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    Jantar Mantar: दिल्ली के जंतर मंतर के यंत्रों में नहीं घुस पाएंगे पर्यटक

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Wed, 02 Dec 2020 12:37 PM (IST)

    जंतर मंतर के यंत्रों में पर्यटक अंदर घुस जाते हैं और यंत्रों के अंदर के भागों में खड़े होकर फोटो खिचवाते हैं या फिर अंदर बैठते हैं। कर्मचारियों की कमी के कारण पूरी तरह से ऐसे लोगों पर नजर नहीं रखी जा पा रही है।

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    जंतर मंतर एक खगोलीय वेधशाला है। इसका निर्माण महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1724 में करवाया था।

    नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। राष्ट्रीय स्मारकों में शुमार दिल्ली के जंतर मंतर के यंत्रों को यहां आने वाले पर्यटक खराब कर रहे हैं। इसे देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इनके अंदर घुसने वालों पर सख्ती के आदेश दिए हैं। इस स्मारकों के अंदर क्या खास है? इसे दिखाने के लिए एएसआइ इस स्मारक के बाहर इलेक्ट्रिक बोर्ड लगाएगी। जिन पर इन स्मारकों के अंदर का नजारा दिखाया जाएगा। अंदर के भागों के फोटो के साथ उसका महत्व भी बताया जाएगा।

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    जंतर मंतर के यंत्रों में पर्यटक अंदर घुस जाते हैं और यंत्रों के अंदर के भागों में खड़े होकर फोटो खिचवाते हैं या फिर अंदर बैठते हैं। कर्मचारियों की कमी के कारण पूरी तरह से ऐसे लोगों पर नजर नहीं रखी जा पा रही है। मगर अब एएसआइ ने इन यंत्रों के अंदर घुसने वालों पर सख्ती का मन बनाया है। एएसआइ के अधिकारियों का कहना है कि पहले यंत्रों की मिट चुकी मार्किंग का काम पूरा किया जाएगा। इसके बाद इनके अंदर जाने के रास्ते बंद कर दिए जाएंगे। पर्यटक बाहर से ही इन्हें देख सकेंगे।

    जंतर मंतर एक खगोलीय वेधशाला है। इसका निर्माण महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1724 में करवाया था। दिल्ली का जंतर-मंतर समरकंद की वेधशाला से प्रेरित है। बताया जाता है कि मोहम्मद शाह के शासन काल में हिंदू और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों की स्थिति को लेकर बहस छिड़ गई थी। इसे खत्म करने के लिए सवाई जय सिंह ने जंतर-मंतर का निर्माण करवाया। ग्रहों की गति नापने के लिए यहां विभिन्न प्रकार के यंत्र लगाए गए हैं। यहां बना सम्राट यंत्र सूर्य की सहायता से वक्त और ग्रहों की स्थिति की जानकारी देता है। मिस्र यंत्र से वर्ष के सबसे छोटे ओर सबसे बड़े दिन का पता किया जा सकता है। राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों की गति के बारे में बताते हैं।

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