Delhi: 'दुष्कर्म के आरोपित निलंबित उपनिदेशक को किया जाए बर्खास्त', स्वाति मालीवाल ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र
दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को दुष्कर्म के मामले में निलंबित दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के उप निदेशक को बर्खास्त करने की मांग की है। आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि अधिकारी पर नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने का आरोप है। साथ ही उसके खिलाफ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के संबंध में पहले भी चार शिकायतें दर्ज की गई थीं।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को दुष्कर्म के मामले में निलंबित दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के उप निदेशक को बर्खास्त करने की मांग की है।
आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि अधिकारी पर नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने का आरोप है। साथ ही उसके खिलाफ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के संबंध में पहले भी चार शिकायतें दर्ज की गई थीं। तीनों शिकायतकर्ताओं ने हाई कोर्ट से न्याय ही गुहार भी लगाई है। इसमें एक आवेदन को निस्तारित कर दिया गया था, जबकि दो अभी कोर्ट में अभी भी लंबित हैं।
आयोग ने की कई सिफारिश
आयोग ने यह भी सिफारिश करी कि सरकारी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराध के मामलों की निगरानी की जाए। सरकार को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम के तहत एक नई मजबूत आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना चाहिए, जिसमें लैंगिक मुद्दों पर काम करने वाले प्रमुख गैर सरकारी संगठनों के और बाहरी विशेषज्ञ शामिल हों।
यह समिति दिल्ली सरकार में तैनात अधिकारियों के खिलाफ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की सभी लंबित शिकायतों की जांच करे और अपनी रिपोर्ट सरकार के साथ-साथ दिल्ली महिला आयोग को तत्काल सौंपे। साथ ही सरकार को ऐसे अधिकारियों की सूची बनानी चाहिए जिनके खिलाफ महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले लंबित हैं और इसकी तत्काल जांच की जानी चाहिए।
DCW के साथ साझा हो डेटा
आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि ऐसे सभी अधिकारियों का एक डाटा बनाया जाना चाहिए, जिनके खिलाफ महिलाओं और बच्चों के खिलाफ पूर्व में या अभी अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं और इसमें शिकायत की स्थिति (दोषी ठहराया गया/ लंबित / निपटाया गया) की जानकारी भी होनी चाहिए।
इस डाटा को डीसीडब्ल्यू के साथ भी साझा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन सभी पिछली और लंबित शिकायतों की वरिष्ठतम अधिकारियों और विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा फिर से जांच की जानी चाहिए और प्रत्येक अधिकारी पर निर्णय लिया जाना चाहिए कि क्या संबंधित व्यक्ति संवेदनशील विभागों में तैनात होने के लिए उपयुक्त है या नहीं।
रिपोर्ट इनपुट- रीतिका
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