'जन्म से लेकर मरण तक टैक्स ही टैक्स', सांसद राघव चड्ढा ने लोगों पर टैक्स के बढ़ते बोझ का बयां किया दर्द
आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद राघव चड्ढा ने गुरुवार को राज्यसभा में कर व्यवस्था को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि भारत में नागरिकों को जीवन के हर चरण में टैक्स देना पड़ता है- जन्म से लेकर मृत्यु तक। चड्ढा ने सवाल उठाया कि भारी-भरकम कर भुगतान के बावजूद नागरिकों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवा शिक्षा और बुनियादी ढांचा क्यों नहीं मिल पा रहा है।

एएनआई, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने गुरुवार को राज्यसभा में भारत की कर प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने जीवन के हर चरण में करों के बोझ को स्पष्ट करते हुए कहा कि जन्म से लेकर मृत्यु तक सरकार नागरिकों की मदद करने के बजाय उन पर टैक्स लगाती है। चड्ढा ने यह भी पूछा कि क्या नागरिकों को उनके द्वारा दिए गए करों के बदले विश्व स्तरीय स्वास्थ्य, शिक्षा या बुनियादी ढांचा मिलता है?
चड्ढा ने कहा, "जीवन में दो चीजें निश्चित हैं- मृत्यु और कर। जैसे ही बच्चा जन्म लेता है, उसे दी जाने वाली वैक्सीन पर 5% जीएसटी लगता है। अगर अस्पताल का कमरा 5,000 रुपये से अधिक का है, तो उस पर भी 5% जीएसटी देना पड़ता है। शिशु देखभाल उत्पादों और मिठाइयों पर भी 5% जीएसटी लागू होता है।"
राज्यसभा सांसद ने कहा कि विश्व गुरु बनने आए थे लेकिन टैक्स गुरु बनकर रह गए हैं। जनता इतना टैक्स सरकार को देती है लेकिन टैक्स के बदले जनता को क्या मिलता है?
- क्या जनता को क्वालिटी हेल्थ केयर मिलती है?
- क्या बच्चों को वर्ल्ड क्लास शिक्षा मिलती है?
- क्या 24 घंटे बिजली मिलती है?
- क्या वर्ल्ड क्लास सड़कें मिलती हैं?
आखिर जनता जो इतना टैक्स देती है, उसका केंद्र सरकार करती क्या है?
बचपन में कई चीजों पर देना होता है टैक्स
उन्होंने बचपन के चरण का जिक्र करते हुए कहा कि बेबी फूड पर 12-18%, डायपर और खिलौनों पर 12%, और मुंडन जैसी सेवाओं पर 18% जीएसटी लगता है। स्कूल यूनिफॉर्म, जूते, नोटबुक (12% जीएसटी) और स्टेशनरी (18% जीएसटी) भी कर के दायरे में आते हैं।
किशोरावस्था में हर चीजों पर देना होता है टैक्स
किशोरावस्था में स्मार्टफोन, रिचार्ज, इंटरनेट, नेटफ्लिक्स, और मूवी टिकट पर जीएसटी लागू होता है। पहली बाइक या स्कूटर पर भी कर देना पड़ता है। उच्च शिक्षा में निजी कॉलेज की फीस, हॉस्टल, और छात्र ऋण पर जीएसटी लगता है। करियर शुरू होने पर टीडीएस और आयकर कटता है, रेस्तरां बिल और बीमा प्रीमियम पर भी कर लागू होता है।
रिटायरमेंट में पेंशन और दवाइयों पर कर का भार
मध्यम आयु में आय बढ़ने के साथ आयकर, कार पर जीएसटी, ईंधन पर वैट, और संपत्ति कर का बोझ बढ़ता है। रिटायरमेंट में पेंशन, ब्याज आय, स्वास्थ्य बिल, दवाइयों, और वसीयत के कानूनी शुल्क पर भी कर लगता है। चड्ढा ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार हर कदम पर कर वसूलती है, लेकिन नागरिकों को उसके बदले क्या मिलता है, यह सवाल अभी भी बना हुआ है।
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