Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस साल दिल्ली की सड़कों से हट जाएंगी 2000 से ज्यादा पुरानी बसें, क्या है रेखा गुप्ता सरकार के सामने नई चुनौती

    दिल्ली में बसों की कमी एक बड़ी समस्या है। पुरानी बसें सड़कों से हट रही हैं और उस अनुपात में नई बसें नहीं आ रही हैं। इससे लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ता है और यातायात व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। निजी वाहनों की संख्या बढ़ने से प्रदूषण और जाम की समस्या भी बढ़ रही है। सरकार को इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द करना चाहिए।

    By V K Shukla Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Sat, 01 Mar 2025 10:51 AM (IST)
    Hero Image
    Delhi Government: दिल्ली सरकार के सामने बसों की संख्या बढ़ाने की चुनौती। फाइल फोटो

    वी के शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली में आवश्यकता की तुलना में कम बसें हैं। पुरानी बसें सड़कों से हट रही हैं और उस अनुपात नई बसें नहीं आ रही है। ऐसे में भाजपा सरकार के सामने पर्याप्त बसें उपलब्ध कराने की चुनौती बढ़ रही है। वर्ष 2025 में ही सड़कों से डीटीसी की 2000 से अधिक पुरानी बसें हट जाएंगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बसों की कमी से लोगों को बहुत देर तक बस का इंतजार करना पड़ता है। बसों की कमी को दूर करने के लिए पुरानी बसें भी चलाई जा रही हैं जो रास्ते में अक्सर खड़ी हो जाती हैं।

    निजी वाहनों से सड़कों पर लगता है जाम

    बसों की कमी का असर शहर की यातायात व्यवस्था पर भी पड़ रहा है। बसें कम होने के चलते लोग निजी वाहनों का सहारा ले रहे हैं , इससे सड़कों पर जाम लगता है और लाेग इससे भी परेशान होते हैं।

    दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन ढांचा कमजोर होने से शहर को कई तरीके के नुकसान उठाने पड़ रहे हैं। बसों की संख्या कम होने से एक तरह लोग निजी वाहनों का सहारा ले रहे हैं और अपने वाहनों से अपने गंतव्य तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं।

     40 फीसदी वाहनों से होने वाला प्रदूषण शामिल

    इससे समस्या यह खड़ी हो रही है कि दिल्ली में निजी वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है और सड़कों पर भी इसका असर देखा जा रहा है। जगह-जगह जाम लग रहा है जो रास्ता आधे घंटे का होना चाहिए वह एक से डेढ़ घंटे तक का भी हो जा रहा है।

    दूसरा निजी वाहनों की संख्या बढ़ने से दिल्ली में प्रदूषण प्रदूषण का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो दिल्ली में होने वाले कुल प्रदूषण में 40% वाहनों से होने वाला प्रदूषण शामिल है। उधर निजी वाहनों के सड़कों पर निकलने से लोगों को बसों की अपेक्षा ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।

    दिल्ली में कुल 11 हजार बसों की जरूरत

    बसों को लेकर प्रयासों की बात की जाए तो पिछली सरकार इस बारे में कुछ खास नहीं कर पाई। यहां तक कि सरकार सत्ता में आने के बाद 2015 से ही लगातार इस बात को दोहराती रही की 2025 तक बसों का बेड़ा 10000 से ऊपर कर दिया जाएगा मगर ऐसा नहीं हो सका।

    पिछली सरकार कुल मिलाकर नई बसों में 2500 के करीब ही बढ़ोतरी कर सकी जबकि इससे कहीं ज्यादा बसें पुरानी होकर सड़कों से हट गईं। दिल्ली में कुल 11 हजार बसों की जरूरत है मगर उपलब्ध 7500 के करीब ही हैं।

    यह भी पढ़ें: जरूरतमंद बच्चों की देखभाल भी नहीं कर सकी पिछली सरकार, CAG Report में हुआ नया खुलासा