सीरिया में बैठे आतंकी भारत में पढ़े-लिखे युवाओं का कर रहे ब्रेन वॉश, टेलीग्राम ग्रुप के जरिए किया जा रहा टारगेट
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के सूत्रों का मानना है कि टेलीग्राम पर सीरिया में बैठे एक ही ग्रुप के लोग युवाओं व खासतौर पर इंजीनियरिंग के युवाओं को भड़का रहे हैं। इसी तरह के ग्रुप को दिल्ली और पुणे में भी पकड़ा गया था। माना जा रहा है कि इंजीनियरिंग के छात्रों को ऑनलाइन भड़काने के पीछे आईएस ही है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हाल के वर्षो में पढ़े लिखे युवाओं का आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट व अन्य संगठनों के प्रति झुकाव को देखकर भारतीय जांच एजेंसी हैरान हैं। कई मामला सामने आने पर सवाल उठने लगे हैं कि क्या भारत में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट व अन्य संगठन पढ़े-लिखे युवाओं का ब्रेन वॉश कर उन्हें आतंकी बनाने की कोशिश कर रहे हैं ?
पिछले हफ्ते असम पुलिस आईआईटी गुवाहाटी के फाइनल ईयर के छात्र तौसीफ अली फारूकी को आइएस के लिए काम करने के आरोप में पकड़ चुकी है। मूलरूप से दिल्ली के जाकिर नगर, वेस्ट डी ब्लॉक में रहने वाले तौसीफ अली फारूकी की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को पता चला चलने पर सेल के अधिकारियों ने उससे व उसके स्वजन से लंबी पूछताछ की थी।
वह उस दौरान भी वह सीरिया जाने के लिए व्याकुल था। जाकिर नगर में उसकी मां, बहन व मामा रहते हैं। अजीब विचारधारा का पता चलने पर सेल ने तौसीफ अली फारूकी पर कोई कार्रवाई किए बिना छोड़ दिया था।
ऑनलाइन भड़काने के पीछे आईएस का हाथ
खुफिया सूत्रों का मानना है कि टेलीग्राम पर सीरिया में बैठे एक ही ग्रुप के लोग युवाओं व खासतौर पर इंजीनियरिंग के युवाओं को भड़का रहे हैं। इसी तरह के ग्रुप को दिल्ली और पुणे में भी पकड़ा गया था। माना जा रहा है कि इंजीनियरिंग के छात्रों को ऑनलाइन भड़काने के पीछे आईएस ही है। ऑनलाइन ग्रुप के जरिए भड़काए गए छात्रों में जामिया मिलिया इस्लामिया से एमटेक ग्रेजुएट अरशद वारसी और दिल्ली में पिछले अक्टूबर में गिरफ्तार हुए एनआईटी नागपुर से बीटेक करने वाले मोहम्मद शाहनवाज शामिल हैं।
हाल ही में बीटेक ग्रेजुएट हारिस फारूकी को भी गिरफ्तार किया गया है। ये तीनों दिल्ली, अलीगढ़ और पुणे से जुड़े एक ही गुट के सदस्य हैं और हारिस की इन मॉड्यूलों में अगुवाई करने की भूमिका थी। एनआइए सूत्रों की मानें हारिस गुप्त चैटिंग एप के जरिए विदेशी हैंडलर के संपर्क में था।
अक्टूबर में शाहनवाज को गिरफ्तार किया
उस पर इंटरनेट मीडिया के जरिए व आमने-सामने मिलकर भोले युवाओं को आईएस में शामिल होने के लिए तैयार करने और उन्हें आतंकी बनाने का आरोप है। उसने आईएस को समर्थन देने की वीडियो क्लिप्स और जिहाद से जुड़े सामग्री शेयर किया था।
स्पेशल सेल ने पिछले अक्टूबर में शाहनवाज को गिरफ्तार किया था। वह 2017 से ही जमाल नाम के एक सीरियाई टेलीग्राम अकाउंट के संपर्क में था। जमाल अफगानिस्तान का रहने वाला था, जिसे फरवरी 2018 में तालिबान-आइएस युद्ध में मार दिया गया।
'हुजैफा अल बक़िस्तानी और कासिम खुरासानी नाम के दो अन्य अफगान नागरिकों के भी वह संपर्क में रहता था। टेलीग्राम और राकेट जैसे चैट एप पर ये अकाउंट अलग-अलग लोगों द्वारा चलाए जा रहे थे। तौसीफ फारूकी को तीन अप्रैल तक रिमांड पर लेकर एनआइए व असम पुलिस पूछताछ कर रही है।
तौसीफ ने खुद को भारतीय संस्थाओं से अलग किया
गिरफ्तारी से पहले अपनी लिंक्डइन पोस्ट में तौसीफ फारूकी ने खुद को भारतीय संविधान और उसकी संस्थाओं से अलग कर लिया था। उसने लिखा था कि 'अपने पछतावे के बाद मेरा पहला कदम मुसलमानों की तरफ हिज्र (पलायन) करना है, जिसे इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत के नाम से जाना जाता है ताकि मुस्लिम नेतृत्व (इस्लामिक स्टेट) के प्रति अपनी वफादारी की कसम खा सकूं।
यह मुसलमानों और काफिरों (गैर-मुस्लिमों) के बीच की लड़ाई है। तौसीफ के कमरे से आइएस का झंडा भी मिला है। संस्थान का एक अन्य छात्र जो दिल्ली का रहने वाला है उसकी भी आतंकी लिंक की जांच की जा रही है।