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    अब दिल्ली में नहीं मिलेंगी खुदी हुई सड़कें, इस नई तकनीक से दिल्लीवालों की राह होगी आसान

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 03:00 PM (IST)

    दक्षिणी दिल्ली में सीवेज सिस्टम को सुधारने के लिए ट्रेंचलेस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इस तकनीक से सड़कों और घरों को नुकसान पहुंचाए बिना सीवर लाइनें डाली जा रही हैं। क्षतिग्रस्त लाइनों का पता लगाना भी आसान हो गया है। इससे यातायात कम बाधित होता है और समय व लागत की बचत हो रही है।

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    सड़कों को बचाने के लिए ट्रेंचलेस तकनीकी से डाली जा रही सीवर लाइन

    शनि पाथौली, दक्षिणी दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली में सीवेज सिस्टम दुरूस्त करने के साथ-साथ सड़कों को बचाने की कवायद भी की जा रही है। यहां पर ''ट्रेंच लेस'' तकनीक से सड़कों को क्षतिग्रस्त और घरों को नुकसान पहुंचाए बिना सीवर लाइन डाली जा रही है।

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    इसी के माध्यम से क्षतिग्रस्त लाइनों का भी पता लगाया जा रहा है। इससे यातायात बाधित होने से भी बच रहा और जान-माल का भी बचाव हो रहा है।

    सड़कों को खोदाई से बचाने के लिए लाई गई तकनीक

    वर्तमान में कई विधानसभा क्षेत्र में भूमिगत नई सीवर लाइन डालने, क्षतिग्रस्त का पता लगाकर उसे दुरूस्त करने सहित दिल्ली जल बोर्ड की लाइन की स्थिति का पता लगाने का काम किया जा रहा है।

    इस बार सड़कों को सुरक्षित रखने के लिए उनकी खोदाई से बचा जा रहा है। सड़कों को लंबी खोदाई से बचाने के लिए ''ट्रेंच लेस'' तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।

    इस अत्याधुनिक तकनीक में बिना सड़कों को खोदे, भूमिगत पाइपलाइन डालने की सुविधा है। इससे सड़कें सुरक्षित होने के साथ-साथ काम के दौरान यातायात को बाधित होने से भी नियंत्रित किया जा रहा है।

    ''ट्रेंच लेस'' मशीन से अंडर ग्राउंड की जा रही खोदाई

    इस तकनीक से सीवर व पेयजल की पाइपलाइन के लीकेज का भी आसानी से पता लगाया जा रहा है। इसके लिए सड़कों को खोदना नहीं पड़ रहा। इससे आप्टिकल फाइबर केबल बिछाने की तरह अंडर ग्राउंड खोदाई की जा रही है।

    इसमें एक रॉड की सहायता से 20 इंची सीवर लाइन बिछाने के लिए खोदाई होती है, ताकि खोदाई के दौरान मकान या दीवार गिरने खतरा न रहे।

    जहां सड़कों की चौड़ाई कम, वहां कारगर है तकनीक

    यह तकनीक सेंसर व माइक्रो कैमरे से युक्त है। इससे दिल्ली जल बोर्ड के लिए सीवर लाइन बिछाना एकदम आसान हो गया है। खासकर, उन क्षेत्रों में जहां सड़कों की चौड़ाई कम है और सीवर लेवल 10 फीट से नीचे है। ऐसी आबादी वाले क्षेत्र में अगर सड़क खोदकर 15 फीट नीचे सीवर लाइन बिछाते हैं तो घरों के गिरने का अंदेशा होता है।

    अंडरग्राउंड खोदाई में आने वाली अड़चनों का चल रहा पता

    ट्रेंच लैस तकनीक अत्याधुनिक मशीन से संचालित है। इसकी खोदाई करने वाली रॉड के आगे सेंसर लगा होता है, जो रास्ते में आनी वाली अड़चनों से ऑपरेटर को डिस्पले पर अवगत कराता है।

    अगर पुरानी सीवर लाइन, पेयजल लाइन, कोई पत्थर या अन्य बाधा है तो मशीन से ऑपरेट कर सेंसर दूसरी जगह लाइन खुदाई शुरू कर देती है।

    इसका ऑपरेटर माइक्रो कैमरे की सहायता से पाइप लाइन की स्थिति का पता लगाता रहता है। जैसे ज्वाइंट सही लगा या नहीं, लाइन में टूट-फूट तो नहीं, गलत जगह लाइन तो नहीं जुड़ गई, लेवल ठीक है या नहीं। यह सब उसे वीडियो डिस्प्ले पर दिखता रहता है।

    समय और लागत दोनों की हो रही बचत

    इस तकनीक से इंजीनियर्स और कर्मचारियों का काम आसान हो गया है। इसके साथ ही समय और लागत में भी बचत हो रही है।

    आमतौर पर सीवर लाइन बिछाने या लीकेज को ठीक करने के लिए जगह-जगह सड़कों की खोदाई करनी होती है। इसमें पूरा दिन एक जगह की लाइन बदलने में ही खप जाता है। इसके लिए दिल्ली जल बोर्ड को एमसीडी और पीडब्ल्यूडी सड़क संबंधित विभाग को खर्चा देना पड़ता है।

    काम पूरा होने पर भी कई सप्ताह तक सड़क को खोदा हुआ ही छोड़ दिया जाता है। इससे यातायात तो प्रभावित होता ही है, साथ ही सड़क हादसों की भी आशंका बनी रहती है। यदि सड़क बनाई जाती है तो खानापूर्ति कर दी जाती है।

    इस तकनीक से समय और लागत की बचत होने के साथ मुख्य सड़कों को सुरक्षित रखा जा रहा है। सीवर लाइन डालने के लिए सड़कों को पूरा नहीं खोदा जा रहा। हाल ही में इससे अलीगंज में करीब 300 फीट सीवर लाइन डालने का काम किया गया।

    -नीरज बैसोया, विधायक, कस्तूरबानगर

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