घुसपैठिये नौकरी और संसाधनों पर कब्जा करेंगे, तो भारतीय मुसलमान कहां जाएंगे?, एमआरएम ने उठाया सवाल
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने रजत जयंती पर अखिल भारतीय मुस्लिम महासम्मेलन किया जिसमें हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया गया। इंद्रेश कुमार ने आतंकवाद को शैतानियत बताया और घुसपैठियों को स्थानीय मुसलमानों के लिए खतरा कहा। वक्फ संपत्तियों के मुद्दे पर भी बात हुई। मौलाना उमेर इलियासी ने हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया और कहा कि हम सबका डीएनए एक है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने अपनी स्थापना के 25वें वर्ष में अखिल भारतीय मुस्लिम महासम्मेलन के जरिए अन्य मुस्लिम संगठनों के बीच अपनी प्रभावी मौजूदगी का अहसास कराया।
जिसमें धर्म के नाम पर अलग पहचान की मांग नहीं, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश निकला। घुसपैठियों और आतंकवाद पर करारा प्रहार किया गया तो राष्ट्रीयता की पहचान व एकता पर विशेष जोर दिया गया।
तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित सम्मेलन में देशभर से हजारों की संख्या में एमआरएम व अन्य प्रगतिशील मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारियों, बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने देश में सामाजिक सद्भाव और सकारात्मक नेतृत्व की नई राह दिखाई।
संदेश दिया कि देश के मुसलमान अब दर्शक नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदार बनेंगे। सम्मेलन में सभी ने इसका संकल्प लिया।
एमआरएम के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने अपने संबोधन में आतंकवाद पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि उसका कोई धर्म, जाति या रंग नहीं होता, वह केवल शैतानियत है। उन्होंने जोर देकर कहा, "हम हिन्दुस्तानी थे, हैं और रहेंगे। हमारी पहचान पर कोई सवाल नहीं उठा सकता।"
उन्होंने बिहार में एक कार्यक्रम का जिक्र कर रोहिंग्या और घुसपैठियों के मुद्दे को आक्रमक तरीके से उठाते हुए चेताया कि अगर घुसपैठिये यहां नौकरी और संसाधनों पर कब्जा करेंगे, तो स्थानीय मुसलमान कहां जाएंगे? विश्व में इतने सारे मुस्लिम देश हैं, जो मुस्लिमों के ठेकेदार बनते हैं।
उन्होंने रोहिग्याओं को अपने यहां क्यों नहीं रखा? कहा, हमारा देश अपने लोगों को आतंक और बेरोजगारी का जीवन देने के लिए नहीं है। लेकिन यहां के सियासतदानों ने यहां के लोगों के पेट पर लात मारकर और वोट बैंक के लिए रोहिंग्याओं व बांग्लादेशियों को बसाया।
आई लव पैगंबर के जरिए बंटवारे के बीज बो रहे मुस्लिम संगठनों से आगाह करते हुए कहा कि किसी भी पैगंबर ने किसी और पैंगबर को गाली नहीं दी। सबकी इज्जत की शिक्षा दी। फिर यह फितरत कहां से आई।
उन्होंने याद दिलाया कि एमआरएम ने तीन तलाक को खत्म कराने की लड़ाई लड़ी और यह हमेशा महिलाओं की अस्मिता और समाज की इज्जत की रक्षा के लिए खड़ा रहा है।
वक्फ पर बनी जेपीसी के चेयरमैन और वरिष्ठ सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि कुछ लोगों ने मुस्लिमों को गुमराह करने की कोशिश की कि वक्फ संशोधन कानून वक्फ संपत्ति छिनने के लिए है।
ऐसा कुछ नहीं है, सवाल कि जब वक्फ संपत्तियों को खुर्दबुर्द किया जा रहा था। कौड़ियों के दाम पर बेचा जा रहा था। उसपर आलिशान होटल तैयार हो रहे थे। तब यह झंडाबरदार कहां थे। सरकार का यह कदम यतीमों, बेवाओं, गरीब, पसमांदा को उनका हक देने के लिए है।
अजमेर शरीफ दरगाह के चेयरमैन ख्वाजा नसरुद्दीन ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे न्यायप्रिय देश है जहां हर नागरिक को बराबरी का अधिकार प्राप्त है।
ऑल इंडिया इमाम आर्गेनाइजेशन के चीफ इमाम मौलाना उमेर इलियासी ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम सबका डीएनए एक है और हमें इस साझा पहचान को कभी नहीं भूलना चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जाटिया ने मंच की निरंतर प्रगति और उसके राष्ट्र निर्माण में योगदान की प्रशंसा की।
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