कोहरे में इस सिग्नल प्रणाली से नियंत्रित होंगी ट्रेनें, जानें- ट्रैक पर क्यो रखे जाएंगे डेटोनेटर
चालक व अन्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के साथ ही सिग्नल प्रणाली में भी कई बदलाव किए जा रहे हैं। स्वचालित सिग्नल प्रणाली के बजाय अर्द्ध स्वचालित सिग्नल प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। कोहरे में ट्रेनों का सुरक्षित परिचालन बड़ी चुनौती होती है। दृश्यता कम होने की वजह से चालक को सिग्नल देखने में दिक्कत होती है, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। इस परेशानी को दूर करने के लिए चालक व अन्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के साथ ही सिग्नल प्रणाली में भी कई बदलाव किए जा रहे हैं। स्वचालित सिग्नल प्रणाली के बजाय अर्द्ध स्वचालित सिग्नल प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा।
कोहरे में ट्रेनों के परिचालन पर काफी असर पड़ता है। इस मौसम में रेल प्रशासन की प्राथमिकता समयबद्धता के बजाय सुरक्षित परिचालन होता है। ट्रेनों की रफ्तार कम करने के साथ ही सिग्नल प्रणाली में भी बदलाव किया जाता है, जिससे कि चालक को सिग्नल संकेत का पता चल सके।
स्वचालित सिग्नल प्रणाली में रेड सिग्नल होने पर भी दिन में एक मिनट के इंतजार के बाद चालक नियंत्रित गति से ट्रेन को आगे बढ़ा सकता है, लेकिन अर्द्ध स्वचालित प्रणाली में रेड सिग्नल होने पर अगले निर्देश तक उसे रुकना होता है।
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक टीपी सिंह का कहना है कि सभी मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों के इंजन में फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाए जाएंगे। जीपीएस आधारित इस उपकरण से चालक को आने वाले सिग्नल की जानकारी मिलेगी, जिससे वह सतर्क होगा। इस समय उत्तर रेलवे में 2648 फॉग सेफ्टी डिवाइस हैं। वहीं, चालक को सतर्क करने के लिए डेटोनेटर (पटाखे) का भी प्रयोग किया जाएगा। इस व्यवस्था में घने कोहरे वाले क्षेत्र में सिग्नल से कुछ दूरी पर कर्मचारियों को तैनात किया जाता है।
कर्मचारी ट्रैक पर डेटोनेटर रखता है, जिस पर ट्रेन का पहिया पड़ते ही तेज आवाज होती है। इससे चालक को पता चल जाता है कि सिग्नल आने वाला है। सिग्नल नजदीक होने की चेतावनी देने के लिए ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर (ओएचई) के खंभों पर चमकीले संकेतक भी लगाए जा रहे हैं। ओएचई में लगाए गए चीनी मिट्टी के इंसुलेटर की सफाई और क्षतिग्रस्त इंसुलेटर को बदलने का काम किया जा रहा है। पक्षियों के घोंसले और पतंग के धागों से ओएचई के खराब होने का खतरा रहता है, इसलिए इन्हें भी हटाया जा रहा है।
टीपी सिंह ने बताया कि रेलवे ट्रैक और इंजन में लगे उपकरणों की जांच कर किसी तरह की खराबी होने पर उसे दुरुस्त करने का भी निर्देश दिया गया है। कोहरे में ट्रेन चलाने के लिए विशेष दिशा-निर्देश भी तैयार किए गए हैं। चालकों व अन्य कर्मचारियों को हरहाल में इसका पालन करना होगा। इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। 15 दिसंबर तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा।