बृजभूषण मामले में नया मोड़: पहलवानों के खिलाफ जा सकता है मामला; दर्ज होगा मुकदमा! पुलिस को मिले ये सबूत
भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के यौन शोषण का मुकदमा दर्ज कराने के मामले में कई रहस्यों से पर्दा उठना अभी बाकी है। लिस सूत्रों के अनुसार यह मामला पहलवानों के ही खिलाफ जा सकता है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के यौन शोषण का मुकदमा दर्ज कराने के मामले में कई रहस्यों से पर्दा उठना अभी बाकी है। एक माह से अधिक समय से जांच के बाद भी दिल्ली पुलिस की एसआईटी को ऐसे सुबूत नहीं मिले हैं, जिनसे बृजभूषण पर लगाए आरोप ठोस तरीके से साबित हो रहे हों।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह मामला पहलवानों के ही खिलाफ जा सकता है। नाबालिग बताई जा रही शिकायतकर्ता के बालिग होने के साथ यह भी पता चला है कि उसे नाबालिग बताने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए गए। इस आधार पर बृजभूषण के खिलाफ छेड़खानी व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया।
सूत्रों के अनुसार, फर्जी दस्तावेज सौंपने के मामले में पुलिस कुछ पहलवानों के खिलाफ फर्जीवाड़ा व आपराधिक साजिश रचने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर सकती है। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि एसआईटी यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि पहलवानों ने बृजभूषण की हरकतों से तंग आकर खुद पुलिस में शिकायत की या किसी राजनीतिक व्यक्ति व अन्य के उकसावे में बृजभूषण को महासंघ के अध्यक्ष पद से हटवाने के मकसद से ऐसा किया गया।
सूत्रों के मुताबिक, यौन शोषण मामले को लेकर एसआईटी ने राउज एवेन्यू कोर्ट में जांच से संबंधित अब तक दो स्टेटस रिपोर्ट सौंपी है। इनमें बताया है कि दिल्ली समेत कई राज्यों में जाकर जांच की गई। कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए। अधिकतर गवाहों ने छेड़खानी से संबंधित जानकारी होने से इन्कार किया है।
एफआईआर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारिततमाम दबाव के बावजूद पुलिस सांसद बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार नहीं कर रही है। माना जा रहा है कि ठोस सुबूत न मिलने के कारण पुलिस गिरफ्तारी को लेकर निर्णय नहीं ले पा रही है। शुक्रवार को पहलवानों के अधिवक्ता द्वारा इंटरनेट मीडिया पर यौन शोषण से संबंधित एफआईआर प्रसारित किए जाने पर पुलिस प्रवक्ता ने एतराज जताया है।
प्रवक्ता का कहना है कि एसआइटी अभी मामले की जांच कर रही है। यौन शोषण की एफआइआर को प्रसारित नहीं किया जाना चाहिए। उधर, जंतर-मंतर पर हंगामा करने के मामले में जिन 109 पहलवानों, आयोजकों व उनके समर्थकों के खिलाफ संसद मार्ग थाना पुलिस ने दंगा करने की धाराओं में एफआइआर की है, उसकी जांच अभी शुरू नहीं की गई है।
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