World Health Day 2025: दिल्ली में हर दिन दम तोड़ रहे औसतन 20 शिशु, मौत की बड़ी वजह आई सामने
दिल्ली में शिशु मृत्यु दर में वृद्धि चिंता का विषय है जिसमें 2023 में 7439 शिशुओं की मृत्यु हुई। गर्भावस्था में ठीक से विकास न हो पाना कुपोषण निमोनिया और सेप्टिसीमिया प्रमुख कारण हैं। सरकारी अस्पतालों में एनआईसीयू और अन्य सुविधाओं की कमी भी चुनौती है। आइए शिशु मृत्यु दर के कारण सरकारी प्रयासों और सुधार के लिए आवश्यक कदमों के बारे में जानते हैं।

रणविजय सिंह, नई दिल्ली। गर्भवती महिलाओं व शिशुओं की सेहत के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे तमाम कोशिशों के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में हर दिन औसतन 20 शिशुओं की मौत जन्म के एक वर्ष के भीतर हो जाती है।
इसका बड़ा कारण गर्भावस्था में ठीक से विकास न हो पाना, कुपोषण, निमोनिया व सेप्टिसीमिया (ब्लड में संक्रमण) है। यह आंकड़ बताते हैं कि गर्भवती महिलाओं व शिशुओं के लिए चलाई जाने वाली योजनाएं सभी जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है। साथ ही सरकारी अस्पतालों में शिशुओं की चिकित्सा सुविधाएं भी लचर है। इसलिए शिशुओं की चिकित्सा सुविधाएं बढ़ा जाने की दरकार है।
इस बार क्या है विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम?
सात अप्रैल को दुनिया भर में विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व स्वास्थ्य दिवस पर इस बार की थीम ''स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य'' रखा है। इसका मकसद मातृ व शिशु स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है। ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम किया जा सके।
दिल्ली में संस्थागत प्रसव बढ़कर 95.58 प्रतिशत होने से मातृ मृत्यु दर घटकर 0.50 से कम हो गई है। फिर भी वर्ष 2023 में 142 गर्भवती महिलाओं की मौत हो गई। दिल्ली में नवजात (चार माह तक के) व शिशु (एक वर्ष तक के) मृत्यु दर को कम करना ज्यादा चुनौती बना हुआ है।
मृत्यु पंजीकरण के आंकड़े बताते हैं कि चार वर्षों में दिल्ली में शिशुओं की मौतें बढ़ी है। इस वजह से वर्ष भर में सात हजार से अधिक शिशुओं की मौत हो जाती है। वर्ष 2020 में 6145 शिशुओं की मौत हुई थी।
2023 में एक वर्ष तक की उम्र के 7439 शिशुओं की मौत
वहीं वर्ष 2023 में एक वर्ष तक की उम्र के 7439 शिशुओं की मौत हो गई। इनमें से 60 प्रतिशत शिशुओं की मौतें चार माह की उम्र से पहले हो गई। शिशुओं की मौतें बढ़ने से शिशु मृत्यु दर बढ़कर 23.61 प्रतिशत हो गई।
7419 शिशुओं की मौत अस्पतालों में हुई। जिसमें से 20.45 प्रतिशत शिशुओं की मौत का कारण गर्भावस्था में ठीक से विकास नहीं हो पाना और कुपोषण रहा। निमोनिया दूसरा बड़ा मौत का कारण बन रहा है। 18.51 प्रतिशत शिशुओं की मौत निमोनिया से हुई।
14.95 प्रतिशत शिशुओं की मौत सेप्टिसीमिया, 9.49 प्रतिशत शिशुओं की मौत सांस की परेशानी, आक्सीजन की कमी और प्रसव के दौरान आक्सीजन की कमी से और 6.27 प्रतिशत शिशुओं की मौत शाक के कारण हुई। इसके अलावा कई अन्य बीमारियां मौत का कारण बनीं।
अमेरिका में क्या है शिशुओं की मौत का आंकड़ा?
डॉक्टर कहते हैं कि संस्थागत प्रसव बढ़ने से दिल्ली सहित देश भर में डेढ़-दो दशक पहले की तुलना में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई है, लेकिन अभी बहुत सुधार की जरूरत है। अमेरिका में एक हजार जीवित जन्म लेने वाले शिशुओं में से पांच से छह की मौतें होती हैं। इसकी तुलना में यहां अभी शिशु मृत्यु दर बहुत ज्यादा है।
इसका कारण सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी है। कई सरकारी अस्पतालों इमरजेंसी सिजेरियन सर्जरी की सुविधा नहीं है। इसके अलावा ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में आउट बार्न एनआइसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) व पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट की कमी है। इस वजह से समय पर जरूरतमंद शिशुओं को इलाज नहीं मिल पाता।
नवजात मृत्यु दर के आंकड़े
वर्ष | मौतें | शिशु मृत्यु दर |
2020 | 6145 | 20.37 |
2021 | 6413 | 23.60 |
2022 | 7155 | 23.82 |
2023 | 7439 | 23.61 |
- वर्ष 2023 में जान गंवाने वाले शिशुओं में लड़कों की संख्या- 4439
- लड़कियों की संख्या- 2995
जन्म के चार सप्ताह के भीतर नवजातों की मौत व नवजात मृत्यु दर
वर्ष | नवजातों की मौतें | नवजात मृत्यु दर |
2020 | 4108 | 13.62 |
2021 | 4147 | 15.26 |
2022 | 4726 | 15.73 |
2023 | 4497 | 14.27 |
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