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    क्या अब गुजरात की राजधानी अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती होगा, RSS ने उठाई मांग

    By Jp YadavEdited By:
    Updated: Thu, 03 Mar 2022 01:38 PM (IST)

    Ahmedabad Name Change News इतिहासकार बताते हैं क‍ि 13वीं शताब्दी गुजरते गुजरते गुजरात दिल्ली की सल्तनत का हिस्‍सा बन चुका था। फिर वर्ष 1411 में तत्कालीन सुल्तान अहमद शाह ने कर्णावती का नाम बदलकर अहमदाबाद कर दिया था।

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    क्या अब गुजरात की राजधानी अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती होगा, RSS ने उठाई मांग

    नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। शहरों और स्थानों का नाम फिर से उसके प्राचीन नाम पर रखने की मुहिम देशभर में समय-समय पर चलती रही है। इधर कुछ सालों से यह तेज है। मसलन इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रखने, फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या करने, गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम करने, यहां तक की राबर्ट्सगंज का नाम बदलकर सोनभद्र किया गया है।

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    इसी क्रम में गुलामी का प्रतीक बताकर गुजरात की राजधानी अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती करने की मांग लंबे समय से हो रही है। यहां तक की राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के कार्यकाल में यह मुद्दा जोरदार तरीके से उठा था। हालांकि, इस पर विवाद घर आने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था, लेकिन अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नाम बदलने की इस मुद्दे को नए सिरे से उठाया है।

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    दरअसल संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक आगामी 11 मार्च से अहमदाबाद में हो रही है संघ ने जारी बयान में अहमदाबाद की जगह बैठक का स्थान कर्णावती जिक्र किया है इसके पहले भी तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में संघ परिवार की हुई समन्वय बैठक में भी स्थान का नाम हैदराबाद की जगह भाग्यनगर किया गया था।

    इतिहासकारों के मुताबिक अहमदाबाद का इतिहास 11वीं शताब्दी से शुरू होता है। ये वो दौर था जब सोलंकी वंश के शासक राजा कर्णदेव-प्रथम थे। उन्‍होंने भील राजा अशपाल या अशावल से जंग लड़ी। कर्णदेव युद्ध में जीते और साबरमती नदी के किनारे कर्णावती नाम का शहर बसाया। सोलंकी शासन 13वीं शताब्दी तक चला। इसके बाद गुजरात द्वारका के वाघेला वंश के नियंत्रण में आ गया।

    संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिवर्ष होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक शुक्रवार 11 मार्च से रविवार 13 मार्च तक गुजरात के कर्णावती में होने जा रही है। यह बैठक संघ में निर्णय की दृष्टि से सर्वाधिक महत्व की सभा है तथा इसी में आगामी वर्ष की योजना को अंतिम रूप दिया जाता है। पिछले वर्ष कोरोना के चलते यह बैठक छोटी हुई थी तथा कुछ ही कार्यकर्ता प्रत्यक्ष सहभागी हुए थे। शेष कार्यकर्ता अपने-अपने प्रांत केंद्र से ऑनलाइन जुड़े थे। इस वर्ष भी बैठक में गुजरात के कोरोना प्रतिबंधों को ध्यान में रखकर अपेक्षित कार्यकर्ता संख्या को कुछ कम किया है, इसलिए सभी लोग अपेक्षित नहीं होंगे।

    प्रतिनिधि सभा में सरसंघचालक डा. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सभी सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, मनमोहन वैद्य, मुकुंद, रामदत्त, अरुण कुमार तथा संघ के अन्य सभी पदाधिकारी सहभागी होंगे। प्रांतों से सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों, क्षेत्र एवं प्रांत के संघचालक, कार्यवाह, प्रचारकों के साथ संघ प्रेरित विविध संगठन के अखिल संगठन मंत्री व उनके सहयोगी भी बैठक में अपेक्षित हैं। बैठक में पिछले वर्ष के कार्यवृत्त, संघ कार्य विस्तार की आगामी वर्ष की योजना, संघ शिक्षा वर्ग योजना, वर्तमान परिस्थिति पर चर्चा होगी एवं कुछ विषयों पर प्रस्ताव भी आ सकते हैं। विशेष बात कि यह बैठक पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के ठीक एक दिन बाद हो रही है।

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