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East West Corridor and North South Corridor Scheme: इस सबसे बड़ी योजना से बदल जाएगा NCR के लाखों लोगों का सफर

East West Corridor and North South Corridor Scheme स योजना को लेकर बड़ी उपलब्धि यह है कि इसके लिए रेलवे से अनुमति मिल गई है। रेलवे ने याेजना के लिए लिखित में एनओसी दे दी है जिसके बाद पीडब्ल्यूडी ने मंजूरी के लिए इसे यूटिपेक में लगा दिया है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 01:18 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 01:18 PM (IST)
East West Corridor and North South Corridor Scheme: इस सबसे बड़ी योजना से बदल जाएगा NCR के लाखों लोगों का सफर
योजना के तहत दिल्ली के पूर्वी छोर से पश्चिमी छोर तक छह लेन का सिग्नल फ्री कॉरिडोर बनाया जाना है।

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। आवागमन में मील का पत्थर साबित हाेने वाली राजधानी दिल्ली की सबसे महत्वाकांक्षी योजना ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर व नार्थ साउथ कॉरिडोर पर अब कोरोना काल के बाद काम होगा। दिल्ली सरकार ने योजना पर काम कर रहे लोक निर्माण विभाग से साफ किया है कि अभ्री किसी भी नई योजना अधिक ध्यान न दें। कोरोना काल के बाद इस पर काम तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कमर कसी जाएगी। हालांकि, इस योजना को लेकर बड़ी उपलब्धि यह है कि इसके लिए रेलवे से अनुमति मिल गई है। रेलवे ने याेजना के लिए लिखित में एनओसी दे दी है, जिसके बाद पीडब्ल्यूडी ने मंजूरी के लिए इसे यूटिपेक में लगा दिया है।

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ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर योजना

इस योजना के तहत दिल्ली के पूर्वी छोर से पश्चिमी छोर तक छह लेन का सिग्नल फ्री कॉरिडोर बनाया जाना है। यानी आनंद विहार से हरियाणा बार्डर तक छह लेन का कॉरिडोर बनना है। जिसकी लंबाई लगभग 39 किलोमीटर है। इस कॉरिडोर का रूट विहार से विकास मार्ग,अक्षरधाम मंदिर होते हुए आइटीओ से गुजर कर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और वहां से पंजाबी बाग व पीरागढ़ी होते हुए टीकरी बार्डर तक निर्धारित है। इसे पहले चरण में आनंद विहार से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन तक काम होना है। जिस पर करीब 6 हजार करोड़ की राशि खर्च होनी है। यह कॉरिडोर रेलवे लाइन से पंद्रह मीटर की दूरी पर बनना है। इसका निर्माण सिंगल पिलर पर किया जाना है जिसे एलिवेटेड बनाया जाना है। पूरे कॉरिडोर में प्रत्येक 5 से 7 किमी दूरी तय करते ही गाड़ी को चढ़ने या उतरने की सुविधा दी जानी है। इस पूरी योजना का करीब 25 किमी हिस्सा रेलवे ट्रैक के किनारे बनना है।

2008 में चर्चा में आई योजना

पहली बार कांग्रेस के शासन काल में 2008 में यह योजना चर्चा में आई थी। उस समय इसे कॉमनवेल्थ गेम्स की योजनाओं में शामिल किया गया था, मगर काम शुरू नहीं हो सका था। बाद में 2011-2012 में फिर इस पर चर्चा शुरू हुई। उस समय इस योजना को बीआरटी कॉरिडोर में शामिल किया गया, मगर योजना आगे नहीं बढ़ सकी। 2015 में आप सरकार ने इस पर काम शुरू किया।

नार्थ साउथ कॉरिडोर

यह कॉरिडोर पहली बार आम आदमी पार्टी सरकार के समय अस्तित्व में आया। इसके बन जाने के बाद उत्तरी दिल्ली से दक्षिणी दिल्ली आना जाना थकाऊ काम नहीं होगा। दिल्ली सरकार ने उत्तरी दिल्ली और दक्षिण दिल्ली को आपस में जोड़ने के लिए इस एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण की योजना बनाई है। यह कॉरिडोर वजीराबाद को इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से जोड़ देगा। यह उत्तर दिल्ली में सिग्नेचर ब्रिज से शुरू होगा और जखीरा, पंखा रोड और द्वारका होते हुए हवाईअड्डा के पास समाप्त हो जाएगा। इस कॉरिडोर की लंबाई 28 किलोमीटर (किमी) होगी। जिसमें छह किलोमीटर लंबी सुरंग शामिल है। इस सुरंग को जखीरा और पंखा रोड के बीच बनाया जाएगा। यह कॉरिडोर नौ किलोमीटर तक नजफगढ़ नाले के समानांतर चलेगा। इसे 2021 में पूरा किया जाने का लक्ष्य रखा गया था।

अरविंद केजरीवाल सरकार का का यह महत्वपूर्ण कॉरिडोर है। इसके बन जाने पर वजीराबाद और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बीच आने जाने का समय काफी कम हो जाएगा। वर्तमान में यह यात्रा पूरी करने के लिए करीब तीन घंटे लगते हैं। ट्रैफिक जाम को कम करने में मदद करेगा, जो व्यस्त उत्तर और दक्षिण दिल्ली सड़कों पर इन दिनों आदर्श हो गया है राज्य सरकार ने दो बिंदुओं के बीच सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए मार्ग पर स्मार्ट-इलेक्ट्रिक बसों को चलाने की भी योजना बनाई है।

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