दिल्लीवासियों को गंदे पानी से मिलेगी राहत, स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए विभाग की क्या है योजना?
दिल्ली में पानी की किल्लत से निपटने के लिए अब सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले शोधित पानी का इस्तेमाल गैर-पेय कार्यों में किया जाएगा। दिल्ली सरकार के गठित समिति में दिल्ली नगर निगम के आयुक्त नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के सचिव दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के सदस्य सचिव और दिल्ली जल बोर्ड तथा दिल्ली छावनी बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी शामिल हैं।

राज्य ब्यूरो जागरण, नई दिल्ली। दिल्ली में जल संकट से निपटने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकलने वाले शोधित पानी का गैर-पेय कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकता है। दिल्ली में करीब 600 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमजीडी) शोधित पानी उपलब्ध है।
डब्ल्यूआरआरसी की स्थापना
इसमें से सिर्फ 100 एमजीडी शोधित पानी का ही इस्तेमाल हो पाता है। इस स्थिति को बदलने के लिए दिल्ली सरकार ने वाटर रिसोर्स रिकवरी सेल (डब्ल्यूआरआरसी) की स्थापना की है।
शहरी विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित नौ सदस्यीय समिति में सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण, उद्योग और बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
इस समिति में दिल्ली नगर निगम के आयुक्त, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के सचिव, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के सदस्य सचिव और दिल्ली जल बोर्ड तथा दिल्ली छावनी बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी शामिल हैं।
मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपा जाएगा
डब्ल्यूआरआरसी का गठन केंद्र सरकार की जल ही अमृत पहल के तहत अटल मिशन (अमृत)-2 कार्यक्रम के तहत किया गया है। यह हर तीन महीने में केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
अधिकारियों ने बताया कि जल ही अमृत कार्यक्रम का उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस्तेमाल हो चुके पानी को शुद्ध करके उसके दोबारा इस्तेमाल को बढ़ावा देना है।
इसके लिए एसटीपी की दक्षता बनाए रखने के साथ ही मानकों को सुनिश्चित किया जाएगा। इनका मूल्यांकन भी किया जाएगा। डब्ल्यूआरआरसी के चेयरमैन इस पहल में सहयोग के लिए अकादमिक और अन्य संस्थानों के विशेषज्ञों को भी शामिल कर सकते हैं।
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