जम्मू-कश्मीर में 4,500 अज्ञात कब्रों का सर्वे, स्थानीय के मुकाबले मिलिटेंट्स और सैनिकों की कब्र हैं ज्यादा
जम्मू-कश्मीर के बारामुला कुपवाड़ा बांदीपोरा और गांदरबल जिलों में 4500 अज्ञात कब्रों का सर्वे किया गया। रिपोर्ट में कश्मीरी और पाकिस्तानी आतंकियों 1947 के पठानी घुसपैठियों और सैन्य बलों के जवान दफन हैं। नागरिकों की संख्या बहुत कम है। सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन की रिपोर्ट में घाटी में पारदर्शिता और शांति का उद्देश्य बताया गया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के बारामुला, कुपवाड़ा, बांदीपोरा और गांदरबल ज़िलों में स्थित 4,500 अचिह्नित और अज्ञात कब्रों का सर्वे किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, इन कब्रों में अधिकतर कश्मीरी और पाकिस्तानी मिलिटेंट, 1947 के पठानी घुसपैठिए तथा सैन्य बलों के जवान दफन हैं। स्थानीय नागरिकों की संख्या इन कब्रों में एक प्रतिशत से भी कम पाई गई है।
इस अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि बाहरी प्रचारित धारणाओं के विपरीत, अज्ञात कब्रों को लेकर फैली आशंकाएं भ्रामक हैं।
जम्मू-कश्मीर आए दिन अशांति और अस्थायित्व की खबरें सामने आती रही हैं, लेकिन एक ताजा सर्वे रिपोर्ट ने इस धारणा को चुनौती दी है।
सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन ने छह वर्षों तक कश्मीर घाटी के सीमावर्ती जिलों में विस्तृत अध्ययन कर यह रिपोर्ट तैयार की है। इसको लेकर गुरुवार को नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब आफ इंडिया में पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह की मौजूदगी में इस रिपोर्ट का विमोचन किया गया।
इसे अनरेवेलिंग द ट्रुथ: ए क्रिटिकल स्टडी ऑफ अनमार्क्ड एंड अनआइडेंटिफाइड ग्रेव्स इन कश्मीर वैली नाम दिया गया है।
एनजीओ के प्रमुख वजाहत फारुख भट ने बताया कि उनकी टीम ने व्यवस्थित ढंग से इन कब्रों को सूचीबद्ध और पहचानने का प्रयास किया है।
उनका कहना है कि इस अध्ययन का उद्देश्य घाटी में पारदर्शिता और तथ्यों को सामने लाना है, ताकि स्थायित्व और शांति की दिशा में सकारात्मक वातावरण तैयार हो सके।
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