नोएडा प्राधिकरण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, अफसरों के खिलाफ SIT जांच का निर्देश; ये है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी जांच का आदेश दिया है जिन पर बिल्डरों के साथ मिलकर भूमि मालिकों को अधिक मुआवजा देने का आरोप है। अदालत ने एसआईटी की रिपोर्ट स्वीकार की जिसमें आरोपों की जांच के लिए पर्याप्त सामग्री मिली। अदालत ने एक नई एसआईटी का गठन किया है जो बैंक खातों और संपत्तियों का आकलन करेगी।

पीटीआई, नई दिल्ली।Noida land compensation scam: सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अधिकारियों के खिलाफ एसटीआइ जांच का आदेश दिया है, जो आरोप है कि उन्होंने बिल्डरों के साथ मिलकर भूमि मालिकों को उनके हक से अधिक मुआवजा दिया। पीठ ने विशेष जांच दल (एसआइटी) की रिपोर्ट को स्वीकार किया, जिसमें आरोपों में प्रथम ²ष्टया जांच के लिए पर्याप्त सामग्री पाई गई।
यह मामला आठ सप्ताह बाद सुनवाई के लिए रखा गया और एसआइटी रिपोर्ट को अदालत की निगरानी में रखने का आदेश दिया गया। जस्टिस सूर्यकांत और जायमाल्या बागची की खंडपीठ ने बुधवार को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एसबी शिरडकर की अध्यक्षता में एसआइटी की सिफारिशों को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को सौंपने का निर्देश दिया, जिन्हें इसे मंत्रियों की परिषद के समक्ष रखने के लिए कहा गया ताकि नोएडा को ''महानगर परिषद'' में परिवर्तित करने पर विचार किया जा सके।
एसआइटी की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने तीन वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों की एक नई एसआइटी का गठन किया, जो नोएडा के अधिकारियों और अन्य लाभार्थियों के बैंक खातों और संपत्तियों का आकलन करेगी। इसमें फोरेंसिक आडिटर्स और आर्थिक अपराध ¨वग के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी।
पीठ ने कहा, ''उत्तर प्रदेश के डीजीपी को एसआइटी का गठन करना चाहिए जिसमें आइपीएस कैडर के तीन पुलिस अधिकारी शामिल हों, ताकि पिछले एसआइटी द्वारा पहचाने गए मुद्दों की जांच की जा सके।' शीर्ष अदालत ने 23 जनवरी को एसआइटी जांच के लिए चार मुद्दे निर्धारित किए थे।
- क्या भूमि मालिकों को दिया गया मुआवजा उनके हक से अधिक था, जैसा कि समय-समय पर अदालतों द्वारा पारित निर्णयों में कहा गया है।
- यदि हां, तो ऐसे अत्यधिक भुगतान के लिए जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी कौन थे।
- क्या लाभार्थियों और नोएडा के अधिकारियों/कर्मचारियों के बीच कोई साजिश या मिलीभगत थी।
- क्या नोएडा का समग्र कार्यप्रणाली पारदर्शिता, निष्पक्षता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता की कमी दर्शाती है।
पीठ ने नई एसआइटी को तुरंत प्रारंभिक जांच दर्ज करने और पिछले एसआइटी द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जांच करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा-
''यदि एसआइटी प्रारंभिक जांच के बाद पाती है कि एक प्रथम²ष्टया संज्ञेय अपराध किया गया है, तो यह मामला दर्ज करना चाहिए और कानून के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।''
नोएडा में नागरिक सलाहकार बोर्ड बनेजांच में पारदर्शिता के लिए पीठ ने मुख्य सचिव को चार सप्ताह के भीतर आइपीएस कैडर से या नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) से प्रतिनियुक्ति पर एक मुख्य सतर्कता अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया।
उत्तर प्रदेश सरकार को नोएडा में तुरंत नागरिक सलाहकार बोर्ड स्थापित करने का भी निर्देश दिया गया। पीठ ने कहा-
''मुख्य सचिव को भी सक्षम प्राधिकरण के समक्ष मामला प्रस्तुत करना और सुनिश्चित करना चाहिए कि नागरिक सलाहकार बोर्ड चार सप्ताह के भीतर गठित किया जाए।''
अदालत ने यह भी आदेश दिया कि नोएडा में कोई भी परियोजना पर्यावरणीय प्रभाव आकलन व सुप्रीम कोर्ट की ग्रीन बेंच द्वारा रिपोर्ट की स्वीकृति के बिना प्रभावी नहीं की जाए।
पहले भी गठित हुई थी एसआइटी23 जनवरी को जब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त पैनल नोएडा अधिकारियों द्वारा भूमि मालिकों को दिए गए अवैध मुआवजे के मुद्दे की जांच कर रहा था, तब शीर्ष अदालत ने इस पर ध्यान देते हुए एसआइटी का गठन किया।
यह निर्णय उस समय आया जब नोएडा प्राधिकरण के कानूनी सलाहकार और एक कानून अधिकारी की अग्रिम जमानत याचिकाओं की सुनवाई हो रही थी, जिन्हें कुछ भूमि मालिकों के पक्ष में बड़े मुआवजे जारी करने से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ रहा था, जो कथित तौर पर अपने अधिग्रहित भूमि के लिए ऐसे अत्यधिक मुआवजे की मांग करने के लिए हकदार नहीं थे।
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