दिल्ली HC से ताहिर हुसैन को झटका, IB कर्मी अंकित शर्मा हत्याकांड में जमानत खारिज, 51 बार घोंपा गया था चाकू
दिल्ली HC ने आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस नीना बंसल ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। अभियोजन पक्ष ने हुसैन पर अंकित शर्मा को भीड़ से खींचकर 51 बार चाकू मारने और शव को नाले में फेंकने का आरोप लगाया है। कोर्ट ने साक्ष्यों से छेड़छाड़ की आशंका जताई है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले मुख्य आरोपित आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की दिक्कत बढ़ गई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने ताहिर की नियमित जमानत याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया। यह सुनवाई दयालपुर थाने में दर्ज प्राथमिकी के संदर्भ में की जा रही थी। यह फैसला सुनाकर जस्टिस नीना बंसल ने ट्रायल कोर्ट के पहले के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें हुसैन की जमानत याचिका खारिज की गई थी।
51 बार मारा गया था चाकू
पिछली सुनवाई के दौरान, विशेष लोक अभियोजक रजत नायर और दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ध्रुव पांडे ने कोर्ट को बताया था कि हुसैन ने शर्मा की हत्या में सीधे तौर पर भूमिका निभाई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि हुसैन ने दूसरों के साथ मिलकर अंकित शर्मा को भीड़ से खींचा, उन्हें 51 बार चाकू मारा और उनके शव को खजूरी खास के पास एक नाले में फेंक दिया।
साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ का खतरा
अभियोजन पक्ष के अनुसार, शर्मा दंगों के दौरान तनाव को शांत करने की कोशिश कर रहे थे।अभियोजन पक्ष ने आगे तर्क दिया कि कई प्रत्यक्षदर्शियों ने हुसैन को घटनास्थल पर भड़काऊ नारे लगाते हुए भीड़ को उकसाते हुए देखा। उनकी स्थानीय प्रभावशाली स्थिति को देखते हुए, उन्होंने चेतावनी दी कि जमानत देने से गवाहों को डराया-धमकाया जा सकता है और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है।
50 से अधिक लोगों की गई थी जान
24 मार्च, 2023 को, ट्रायल कोर्ट ने हुसैन और दस अन्य लोगों के खिलाफ अंकित शर्मा की हत्या के लिए हत्या के आरोप तय किए। ये आरोप फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा से उत्पन्न हुए थे, जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए थे। शर्मा का शव खजूरी खास के एक नाले से बरामद हुआ था, जिसमें 51 चाकू के घाव थे।
हुसैन, जो पांच साल से अधिक समय से हिरासत में है, ने जमानत के लिए आवेदन किया, यह तर्क देते हुए कि कोर्ट के त्वरित कार्यवाही के प्रयासों के बावजूद मुकदमा धीमी गति से चल रहा है। उनकी याचिका में दावा किया गया कि उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है और ट्रायल कोर्ट ने 12 मार्च, 2025 को उनकी जमानत याचिका खारिज करके गलती की।
पहचानने में विफल रहा
बचाव पक्ष ने दलील दी कि पांच सार्वजनिक गवाहों में से तीन ने हुसैन को निर्दोष बताया, जबकि दो अन्य गवाहों के बयान परस्पर विरोधी थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि पुलिस गवाहों ने अपने बयानों में 'महत्वपूर्ण सुधार' किए और शिकायतकर्ता स्वयं उस शिकायत को पहचानने में विफल रहा, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी।
(एएनआई के इनपुट के साथ)
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