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    क्या है GRAP-4? दिल्ली में अब किन-किन चीजों पर पाबंदियां, रिपोर्ट में समझिए सबकुछ

    Updated: Mon, 18 Nov 2024 11:31 AM (IST)

    दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का चौथा चरण लागू कर दिया गया है। ग्रेप-4 में कई चीजों पर पाबंदियां लगाई गई हैं जिनमें सभी निर्माण कार्य रोकना सरकारी और प्राइवेट कार्यालयों में वर्क फ्रॉर्म होम का निर्देश देना दिल्ली में BS-4 के वाहनों पर रोक लगाना और दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगाना शामिल है।

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    दिल्ली में ग्रेप-4 लागू किया गया है। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। GRAP-4 देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण लेवल जानलेवा स्तर पर पहुंच गया है। लोगों को गले में खराश, सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। वहीं, सरकार ने भी प्रदूषण के स्तर को देखते हुए दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप, GRAP) का चौथा चरण लागू कर दिया है। ग्रेप-4 क्या होता है और इसमें क्या-क्या पाबंदियां होती हैं? आइए हम आपको इस रिपोर्ट में आपके हर सवाल का जवाब देंगे।

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    (दिल्ली में सुबह के समय छाया रहा घना कोहरा। जागरण फोटो)

    Graded Response Action Plan (GRAP) का पहला, दूसरा और तीसरा चरण दिल्ली में पहले ही लागू किया चुका है। आज यानी सोमवार से राजधानी में ग्रेप का चौथा चरण लागू किया गया है। ग्रेप-4 में कई चीजों पर पाबंदियां लगा दी हैं।

    (कोहरे के चलते वाहनों की स्पीड पर लगा ब्रेक। जागरण फोटो)

    बता दें कि ग्रेप-4 ट्रेडिंग में है। क्योंकि लोग सर्च कर रहे हैं कि ग्रेप के चौथे चरण में दिल्ली में किन-किन चीजों पर पाबंदियां लगाई हैं। 

    ग्रेप क्या होता है?

    दिल्ली-NCR में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) तैयार किया गया है। इसमें चार चरण बनाए गए हैं। इनमें प्रदूषण को कम करने के लिए उपाय किए जाते हैं। एक्यूआई 200 के ऊपर जाने के बाद ग्रेप का पहला चरण लागू किया जाता है। वहीं, अब दिल्ली में ग्रेप का चौथा चरण लागू किया गया है, जिसमें कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई हैं।

    ग्रेप-1 में क्या-क्या?

    जब एक्यूआई 201 से 300 से बीच होता है तो दिल्ली में ग्रेप का पहला चरण लागू किया जाता है। इसमें धूल नियंत्रण और खुले में जलाने पर प्रतिबंध जैसे उपाय शामिल हैं।

    ग्रेप-2 में क्या होता है?

    एक्यूआई 301 से 400 तक पहुंचने पर ग्रेप का दूसरा चरण लागू किया जाता है। इसमें सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाता है। वहीं, डीजल जनरेटर सेट जैसे कार्यों पर प्रतिबंद लगा दिया जाता है।

    ग्रेप-3 में क्या होता है?

    ग्रेप का तीसरा चरण लागू होने के बाद निजी भवन निर्माण, विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

    ग्रेप-4 में क्या-क्या प्रतिबंध?

    अब ग्रेप का चौथा चरण लागू होने से दिल्ली में सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई। 10वीं और 12वीं के स्कूलों को छोड़कर सभी स्कूलों पर बंद कर दिया गया है। साथ ही सरकारी और प्राइवेट कार्यालयों में वर्क फ्रॉर्म होम का निर्देश दे दिया गया है। दिल्ली में BS-4 के वाहनों पर भी रोक लगा दी गई है। साथ ही दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है।

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    अब क्या-क्या हैं पाबंदियां?

    • दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर रोक (आवश्यक सेवाओं के लिए ट्रकों का जारी रहेगा प्रवेश)
    •  LNG, CNG, इलेक्ट्रिक और जरूरी सेवाओं वाले वाहनों के प्रवेश पर रोक नहीं रहेगी।
    • इलेक्ट्रिक वाहन, सीएनजी, बीएस-4 डीजल वाहनों के अलावा दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड हल्के वाहनों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। (अनुमति सिर्फ जरूरी सेवा देने वालों के लिए होगी)
    • दिल्ली में रजिस्टर्ड बीएस-4 और उससे कम के डीजल मालवाहक और भारी वाहनों के चलने पर सख्त प्रतिबंध लागू रहेंगे।
    • हाईवे, सड़क, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, पावर ट्रांसमिशन, पाइपलाइन, दूरसंचार आदि के लिए जारी परियोजनाओं के कामों (निर्माण कार्य) पर प्रतिबंध ग्रेप-3 के तहत लागू रहेंगे।

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    दिल्ली और एनसीआर की राज्य सरकारें सरकारी, नगरपालिका और प्राइवेट कार्यालयों को 50 प्रतिशत क्षमता पर काम करने और बाकी को घर से काम करने की अनुमति दें।

    एक्यूआईसीएन (AQICN) के अनुसार, दिल्ली में सोमवार यानी आज सुबह सात बजे के करीब एक्यूआई गंभीर स्थिति में दर्ज किया गया। दिल्ली में आनंद विहार समेत कई इलाकों में एक्यूआई 600 से ऊपर दर्ज किया गया है।

    क्या होता है AQI?

    एक्यूआई एक तरह से प्रदूषण मापने का थर्मामीटर है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा को चेक किया जाता जाता है। एक्यूआई की माप 0 से 500 तक होती है। हवा में पॉल्यूटेंट्स (प्रदूषक तत्व) की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, उतना ही एक्यूआई का स्तर ज्यादा होगा। अगर एक्यूआई बढ़ता जाता है तो समझ लीजिए प्रदूषण बढ़ रहा है।

    एक्यूआई की रीडिंग के आधार पर हवा की गुणवत्ता को छह कैटेगरी में बांटा गया है। शून्य से 50 के बीच AQI अच्छा, 51 और 100 संतोषजनक, 101 और 200 मध्यम, 201 और 300 खराब, 301 और 400 बहुत खराब, और 401 और 500 के बीच AQI को गंभीर माना जाता है।