दुनिया की बेहतरीन Student Friendly Cities में भारत के चार शहर, दिल्ली समेत इन शहरों ने बनाई जगह
भारत के चार शहर - दिल्ली मुंबई बेंगलुरु और चेन्नई - दुनिया के 130 शीर्ष छात्र शहरों में शामिल हैं। क्यूएस रैंकिंग में दिल्ली को सबसे किफायती शहर माना गया है। विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली में शिक्षा और रहने की लागत कम है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति और विदेशी संस्थानों के साथ सहयोग से शिक्षा में बदलाव आ रहा है। IIT दिल्ली और मद्रास ने विदेश में परिसर खोले हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: भारत की शिक्षा और शहरी जीवनशैली को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है। दुनिया की शीर्ष 130 स्टूडेंट-फ्रेंडली सिटी की सूची में भारत के चार शहरों दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई शामिल किया गया है।
क्यूएस (क्यूएस) बेस्ट स्टूडेंट सिटी रैंकिंग में इस बार दिल्ली को विश्व की सबसे सस्ती स्टूडेंट सिटी के रूप में भी स्थान मिला है। यह रैंकिंग मंगलवार को जारी की गई।
अब दिल्ली शिक्षा के उच्च स्तर तक पहुंचने के साथ किफायती भी साबित होकर अंतरराष्ट्रीय छात्रों को लुभाने के लिए तैयार हो रही है। रैंकिंग में किफायती यानी जीवनयापन की लागत के आधार पर दिल्ली को नंबर वन पर रखा गया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली में सरकारी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों की फीस वैश्विक मानकों के मुकाबले काफी कम है, साथ ही सार्वजनिक परिवहन, छात्रावास और रहने की लागत भी तुलनात्मक रूप से सस्ती है।
काॅमनवेल्थ स्टूडेंट्स के एशिया रिप्रजेंटेटिव छात्र फलित सिजारिया ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद से भारत की शिक्षा में व्यवस्थागत बदलाव हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म तैयार हो रहे हैं। भारत के शैक्षणिक संस्थान ने विदेशी संस्थानों के साथ करार किए हैं। इससे भारत के छात्र विदेश जा रहे हैं।
IIM में पढ़ने वाले छात्र एक सेमेस्टर की पढ़ाई विदेश से कर रहे हैं। भारत में विदेशी संस्थान खुलने का रास्ता बना है। हाल में मुंबई में एक समारोह में पांच विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में शुरू किए जाने का करार हुआ है।
IIT दिल्ली ने अबुधाबी में परिसर शुरू किया है और IIT मद्रास ने तंजानिया में परिसर खोला है। अशोका विश्वविद्यालय, चाणक्य विश्वविद्यालय जैसे संस्थान अंतरराष्ट्रीय विभाग स्थापित कर विदेश के छात्रों को भारत में पढने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।
फलित ने कहा, इससे बदलाव शुरू हुआ है। दिल्ली की तुलना दूसरे देशों के शहरों से करें तो यह सस्ती ही है। अमेरिका में महीने में एक-एक लाख रुपये तक किराया चुकाना पड़ता है। कनाडा में हाउसिंग गिर रही है। रहने की जगह कम हो रही है।
यूके और कनाडा में पहले की तुलना में नौकरियां सृजित नहीं हो रही हैं। भविष्य में भारत को इसका फायदा मिलेगा। दिल्ली में रहना महंगा नहीं है। छात्रावास मिले तो और सस्ता है। अगर न मिले तो भी 15 से 20 हजार तक अच्छे से अच्छा आवास मिल जाता है।
तकनीकी संस्थानों की फीस विदेशी संस्थानों की तुलना में काफी कम है। इसका फायदा दिल्ली को मिलने वाला है। वर्तमान में सार्क देशों के लिए साउथ एशियन यूनिवर्सिटी है।
डीयू, जेएनयू में विदेशी छात्रों के लिए अच्छा माहौल बनाया गया है। डीयू ट्विन डिग्री जैसे प्रोग्राम ला रहा है। जिसमें एक सेमेस्टर की पढ़ाई बाहरी देशों के विश्वविद्यालयों में करने के मौके मिलेंगे। इससे बड़ा बदलाव आएगा।
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