दिल्ली में बढ़ रही यमुना में कूदकर आत्महत्या करने वालों की संख्या, सरकार कब सुनेगी?
नई दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज पर आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं जहाँ अब तक 24 लोग जान गवां चुके हैं। सुरक्षा जाल के अभाव के कारण लोग यमुना में कूद रहे हैं। दिल्ली पुलिस और डीटीटीडीसी ने सरकार से जाल लगाने का आग्रह किया लेकिन फंड की कमी के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई। डीटीटीडीसी ने पीडब्ल्यूडी को पुल के रखरखाव के लिए 16 पत्र लिखे।

वीके शुक्ला, नई दिल्ली। डेथ स्पॉट कहे जाने वाले सिग्नेचर ब्रिज से यमुना में कूदकर आत्महत्या करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बुधवार को एक महिला के आत्महत्या करने के बाद अब यह संख्या 24 हो गई है। लोग यहां इसलिए आत्महत्या कर रहे हैं क्योंकि इस पुल के दोनों तरफ जाल नहीं लगे हैं, लोग पुल के बीचों-बीच यमुना में कूद रहे हैं।
दिल्ली पुलिस पिछली आप सरकार को पांच साल तक पुल के दोनों तरफ जाल लगाने के लिए कहती रही, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, अब भाजपा सरकार को आठ महीने हो गए हैं, लेकिन अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
इस पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी संभालने वाले दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) के पास बजट उपलब्ध नहीं है। डीटीटीडीसी का दावा है कि उनके पास जाल लगाने के लिए फंड नहीं है, इतना ही नहीं, फंड की कमी के कारण पुल का रखरखाव भी नहीं हो पा रहा है।
अब तक, उनकी ओर से लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को धनराशि देने या पुल को अपने अधीन लेने के लिए 16 पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन उन्हें किसी भी पत्र का जवाब नहीं मिला है और न ही पीडब्ल्यूडी ने उन्हें धनराशि उपलब्ध कराई है। आखिरी पत्र पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान लिखा गया था।
डीटीटीडीसी के एक अधिकारी ने बताया कि पीडब्ल्यूडी सिग्नेचर ब्रिज का रखरखाव अपने हाथ में लेने से इनकार नहीं कर रहा है। लेकिन कोई भी पत्रों का जवाब नहीं दे रहा है। धन की कमी के कारण, डीटीटीडीसी इस पुल के दोनों ओर लोहे के जाल नहीं लगा पाया है, जिसके लिए पुलिस लगातार सुरक्षा के लिए यहाँ जाल लगाने का सुझाव दे रही है।
2019 से अब तक इस पुल से यमुना में कूदकर 24 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। 2 अगस्त को एक महिला ने आत्महत्या की थी, अभी एक महीना ही बीता है, 10 सितंबर को भी एक महिला ने यमुना में कूदकर आत्महत्या कर ली थी। हालाँकि, तिमारपुर थाना पुलिस गोताखोरों की मदद से आत्महत्या करने आए कई लोगों की जान बचाने में सफल रही है।
दिल्ली में बना सिग्नेचर ब्रिज इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि यह ब्रिज 154 मीटर ऊँचे टावर पर टिका है। इसका निर्माण शीला दीक्षित सरकार के समय शुरू हुआ था और 14 साल बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकाल में पूरा हुआ। इस ब्रिज के ऊपरी हिस्से पर बने ग्लास रूम से दिल्ली को देखने की भी योजना थी। लेकिन यह योजना सफल नहीं हो सकी।
यहाँ आपको बता दें कि इस ब्रिज का निर्माण पीडब्ल्यूडी के फंड से हुआ है, लेकिन इसे बनाने वाली एजेंसी डीटीटीडीसी है। ब्रिज के उद्घाटन वाले साल 4 नवंबर 2018 को डीटीटीडीसी ने पीडब्ल्यूडी को पहला पत्र लिखा था, तब से डीटीटीडीसी लगातार पत्र लिखकर पीडब्ल्यूडी से इसे अपने अधीन लेने का अनुरोध कर रहा है।
सूत्रों की मानें तो नई सरकार बनने के बाद टीटीटीसी के अधिकारी इस मुद्दे को सरकार के मंत्रियों के सामने भी रख चुके हैं। हालांकि, इस मामले में अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।
इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्हें अपने विभाग को लिखे गए 16 पत्रों की जानकारी नहीं है। जहां तक रखरखाव के हस्तांतरण का सवाल है, यह मामला शासन स्तर का है। इस संबंध में शासन ही कोई निर्णय ले सकता है।
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