...तो इस वजह से 26 वर्षों तक नहीं बन सका शौचालय, 2 गुटों में बंटे हैं दुकानदार
एक गुट चाहता है कि शौचालय बने, जबकि दूसरा इसका विरोध करता है। इसी कशमकश में शौचालय का आज तक निर्माण नहीं हो सका।
नई दिल्ली [जेएनएन]। 'जहां सोच, वहां शौचालय'..। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विद्या बालन और अमिताभ बच्चन जैसे बॉलीवुड सितारों को यह नारा देते हुए आपने भी देखा-सुना होगा। जगह-जगह शौचालय बनाए भी जा रहे हैं, लेकिन राजधानी दिल्ली के उत्तरी पूर्वी जिले के दिलशाद गार्डन स्थित बी और ई पॉकेट में बने डीडीए के चेतक कॉम्सलेक्स में पिछले 26 वर्षों से सिर्फ इसलिए शौचालय नहीं बना, क्योंकि मार्केट के दुकानदारों को आशंका है कि इससे उनकी दुकान के आसपास गंदगी फैलेगी।
मार्केट में 39 दुकानें हैं, जहां सैकड़ों लोग काम करते हैं और रोजाना बड़ी संख्या में लोग खरीदारी करने भी पहुंचते हैं, लेकिन शौचालय नहीं होने के कारण सभी परेशान होते हैं। अगर किसी मद से शौचालय बनाने कोई जाता भी है तो उसे दुकानदारों के दो गुटों का सामना करना पड़ता है। एक गुट चाहता है कि शौचालय बने, जबकि दूसरा इसका विरोध करता है। इसी कशमकश में शौचालय का आज तक निर्माण नहीं हो सका।
जानें दुकानदारों की राय
दुकानदार यत्न अरोड़ा कहते हैं कि हमें भी अच्छा नहीं लगता कि दीवारों को गंदा करें। मां-बेटी, बहनों के सामने खुद को लज्जित करें। मार्केट में शौचालय के निर्माण के लिए दुकानदारों ने हर एक विभाग और जनप्रतिनिधि का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कहीं भी दुकानदारों की फरयाद नहीं सुनी गई। यहां के स्थानीय जनप्रतिनिधि रसूखदारों के दबाव के कारण शौचालय नहीं बनवा पा रहे हैं। 26 वर्षों से यहां के दुकानदार शौचालय के निर्माण की लड़ाई लड़ रहे हैं। डीडीए के प्रोजेक्ट में भी यहां शौचालय बनवाना था, लेकिन आज तक नहीं बना।
दुकानदार अमित मित्तल कहते हैं कि शौचालय को लेकर दुकानदार एकजुट नहीं हैं। कोई दुकानदार अपनी दुकान के आगे शौचालय नहीं बनने देना चाहता है। मार्केट के पीछे गैलरी है, वहां बन सकता है, लेकिन दुकानदार यहां भी नहीं बनने देते।
सड़क पर तो शौचालय बन नहीं सकता
दिलशाद गार्डन निगम पार्षद संजय गोयल का कहना है कि नगर निगम मार्केट में शौचालय बनाने को तैयार है, लेकिन दुकानदार दो गुटों में बंटे हुए हैं। सड़क पर तो शौचालय बन नहीं सकता। मार्केट में जहां भी जगह होगी, वहीं शौचालय बनाया जाएगा और उसकी साफ-सफाई निगम करेगा।
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