वक्त आ गया है कि अस्पतालों में इलाज के रेट तय करे सरकार: डॉ. दलाल
प्राइवेट अस्पताल इलाज करने का स्थान नहीं हैं, बल्कि एक बड़े उद्योग बन चुके हैं। हमें इसे उद्योग बनने से रोकना चाहिए था और हुआ यह कि हम रोक नहीं पाए।
गुरुग्राम [जेएनएन]। चिकित्सक को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। यह ऐसे ही नहीं है। इसके पीछे लोगों की अनुभूति रही है। पीड़ा झेल रहे मरीज को आधी राहत तो डॉक्टर के पास आते ही मिल जाती है। दिल्ली के मैक्स तथा गुरुग्राम के फोर्टिस व पार्क जैसे अस्पताल प्रबंधन पर जिस तरह के आरोप लग रहे हैं, उससे चिकित्सक बिरादरी को अपने अंदर झांकने का वक्त आ गया है। मामला तूल पकड़ने पर सरकार कदम तो उठा रही पर हरियाणा स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पूर्व अधिकारी और सख्त कदम उठाने की बात कह रहे हैं। दैनिक जागरण संवाददाता अनिल भारद्वाज ने इसी मसले पर हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (रिटायर) एसएस दलाल से बातचीत की। पेश हैं उसके मुख्य अंश।
सवाल- आज हर तरफ से आवाज आ रही है, प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल कसी जाए। मगर क्या अस्पताल का लाइसेंस रद करना सही कदम है?
जवाब- हमारी परेशानी यह है कि हम हादसा होने के बाद बहुत देरी से जागते हैं और आज भी पूरी तरह से जागे नहीं हैं। किसी अस्पताल का लाइसेंस रद करने, जैसा कि दिल्ली के मैक्स अस्पताल का किया गया है, करने से आप हजारों लोगों को इलाज से दूर रख रहे हैं। इससे सुधार नहीं होगा। सरकार के पास ऐसे साधन नहीं हैं जिससे लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में जाना ही नहीं पड़े। समस्या की जड़ तक कोई नहीं पहुंचना चाहता है। अस्पताल का महंगा बिल लोगों को मार रहा है उस पर कंट्रोल होना चाहिए। उसे कोई रोकना नहीं चाहता। अगर बिल सही तरीके से लिया जाएगा तो लोगों की बड़ी समस्या हल हो जाएगी। सरकार को हर चीज का रेट तय करना होगा।
सवाल- आरोप लग रहे हैं कि कई कुछ अस्पतालों के चिकित्सक फर्ज से अधिक कमाई पर जोर दे रहे हैं। इस पर आपकी क्या राय है?
जवाब- जाहिर सी बात है कि कई प्राइवेट अस्पताल डॉक्टरों को ज्यादा तनख्वाह दे रहे हैं तो डॉक्टरो को अस्पताल की आमदनी कराने का टारगेट भी देते होंगे। मेरी अपनी राय है कि कुछ प्राइवेट अस्पताल इलाज करने का स्थान नहीं हैं, बल्कि एक बड़े उद्योग बन चुके हैं। हमें इसे उद्योग बनने से रोकना चाहिए था और यह हुआ कि हम रोक नहीं पाए। हर अस्पताल के अपने नियम व फीस हैं। आज मरीज मजबूरी में प्राइवेट अस्पताल में जा रहा है ओर वो लाखों रुपये देकर मर भी रहा है। अगर आप को अच्छे डॉक्टर चाहिए तो सरकार को पहल करनी चाहिए। मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि मेडिकल लाइन को राजनीतिक स्वार्थ में खराब किया गया है। भारत में सिर्फ अच्छे डॉक्टर तैयार होते थे। इसी कारण पूरे विश्व भारत के डॉक्टरों का लोहा मानता है लेकिन ऐसे ही चलता रहा तो हम जल्द बहुत खराब हालात में होगे।
सवाल- क्या वजह है कि सरकारी अस्पतालों में अच्छे डॉक्टर नहीं आ रहे हैं?
जवाब- वैसे इसके कई कारण हैं। मुझे बोलने पर मजबूर किया है तो बस इतना ही कहना चाहता हूं कि सरकारी अस्पतालों में जब अच्छे डॉक्टर आएंगे जब योग्यता के बल पर अच्छे वेतन के साथ उनकी नियुक्ति होगी। विदेश से डिग्री लेकर आने वाले कभी भी अच्छे डॉक्टर नहीं बन सकते।
सवाल- चारों तरफ मांग है, और खासकर हरियाणा में मांग है कि क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू किया जाए। क्या यह एक्ट लागू होने के बाद सुधार होगा?
जवाब- बिल्कुल सुधार होगा। लेकिन (क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट) में कुछ सुधार करने की जरूरत है। यह एक्ट कई वर्ष पहले ही लागू होना चाहिए था। मैंने पहले भी कहा है कि जो दवा 5 रुपये की है वो 10 रुपये में मिल रही है और बेड चार्ज, आइसीयू चार्ज, वेंटिलेटर आदि चार्ज बहुत ज्यादा हैं। अगर इस तरह चार्ज कम होगा तो मरीजों को परेशानी नहीं होगी।
सवाल- लोगों का कहना है कि डॉक्टर ने लापरवाही की है। यह कौन तय करे, कि डॉक्टर की लापरवाही थी या नहीं। अगर लापरवाही थी तो क्या सजा होनी चाहिए?
जवाब- देखिए सजा तय करने का मेरा काम नहीं है लेकिन सजा तय होनी चाहिए। डॉक्टर की लापरवाही रही या नहीं रही। यह तय करने में ज्यादा कोई मुश्किल नहीं है। लेकिन यह निर्भर करता है उस जांच टीम पर की वो ईमानदारी से जांच करे।
सवाल- बात प्राइवेट अस्पतालों तक नहीं रही। आज सरकारी अस्पतालों में भी ऐसे डॉक्टर हैं, जिन्हें काम नहीं आता। सीनियर ही कहते हैं पता नहीं कैसे डॉक्टर बन गए।
जवाब- (हंसते हुए) सच जानिए अब मेडिकल में डिग्री बिकने लगी है। अब कोई भी पैसे वाला अपने बेटे-बेटी को डॉक्टर बना सकता है। अभी आपको अस्पताल में एक-दो झोला छाप दिख रहा। एक ऐसा समय भी आएगा कि जब कुशल डॉक्टर सरकारी अस्पतालो में नहीं रह जाएंगे। अब ज्यादातर अच्छे डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग में नही आ रहे हैं और सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। आप देखें कि जिन डॉक्टरों की 20 वर्ष सेवाएं हो रही हैं, वो नौकरी छोड़ रहे हैं। और जो नए आ रहे हैं वो कहां और कैसे दाखिले में पढ़े यह देखना होगा। आप डॉक्टरों की संख्या पूरी करने के चक्कर में किनके हाथों में लोगों की जान बचाने की जिम्मेदारी दे रहे हैं यह देखना चाहिए।
नाम : एसएस दलाल
वर्ष 1973 रोहतक मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस किया
ज्वाइंनिग: हरियाणा मेडिकल सर्विसिज : वर्ष 1976
एमडी: वर्ष 1987 रोहतक मेडिकल कॉलेज
सेवानिवृत्ति: 2010, स्वास्थ्य निदेशक पद से
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