खुद का खयाल, खुद से प्यार के क्या हैं मायने और इसके लिए किन बातों का रखना होगा ध्यान?
आपदा ने जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया अचानक जिंदगी थम-सी गई तब एहसास हुआ कि शायद हम अपने प्रति ही पर्याप्त सजग नहीं रहे। अब समय है कि हम समझें कि जितनी चिंता हमें अपनों की करनी है और उनके प्रति जिम्मेदारी निभानी है।

सोहन सिंह। आपको अपना खयाल क्यों रखना चाहिए, आप खुद इसे कैसे देखते हैं? यदि इसे एक निजी हित से जुड़ा कार्य या कोई अतिरिक्त कार्य समझ रहे हैं तो इस विचार को अलग नजरिये से समझना होगा। दरअसल, खुद से प्यार करने का अर्थ है अपने आपको पूरी तरह स्वीकार करना। इसके बाद आप यह समझ जाते हैं कि हम स्वस्थ रहेंगे, मन से खुश रहेंगे तभी अपनों को, अपनी दुनिया के सभी पहलुओं को समुचित तरीके से समझ सकेंगे। पर आमतौर पर ऐसा होता नहीं। मेरे पास आने वाले ज्यादातर लोग यही सवाल करते हैं और मैं सबसे यही कहता हूं कि पहले मर्म समझना होगा।
यह नहीं कि सब कुछ भूलकर खुद को आगे कर देना है। यह भी नहीं कि खुद अच्छा खानपान लेना है, सेहत की चिंता करनी है और बाकी सदस्यों का ध्यान नहीं रखना है। इसका अर्थ तो सिर्फ इतना है कि हमें खुद को एक माध्यम समझना है। वह माध्यम, जिसके जरिए आप सभी जिम्मेदारियों को निभाते हैं। जरा सोचिए, यदि यह माध्यम मन से कमजोर हो, स्वस्थ न हो, उचित निर्णय न ले सकता हो तो कैसी होगी हमारी दिनचर्या, हमारी जिंदगी। निश्चित रूप से वह कोलाहल से भरी और बोझिल हो जाएगी।
स्वीकार्यता से सब संभव है : कुछ लोग मोटे हों, कृशकाय हों, रंग खराब हो या किसी तरह की दक्षता की कमी हो, तो भी वे मगन रहते हैं। उन्हें एहसास भी दिलाया जाए कि आप सामाजिक मान्यताओं में फिट नहीं बैठते तो वे इन बातों को हंसकर टाल जाते हैं। यही है खुद के प्रति प्यार का एक छोटा-सा उदाहरण। यदि आप भी इस तरह का आत्मसम्मान रखते हैं तो मुश्किल वक्त आपको परेशान नहीं करेगा। आप इन बातों की परवाह किए बिना नए विकल्पों की तलाश करेंगे और आत्मविश्वास की नई सीढ़ियां चढ़ते जाएंगे। केवल यही नहीं, यदि आप खुद के प्रति सजग हैं तो अपनी मनोदशाओं पर भी नियंत्रण रख पाते होंगे। जब कभी परेशान हुए तो गुस्सा आया, पर आपको उसे नियंत्रित करने की चिंता भी होगी और आप इसके लिए उपाय करेंगे। योग और ध्यान के बारे में विचार करेंगे। साथ ही, पहल भी करेंगे।
निरंतर तत्परता की जरूरत : प्रेम जो भीतर है, आप उसे अपने शरीर के जरिए और सुंदर बना सकते हैं। यह केवल अच्छे खानपान से ही संभव नहीं है। आपको आत्मविकास के लिए निरंतर तत्पर रहना होगा। इन दिनों योग और प्राकृतिक चिकित्सा को लेकर सजगता इसी बात का हिस्सा है। लोग समझ रहे हैं कि हम जितना जमीनी होंगे, प्राकृतिक चीजों को अपनाएंगे, हमारा व्यक्तित्व भी उसी अनुरूप होगा। ऐसी आपदाएं हमारी परीक्षा लेने आएंगी तो हम खुद को तैयार रख पाएंगे। स्वस्थ रहना है तो आप खानपान में भी उन चीजों को जरूर शामिल करेंगे, जो लाभदायक हों। आपने चूंकि खुद का खयाल रखा, इसलिए आपकी इच्छाशक्ति भी उसी अनुरूप कार्य करने लगेगी।
अज्ञात को खुश करने का दबाव : यह संभव है कि आप खुद को सुंदर न मानते हों। अपने व्यक्तित्व में कुछ और होता तो शायद ज्यादा बेहतर होता, ऐसी कल्पना करते होंगे। पर बाहर जो लोग आपको नोटिस कर रहे हैं, वे ऐसा नहीं मानते। वे आपके नाक-नक्श को देखकर कह सकते हैं कि कितने सुंदर हैं आप। उन्हें नहीं पता कि आप खुद को पसंद नहीं कर रहे। क्या तब भी आप औरों की बात को महत्व देंगे? दरअसल, हमारे द्वारा औरों को महत्व देना भी खुद से दूर रखता है हमें। याद रखें, लोगों की अपेक्षा दरअसल किसी अज्ञात की अपेक्षा है। ऐसी अपेक्षा, जिसका आपको पता नहीं कि किसे खुश करना है। पर यदि खुद का खयाल है तो भगवान महावीर के अनुसार, ‘अप्पा सो परमप्पा’ हो जाएगा यानी वही आत्मा परमात्मा होगा। खाली बर्तन, जिसमें पेंदी नहीं है उसे भरने में क्यों पड़ें। लाख कोशिशें कर लें, इसे भर नहीं पाएंगे।
यह संकल्प जरूरी है : कोई बड़ा संकल्प नहीं लेना है, बस धीरे-धीरे दिनचर्या को बेहतर करने का प्रयास आपका दृष्टिकोण बेहतर करेगा। इसके बाद आप खुद को क्षमाशील महसूस करने लगेंगे। छोटी-छोटी बातों को अनदेखा करना आएगा। फिर भीतर का आलोचक भी परेशान करना बंद कर देगा, क्योंकि आप खुद के प्रति करुणा रख सकेंगे। इस भाव को अधिक से अधिक महसूस कर सकेंगे।
उजाले की ओर
- जब आपको खुद का खयाल रखने का अर्थ समझ में आ गया तो कोई आपको क्या समङो, क्या कहे, कौन-सा ठप्पा लगा दे, आप इन बातों का परवाह नहीं करते।
- आप अपने गुणधर्म यानी मूल स्वभाव में रहें। याद रखें, आप जिस भी रूप में हैं, उसमें संपूर्ण हैं।
- योग-ध्यान करने की सलाह देता हूं तो लोग पूछते हैं, क्या इससे बुद्ध हो जाऊंगा? पर हमें बुद्ध नहीं होना, अपनी कार्यप्रणाली को समझना है। एकाग्रता की समस्या है, सेहत प्रभावित हो रही है तो योग इसे ठीक रखने में मदद करेगा।
- योग करें। सही तरीके से करें। नियमित करें। योग निद्रा कुछ महत्वपूर्ण योग अभ्यासों में से एक है। हर दिन मात्र 20 मिनट के अभ्यास से तनाव और चिंता को दूर करने में काफी मदद मिल सकती है।
एक अचंभा मैंने देखा, नदिया लागी आग : यह संत कबीर की एक उलटबांसी है, पर यह इन दिनों सच लग रही है। यह मंजर सोशल मीडिया पर यह देखा जा सकता है। आप देख सकते हैं कि कुछ लोग लगातार छोटी-छोटी चीजों को पोस्ट करते रहते हैं। देर रात भी मन आया तो जो खा रहे हैं, उस खाने की तस्वीर डाल दी। यह उदाहरण इसलिए, क्योंकि कुछ लोगों को लग सकता है कि यह खुद से प्यार का उदाहरण है, पर यह खुद को अनदेखा करना है। इसका अर्थ यह नहीं कि आप रात में पोस्ट न करें, पर उस पोस्ट की उपयोगिता को जरूर देखें। अपने समय और सेहत का मूल्य पहचानें।
(लेखक लाइफ कोच, योग गुरु सोहन योग इंटरनेशनल के संस्थापक हैं)
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