'इंडिया' शब्द को बदलकर भारत या हिंदुस्तान करने पर जल्द करें फैसला', दिल्ली हाईकोर्ट ने दिए केंद्र को निर्देश
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को इंडिया शब्द को भारत या हिंदुस्तान से बदलने पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता नमहा ने पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर शीर्ष अदालत ने 2020 में इसे प्रतिवेदन के रूप में संबंधित मंत्रालयों को विचार के लिए भेजा था। अब कोर्ट ने मंत्रालय को जल्द निर्णय लेकर याचिकाकर्ता को सूचित करने का निर्देश दिया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। केंद्र से संविधान में संशोधन करने और 'इंडिया' शब्द को भारत या हिंदुस्तान से बदलने के लिए एक प्रतिवेदन पर विचार करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का शीघ्रता से पालन करने का दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है। इसमें कहा गया कि केंद्र के वकील को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के शीघ्र अनुपालन के लिए संबंधित मंत्रालयों को उचित रूप से अवगत कराना चाहिए।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने उक्त निर्देश के साथ याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। याचिकाकर्ता नमहा ने शुरू में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और इस पर शीर्ष अदालत ने वर्ष 2020 में निर्देश दिया था कि याचिका को एक प्रतिवेदन के रूप में लेकर उपयुक्त मंत्रालयों द्वारा विचार किया जा सकता है।
मंत्रालय को जल्द से जल्द निर्णय लेने के निर्देश
इसके बाद याचिकाकर्ता नमहा ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव सागर के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्राधिकारियों को उनके आवेदन पर निर्णय करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने मंत्रालय को जल्द से जल्द निर्णय लेकर याची को सूचित करने का निर्देश दिया।
SC के फैसले पर केंद्र की तरफ से कोई अपडेट नहीं: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता ने शुरू में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसने 2020 में निर्देश दिया था कि याचिका को एक अभ्यावेदन के रूप में माना जाए जिस पर उपयुक्त मंत्रालयों द्वारा विचार किया जा सकता है। याचिका में कहा गया, "याचिकाकर्ता के पास वर्तमान याचिका के माध्यम से इस अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है क्योंकि याचिकाकर्ता के आवेदन पर लिए गए किसी भी निर्णय के बारे में केंद्र की ओर से कोई अपडेट नहीं है।"
'इंडिया' देश की संस्कृति-परंपरा का प्रतिनिधित्व नहीं करता: याचिकाकर्ता
याचिका में कहा गया है कि अंग्रेजी नाम 'इंडिया' देश की संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और इसका नाम बदलकर 'भारत' करने से नागरिकों को औपनिवेशिक बोझ से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी। इसलिए याचिका में संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन की मांग की गई है, जो संघ के नाम और क्षेत्र से संबंधित है।
1948 में भी भारत या हिंदुस्तान करने की थी मजबूत लहर: याचिकाकर्ता
याचिका में कहा गया है कि तत्कालीन मसौदा संविधान के अनुच्छेद 1 पर 1948 की संविधान सभा की बहस का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि उस समय भी देश का नाम 'भारत' या 'हिंदुस्तान' रखने के पक्ष में मजबूत लहर थी। हालांकि, अब समय आ गया है कि देश को उसके मूल और प्रामाणिक नाम यानी भारत से पहचाना जाए, खासकर तब जब हमारे शहरों का नाम बदलकर भारतीय लोकाचार के साथ पहचान की जा रही है।"
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