दिल्ली HC का आदेश: तुगलकाबाद किला सहित ऐतिहासिक स्मारकों से अतिक्रमण हटाने का निर्देश
दिल्ली हाई कोर्ट ने तुगलकाबाद किले को अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों को संरक्षित करना आवश्यक है। अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार सहित विभिन्न एजेंसियों को संयुक्त नीतिगत निर्णय लेने का निर्देश दिया है ताकि क्षेत्र में बसे लोगों की समस्या का समाधान हो सके। मामले की अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि प्राचीन तुगलकाबाद किला सहित अन्य ऐतिहासिक विरासत को प्रतिबिंबित करने वाले राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों को सभी अतिक्रमणों और अवैध निर्माणों से मुक्त किया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय महत्व का प्राचीन स्मारक होने के कारण तुगलकाबाद किला को अतिक्रमण से संरक्षित किया जाना आवश्यक है ताकि ऐतिहासिक विरासत और मूल्यों को भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखा जाए।
संयुक्त नीतिगत निर्णय लेने को कहा
तुगलकाबाद किले के क्षेत्र में लंबे समय से बसे लोगों की समस्या को देखते हुए पीठ ने केंद्र व दिल्ली सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और दिल्ली सरकार सहित अन्य एजेंसियों को मुद्दे का समाधान करने को कहा। पीठ ने सभी एजेंसियों को क्षेत्र का सर्वेक्षण करने और एक संयुक्त नीतिगत निर्णय लेने को कहा।
लाचारी व्यक्त की गई
पीठ ने मामले में केंद्र, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव, शहरी विकास विभाग, एमसीडी और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को प्रतिवादी बनाकर नोटिस जारी किया। अदालत ने उक्त निर्देश तुगलकाबाद किला क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए। पीठ ने कहा कि मामला लंबित रहने के दौरान अतिक्रमण हटाने का संबंध में एएसआइ द्वारा विभिन्न प्रकार की लाचारी व्यक्त की गई है।
परिणाम का कुछ पता नहीं
अदालत ने नोटिस किया कि सीमांकन से यह स्पष्ट हो गया है कि स्मारक के अंदर, बाहर और स्मारक की चारदीवारी के भीतर कोई अतिक्रमण नहीं है, लेकिन इसकी सीमा के बाहर अतिक्रमण मौजूद है। पीठ ने नोट किया कि किसी समय यह मामला सीबीआई द्वारा भी लिया गया था, लेकिन इसका परिणाम अज्ञात है। ऐसे में एजेंसी के अधिवक्ता को इस संबंध में निर्देश लेने को कहा गया।
मामले को लेकर गठित की समिति
अदालत ने मामले की परस्थिति को देखते हुए विभिन्न विभागों के अधिकारियों की एक समिति का भी गठन किया, जोकि प्रधानमंत्री-दिल्ली आवास अधिकार योजना (पीएम-उदय) सहित पुनर्वास के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं पर भी विचार करेगी। पीठ ने समिति से मामले की प्रगति पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई तीन दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
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