Right for Information Act: क्या है सूचना का अधिकार एक्ट, इसे कौन और कैसे कर सकता है अप्लाई?
Right for Information Act 2005 आम नागरिकों को सूचना का अधिकार होना किसी भी लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। RTI एक ऐसा अधिनियम है जिसका उद्देश्य भारत में सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है। इसके तहत सूचना लेने के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information Act) भारतीय संसद द्वारा साल 2005 में पारित किया गया था। इसमें भारत के हर नागरिक को सरकारी संगठनों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया गया। इस कानून के अंतर्गत, जनता को सरकारी दफ्तरों, विभागों, मंत्रालयों, और सरकारी संगठनों से सूचना प्राप्त करने का अधिकार होता है।
सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य लोगों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना और वास्तविक अर्थों में हमारे लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना है।
सूचना की परिभाषा
इस कानून में सूचना की परिभाषा बहुत व्यापक है और इसमें सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा बनाई गई सभी जानकारी शामिल होती है। सूचना में कागजात, डेटा, विद्यापीठों की जानकारी, नोटिस, अदेश, ईमेल, रिपोर्ट, लेख, निर्णय, प्रकाशन आदि शामिल हो सकते हैं।
आवेदन करने की प्रक्रिया
यदि भारत का रहने वाला कोई नागरिक सूचना प्राप्त करना चाहता है, तो वह उस संगठन के नजदीकी सूचना अधिकारी को लिखित आवेदन द्वारा अपनी याचिका भेज सकता है। आवेदन में संगठन के नाम, जिला, विभाग, और संदर्भित जानकारी का विवरण शामिल होना चाहिए। साथ ही, आवेदनकर्ता को अपना नाम, पता, आवासीय स्थान, और संपर्क की जानकारी देनी होगी।
सूचना प्राप्ति की सीमा
सरकारी संगठन को सूचना देने के लिए निर्धारित समय सीमा होती है। आमतौर पर, संगठन के पास आवेदक की याचिका का जवाब देने के लिए 30 दिनों का समय होता है।
वहीं, अगर जो सूचना मांगी गई है वह जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो ऐसी सूचना को 48 घंटे के अंदर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है। यदि इस समय सीमा में आवेदक को संगठन की ओर से कोई जवाब नहीं मिलता है, तो उसे अपील करने का अधिकार होता है।
अपील प्रक्रिया
यदि संगठन द्वारा दी गई सूचना से आवेदक संतुष्ट नहीं है, तो उसके पास अपील करने का अधिकार होता है। इसके लिए, आवेदक को संगठन के उच्चतम अधिकारी के पास अपील करनी होगी।
अपील करने के लिए आवेदक को उच्चतम अधिकारी के प्रति लिखित अपील दर्ज करनी होगी। इस अपील में आवेदक को अपने पहले के आवेदन के बारे में जानकारी देनी होगी।
शुल्क की व्यवस्था
सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदक को किसी प्रकार का शुल्क नहीं देना पड़ता है। हालांकि, सूचना प्राप्त करने के लिए कॉपी, प्रिंट आउट, डिस्क या पोस्टेज के लिए कुछ शुल्क लिया जा सकता है। शुल्क की राशि संगठन के नियमों और आवेदक के अनुरोध के आधार पर निर्धारित की जाती है।
गोपनीयता
यह कानून गोपनीयता के मामलों को ध्यान में रखते हुए सूचना प्राप्त करने का अधिकार देता है। अगर सूचना गोपनीय है और किसी कानूनी प्रावधान के तहत उसे जारी नहीं किया जा सकता है, तो संगठन को उसे जारी नहीं करना होता है। इससे संगठन की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित होती है।
सूचना प्राप्ति का अधिकार
नागरिकों को सरकारी संगठनों से सूचना प्राप्त करने का अधिकार होता है। वे सूचना के बारे में प्रश्न पूछ सकते हैं, आवेदन कर सकते हैं और जानकारी के लिए अपील कर सकते हैं।
जानकारी की गोपनीयता
नागरिकों को सूचना की गोपनीयता का संरक्षण मिलता है। सरकारी संगठनों को कानूनी नियमों का पालन करके गोपनीय जानकारी को छिपाने की अनुमति नहीं है।
संगठनों का दायित्व
सरकारी संगठनों को सूचना प्रदान करने का दायित्व होता है। वे सूचना के लिए उपलब्ध होने के साथ-साथ आवेदनकर्ता को सही, पूर्ण और समयबद्ध जवाब देने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
पारदर्शिता
सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सरकारी संगठनों को पारदर्शिता बनाए रखने का दायित्व होता है। वे खुले और सार्वभौमिक ढंग से सूचना प्रदान करने के लिए प्रयास करते हैं ताकि नागरिकों को सरकारी कार्यों और निर्णयों के बारे में सही और विश्वसनीय जानकारी मिल सके।
RTI कानून की प्रमुख विशेषताएं
- इसे देश के नागरिकों को सूचना का अधिकार देने के लिए लागू किया गया है।
- इसके तहत किसी भी नागरिक को सरकारी संगठनों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होता है।
- जनता को सूचना प्राप्त करने के लिए RTI आवेदन दाखिल करने की सुविधा होती है। आवेदन करने के लिए नागरिकों को सरकारी संगठन के राज्यीय या केंद्रीय स्तर पर स्थापित कार्यालय को लिखित पत्र द्वारा आवेदन देना होता है।
- सरकारी संगठनों को सूचना के लिए निर्धारित समय सीमा में जवाब देना होता है। यदि संगठन उस समय सीमा में जवाब नहीं देता है, तो इसके तहत नागरिक अपील कर सकता है।
- सरकारी संगठनों को गोपनीयता के नियमों का पालन करना होता है। यदि जानकारी गोपनीय होती है और कानूनी प्रावधानों के अनुसार जारी नहीं की जा सकती है, तो ऐसे मामलों में संगठन को इसे जारी नहीं करना होता है।
- इसके तहत सूचना प्राप्त करने के लिए कोई शुल्क नहीं लगता है। हालांकि, सूचना प्राप्त करने के लिए कुछ शुल्क उसकी प्रिंट कॉपी, फोटोकॉपी आदि के लिए लग सकता है।
- आरटीआई अधिनियम का उद्देश्य सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाना ,शासन की जबाबदेही तय करना।
- भ्रष्टाचार रोकना तथा लोकतंत्र में नागरिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करना है।
RTI कौन और कितनी बार अप्लाई कर सकता है?
जैसा की हम जानते हैं कि देश के हर नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार द्वारा 2005 में इस कानून को लागू किया गया है।
इसका मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना, सरकार के कार्य में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना और वास्तविक तौर पर देखा जाए तो लोकतंत्र को लोगों के लिए सशक्त बनाना है। सरकार की गतिविधियों के बारे में जानकारी या सूचना प्राप्त करने के लिए नागरिकों के पास यह एक बड़ा हथियार है।
RTI कैसे फाइल करें?
आरटीआई दाखिल करने के लिए आपको बस एक सादे कागज पर एक आवेदन लिखना होता है। इसमें संबंधित कार्यालय के P.I.O को संबोधित करते हुए ऑफलाइन या ऑनलाइन माध्यम से RTI को फाइल किया जा सकता है।
कौन जानकारी प्राप्त कर सकता है?
कोई भी व्यक्ति जो भारतीय नागरिक है किसी भी सरकारी संगठन से जानकारी प्राप्त कर सकता है या इसके लिए आवेदन कर सकता है। यह जरूरी नहीं है कि जो आवेदक सूचना मांग रहा है, वह उसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का हो, जहां से सूचना मांगी गई हो।
RTI को कितनी बार अप्लाई किया जा सकता है?
एक ही संगठन में एक से अधिक RTI दर्ज करने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है। आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी मांगने में नागरिकों के पास अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए एक उद्देश्य होना चाहिए, लेकिन इसका उपयोग आपके सामान्य ज्ञान के लिए और छोटे मुद्दों के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
ऐसा करने से अधिकारियों पर जानकारी देना का बोझ बढ़ेगा। इससे अन्य आवेदकों को समय से जानकारी परेशानी हो सकती है। हर सरकारी संगठन को एक कर्मचारी को एक सार्वजनिक सूचना अधिकारी (PIO) के रूप में नियुक्त करने की जरूरत होती है। एक बार विभाग को RTI की अपील मिलने के बाद आवेदक को 30 दिनों के भीतर सूचना देना PIO की जिम्मेदारी होती है।
किस प्रकार की जानकारी ली जा सकती है?
सूचना का अर्थ किसी भी रूप में किसी भी सामग्री से है, जिसमें रिकॉर्ड, दस्तावेज, मेमो, ईमेल, राय, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लॉगबुक, अनुबंध, रिपोर्ट, कागजात, नमूने, मॉडल, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखी गई डेटा सामग्री और सूचना से संबंधित जानकारी शामिल है। इसके तहत पब्लिक अथॉरिटी के अंतर्गत आने वाली निजी संस्थाओं से जानकारी मांगी जा सकती है।
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