Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उदयपुर फाइल्स की रिलीज रोकने की कोशिश; वकील ने कहा- कन्हैया लाल के हत्यारोपित की निष्पक्ष सुनवाई पर मंडरा रहा खतरा

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 12:37 PM (IST)

    उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या पर बनी फिल्म उदयपुर फाइल्स की रिलीज का विरोध हत्यारोपित मोहम्मद जावेद ने दिल्ली हाई कोर्ट में किया है। जावेद के वकील ने निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का हवाला देते हुए फिल्म पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म आरोपपत्र पर आधारित है और इससे गवाहों के प्रभावित होने की आशंका है।

    Hero Image
    फिल्म उदयपुर फाइल्स के रिलीज का विरोध हत्यारोपित मोहम्मद जावेद ने दिल्ली हाई कोर्ट में किया है।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या पर आधारित फिल्म उदयपुर फाइल्स के रिलीज का विरोध हत्यारोपित मोहम्मद जावेद ने दिल्ली हाई कोर्ट में किया है। उनके वकील वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने तर्क दिया कि इस मामले में अभी 160 गवाहों की जांच बाकी है और उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी के समय उम्र केवल 19 वर्ष थी। उन्होंने कहा कि राजस्थान हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमानत इसलिए दी, क्योंकि उन पर लगे आरोपों के बीच कोई ठोस संबंध स्थापित नहीं हुआ था। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    केंद्र सरकार पर लगाया आरोप

    कोर्ट के समक्ष मेनका गुरुस्वामी ने यह भी तर्क दिया कि फिल्म की रिलीज से उनके मुवक्किल के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने बताया कि फिल्म निर्माता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि फिल्म का कथानक आरोपपत्र पर आधारित है और संवाद सीधे आरोपपत्र से लिए गए हैं। इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की वैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए अपनी पुनरीक्षण शक्तियों का दुरुपयोग किया है।

    यह भी पढ़ें- छह कट और डिस्क्लेमर के साथ फिल्म Udaipur Files के निर्माता फिर सेंसर बोर्ड पहुंचे, 30 जुलाई को अगली सुनवाई

    सिनेमैटोग्राफी एक्ट में केंद्र को नहीं अधिकार

    सिनेमैटोग्राफी एक्ट की वैधानिक योजना पर गुरुस्वामी ने कहा कि वर्तमान कानून तीन प्रकार की पुनरीक्षण शक्तियों का प्रविधान करता है। इनका उपयोग केंद्र सरकार कर सकती है। एक शक्ति धारा 2ए में है। सरकार कह सकती है कि फिल्म का प्रसारण नहीं किया जा सकता। दूसरा, वे प्रमाणन बदल सकते हैं और तीसरा, वे इसे निलंबित कर सकते हैं। मगर प्रविधान में केंद्र सरकार को फिल्म कट सुझाना, संवाद हटाना, अस्वीकरण जोड़ना, सेंसर बोर्ड जैसे अस्वीकरणों में बदलाव करने का अधिकार नहीं है।

    कैसे कहें फिल्म निर्माता सच कह रहे थे?

    निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार पर अपनी दलीलें पेश करते हुए मेनका गुरुस्वामी ने शीर्ष अदालत के कई आदेशों के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में मद्रास हाई कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि फिल्म देखने के बाद हाई कोर्ट ने फिल्म और संवादों पर विस्तृत चर्चा की थी। हम कैसे कह सकते हैं कि फिल्म निर्माता सच कह रहे थे? अभियुक्तों का सच कुछ और हो सकता है। मद्रास हाई कोर्ट ने एक औसत दर्शक पर फिल्म के प्रभाव पर विचार किया।

    यह भी पढ़ें- 'हम फिल्म की रिलीज नहीं रोक सकते क्योंकि...' Udaipur Files पर दिल्ली HC ने क्या कहा? 30 जुलाई को होगी अगली सुनवाई