निठारी कांड में बड़ा फैसला, रेप व हत्या में कोली-पंधेर को फांसी की सजा
सुरेंद्र कोली को निठारी कांड के आठवें मामले में दोषी करार दिया गया है, जबकि कोठी के मालिक मोनिदर सिह पंधेर पर दूसरे मामले में दोष सिद्ध हुआ है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। देश-दुनिया में चर्चित निठारी कांड के 8वें मामले में सोमवार को गाजियाबाद की विशेष सीबीआइ अदालत ने दोषी करार दिए गए सुरेंद्र कोली और मोनिदर सिह पंधेर को फांसी की सजा सुनाई है। हालांकि, मोनिंदर सिंह को दूसरे मामले में यह सजा मिली है, जबकि कोली को आठवें मामले में सजा हुई।
Nithari Killings: CBI Court in Ghaziabad gives death sentence to Moninder Singh Pandher in Pinki Sarkar case. pic.twitter.com/EGr65XtAgN
— ANI UP (@ANINewsUP) July 24, 2017
सोमवार को सुनवाई के दौरान जज पवन कुमार तिवारी की अदालत में दोषियों को सजा को लेकर दोनों पक्षों में जमकर बहस हुई थी। बाद में जज ने इस मामले को 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' मानते हुए दोनों को फांसी की सजा दी है।
Nithari Killings: Surinder Koli also given death sentence in Pinki Sarkar case. Court considered the case as 'rarest of the rare'.
— ANI UP (@ANINewsUP) July 24, 2017
इससे पहले अदालत ने शनिवार को दोनों को हत्या एवं दुष्कर्म में दोषी करार दिया था। इसके पहले उन्होंने गत वर्ष दो मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी, एक मामले में सात अक्टूबर व दूसरे मामले में 16 दिसंबर को फैसला सुनाया था।
कभी अपनी सुविधाओं और ऐशो आराम के लिए पैसा पानी की तरह बहाने वाला पंधेर तीन साल बाद फिर सलाखों के पीछे पहुंच गया और सोमवार को सुनाई जाने वाली सजा को लेकर जेल में बेचैन रहा।
कोली - 364, 302, 201, 576/511, 120 बी आईपीसी
पंधेर - 302, 201, 120बी, आईपीसी।
सीबीआइ अदालत ने दोषी करार दिए गए सुरेंद्र कोली और मोनिदर सिह पंधेर को फांसी की सजा सुनाई। अब इस फैसले को लेकर पिंकी सरकार की मां ने कहा है कि दोषियों को सजा मिलने में अभी 10 से 11 वर्ष का समय लग सकता है, जबतक दोषियों को सजा नहीं मिल जाती वो चैन से नहीं बैठेंगी।
Court has given order, implementing it will take another 10-11 yrs. As long as that doesn't happen I won't be at rest:Mother of Pinki Sarkar pic.twitter.com/dOSlIEJk6o
— ANI UP (@ANINewsUP) July 24, 2017
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हालांकि परेशान सुरेंद्र कोली भी रहा। उसे लगातार सात मामलों में फांसी की सजा हो चुकी है। मोनिंदर सिंह को एक मामले में वर्ष 2009 में फांसी हुई थी, जिसे हाई कोर्ट ने समाप्त कर दिया था। रविवार को जेल में भोजन मिलने के बाद दोनों अभियुक्तों ने भरपेट भोजन भी नहीं किया।
बता दें कि सुरेंद्र कोली को निठारी कांड के आठवें मामले में दोषी करार दिया गया है, जबकि कोठी के मालिक मोनिदर सिह पंधेर पर दूसरे मामले में दोष सिद्ध हुआ है। एक मामले में 2009 में पंधेर व कोली को फांसी की सजा हुई थी, जिसमें पंधेर को हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था।
प्रदेश सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रखी है। खुली अदालत में फैसला सुनाने के दौरान एक तरफ जहां सुरेंद्र कोली कटघरे में खड़ा होकर ध्यान से आदेश सुनता रहा, वहीं दूसरी तरफ दोषी करार दिए जाते ही मोनिंदर सिह पंधेर फफक पड़ा।
कोली ने अदालत से बाहर निकलते ही निर्णय को एकतरफा बताया। कहा कि उसे सुना नहीं गया। फैसले के दौरान पीड़ित या आरोपी किसी भी ओर से कोई करीबी मौजूद नहीं रहा।
करनी पर रोया पंधेर
हवस शांत करने के लिए पानी की तरह पैसा बहाने वाला मोनिंदर सिह पंधेर दूसरी बार अपनी करनी पर कोर्ट में रोता रहा, लेकिन जब पुलिस जेल ले जाने लगी तो शांत हो गया। वहीं, सुरेंद्र कोली पहले की तरह ही मीडिया से बात करते हुए कोर्ट पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाता रहा।
अय्याशी के लिए डी-5 कोठी को बना रखा था अड्डा
पंजाब के व्यवसायी मोनिंदर सिह पंधेर ने अय्याशी के लिए नोएडा के निठारी में डी-5 कोठी में ठिकाना बना रखा था। आरोप है कि इस कोठी में 16 लोगों की हत्या की गई। इनमें आठ खून साबित हो चुके हैं। अदालत ने माना कि हत्याएं इसलिए की गई थीं कि कहीं दुष्कर्म के बाद पीड़िताएं मामले की जानकारी परिजनों को न दे दें।
यह थी घटना
सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक जेपी शर्मा ने बताया कि नोएडा के निठारी गांव में रह रही पश्चिम बंगाल के बहरामपुर निवासी 20 वर्षीय युवती सेक्टर 37 में एक कोठी में घरेलू सहायिका थी।
वह रोजाना निठारी के डी-5 कोठी के सामने से गुजरती थी। पांच अक्टूबर 2006 को वह कोठी में काम करने गई थी। काम खत्म करने के बाद उसने दोपहर 1.30 बजे वहीं सीरियल कुमकुम देखा और फिर घर के लिए रवाना हुई, लेकिन घर नहीं पहुंची। पिता ने नोएडा के थाना सेक्टर-20 में गुमशुदगी की तहरीर दी थी।
पुलिस ने 30 दिसंबर 2006 को नोएडा के सेक्टर 20 थाने में हत्या का मामला दर्ज किया। दस जनवरी 2007 को केस सीबीआइ को ट्रांसफर किया गया।
इस मामले में सीबीआई ने 11 जनवरी 2007 को पंधेर व कोली के खिलाफ युवती के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का मुकदमा दर्ज किया। जांच के बाद 11 अप्रैल 2007 को चार्जशीट पेश की।
सवा दस साल के मुकदमे की कार्रवाई में विशेष लोक अभियोजक ने 46 गवाहों को पेश कर बयान दर्ज कराए। वहीं, बचाव पक्ष की तरफ से तीन गवाह पेश किए गए। खास बात यह है कि सुनवाई के दौरान सुरेंद्र कोली ने 56 दिन स्वयं बहस की। उसने अपनी पैरवी करने वाले कई अधिवक्ताओं को हटा दिया था।
यह भी जानें
1. निठारी का नर पिशाच सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्मोड़ा के एक गांव का रहने वाला है।
2.सन 2000 में वह दिल्ली आया था।
3. दिल्ली में कोली एक ब्रिगेडियर के घर पर खाना बनाने का काम करता था। बताते हैं कि वह काफी स्वादिष्ट खाना बनाता है।
4. 2003 में मोनिंदर सिंह पंधेर के संपर्क में सुरेंद्र कोली आया। उसके कहने पर नोएडा सेक्टर-31 के डी-5 कोठी में काम करने लगा।
5. 2004 में पंढेर का परिवार पंजाब चला गया। इसके बाद वह और कोली साथ में कोठी में रहने लगे थे।
6. पंधेर की कोठी में अक्सर कॉलगर्ल आया करती थीं। इस दौरान वह कोठी के गेट पर नजर रखता था।
7. इस दौरान कोली धीरे-धीरे नेक्रोफीलिया नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित होता गया। बच्चों के प्रति आकर्षित होने लगा।
8. आरोप है कि वह कोठी से गुजरने वाले बच्चों को पकड़ कर उनके साथ कुकर्म करता और फिर उनकी हत्या कर देता।
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