग घर लौट तो आए हैं, लेकिन महिलाओं को रात में शौच के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। इसलिए लोगों की मांग है कि सरकार मशीन लगाकर जल्द सफाई कार्य पूरा करवाए।
हम पिछले दो दिन से अपने घरों में कीचड़ साफ कर रहे हैं। जब घर खोला तो घुटनों से ऊपर कीचड़ जमा मिला। हमने जितना हो सका साफ किया, लेकिन पूरी तरह से निकाल नहीं पाए। सरकार को मशीन से इसे साफ करवाना चाहिए। - अंकुर
कीचड़ हटाते समय सांप और जहरीले कीड़े निकल रहे हैं, जो किसी को काट सकते हैं। यदि सरकार मशीन से सफाई करवाए तो बड़ी राहत मिलेगी। यदि यह काट लेंगे तो जान का खतरा हो सकता है। - नितिन
चुनाव आने पर नेता वोट मांगने आते हैं, लेकिन जब हम मुश्किल में हैं तो ऐसे लोग बहुत कम दिखते हैं। हमारे घर होते हुए भी हम उसमें नहीं रह पा रहे हैं। प्रशासन की उदासीनता ने हमें घरों से दूर कर दिया है। प्रशासन को मशीन लगवाकर जल्द गाद व कीचड़ साफ करवाना चाहिए। - रूबी कोहली
घर से बाहर रहना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है। अंदर इतना कीचड़ जमा है कि उसे साफ करने में बहुत समय लगेगा। प्रशासन से हमें कोई मदद नहीं मिल रही है, जबकि उसे मशीन लगवाकर सफाई करवानी चाहिए। - मीनाक्षी
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