Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्यों खतरे में हैं दिल्ली की झीलों का अस्तित्व? सामने आई अफसरों की बड़ी लापरवाही; चौंका देगी रिपोर्ट

    Updated: Thu, 20 Mar 2025 01:21 PM (IST)

    दिल्ली में प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण जलाशयों का अस्तित्व खतरे में है। अधिकांश जल निकाय अतिक्रमण की चपेट में हैं। दिल्ली आर्द्रभूमि प्रा ...और पढ़ें

    Hero Image
    जंगली घास व कूड़े से पटा पड़ा है बवाना का तालाब l जागरण

    संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। प्रशासनिक अनदेखी व भ्रष्टाचार के कारण राजधानी में जलाश्य विलुप्त हो रहे हैं। अधिकांश जलाशय अतिक्रमण के शिकार हैं। अवैध कब्जे हटाकर जल स्त्रोतों को उनके मूल स्वरूप में वापस लाना बड़ी चुनौती है। इसके सामने प्रशासन भी लाचार नजर आता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रिपोर्ट में क्या आया सामने?

    यही कारण है कि अधिकांश जलाशय अब उपयोग के लायक नहीं रह गए हैं। प्रशासनिक लापरवाही का पता दिल्ली आर्द्रभूमि प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में दी गई रिपोर्ट से चलता है। इस रिपोर्ट के अनुसार, शहर में सूचीबद्ध जल निकायों में से 50 प्रतिशत का अस्तित्व समाप्त हो गया है।

    वर्ष 2021 में राजस्व रिकार्ड के अनुसार, दिल्ली में 1045 और उसके बाद जियोस्पेशियल दिल्ली लिमिटेड (जीएसडीएल) द्वारा उपग्रह चित्र से 322 अन्य जल निकायों की पहचान की गई है। इस तरह से दिल्ली में कागजों पर कुल 1367 जल निकाय हैं। लेकिन, जमीनी सच्चाई इससे अलग है। 1045 में से सिर्फ 631 का अस्तित्व बचा हुआ है।

    सिर्फ 237 जल निकाय उपयोग के लायक बचे 

    वहीं, जीएसडीएल द्वारा पहचान की गई 322 में से सिर्फ 43 ही जमीन पर मिले हैं। इस तरह से दिल्ली में इस समय 674 जल निकायों का अस्तित्व है। इनमें से भी अधिकांश की स्थिति दयनीय है। जल शक्ति मंत्रालय द्वारा दो वर्ष पूर्व जारी की गई सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में सिर्फ 237 जल निकाय उपयोग के लायक बचे हैं।

    (बाहरी दिल्ली के मुबारकपुर डबास स्थित तालाब में जमा कूड़ा व उगी जंगली घास। जागरण)

    वहीं, अतिक्रमण व अन्य कारणों से अधिकांश जल स्त्रोत या तो लुप्त हो गए या अब उपयोग के लायक नहीं रहे। बचे हुए में से भी कुछ जलाशयों में ही पूरी क्षमता के अनुसार जल संग्रहण हो सकता है।

    कचरा डालकर जलाशय को कर दिया गया समाप्त 

    एनजीटी में दी गई रिपोर्ट व जल शक्ति मंत्रालय के सर्वे रिपोर्ट से स्पष्ट है कि दिल्ली में जलाशयों को संरक्षित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। जलाशयों की भूमि पर कहीं निजी लोगों ने अतिक्रमण कर लिया तो कई स्थानों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा निर्माण कर दिए गए। कई स्थानों पर कचरा डालकर जलाशय को समाप्त कर दिया गया। इन्हें बचाने का काम सिर्फ कागजों पर हुआ।

    यह भी पढ़ें- DND पर नियम ताख पर रखकर लगवाए जा रहे करोड़ों के विज्ञापन, नोएडा अथॉरिटी ने दिया एक्शन का आदेश

    कई जलाशयों में आम लोग, औद्योगिक इकाइयां व सरकारी एजेंसियां कूड़ा-कचरा डालकर उसके जल को दूषित करती हैं। इससे बचाने के लिए इन्हें आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम 2017 के तहत अधिसूचित करने की जरूरत है। संजय झील, हौज खास झील, भलस्वा झील, टीकरी खुर्द झील, वेलकम झील, दरियापुर कलां, सरदार सरोवर झील सहित दिल्ली वेटलैंड प्राधिकरण द्वारा चिन्हित 20 जलाशयों को इस नियम के अंतर्गत लाना है। लेकिन आज तक एक भी इसके अंतर्गत अधिसूचित नहीं किया जा सका है।

    सरकार नहीं करना चाहती यह काम

    नेचुरल हेरिटेज फर्स्ट के संयोजक दिवान सिंह का कहना है कि सरकार की इच्छा शक्ति की कमी से दिल्ली के जलाशय समाप्त हो रहे हैं। समुदाय के पास तालाबों को पुनर्जीवित करने का अधिकार नहीं है और सरकार यह काम करना नहीं चाहती। यदि आम नागरिक अपने स्तर पर तालाबों को बचाने का प्रयास करता है तो सरकारी संपत्ति होने की बात कर रोक दिया जाता है।

    यह भी पढ़ें- Delhi Metro के गोल्डन लाइन कॉरिडोर को लेकर बड़ा अपडेट, ऐसे निकलेगा भूमि अधिग्रहण का रास्ता

    रोहिणी, द्वारका, वसंतकुंज जैसे नियोजित कॉलोनियों में सीवर लाइन व बरसाती नाला अलग-अलग है। यहां स्थित जलाशयों को कुछ प्रयास में ही बचाया जा सकता है। बरसाती नालों से साफ पानी तालाब तक पहुंचाना है। यह काम भी नहीं किया जा रहा है। हाई कोर्ट ने वर्ष 2000 में दिल्ली के छह सौ से अधिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने का आदेश दिया था आज तक उसका पालन नहीं हुआ।

    जिला-सूचीबद्ध जल निकाय-सेटेलाइट इमेज-जमीनी हकीकत

    स्रोत: दिल्ली आर्द्रभूमि प्राधिकरण की एनजीटी में रिपोर्ट