लोधी काल की 'शेख अली की गुमटी' को संरक्षित स्मारक घोषित करे दिल्ली सरकार, SC ने दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लोधी काल के स्मारक शेख अली की गुमटी को संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए नई अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया। यह मामला तब सामने आया जब अदालत ने डिफेंस कॉलोनी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को ढांचे हटाने और दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग को 40 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार को लोधी कालीन स्मारक ''शेख अली की गुमटी'' को कानून के तहत संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए एक नई अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।
स्मारक को लेकर विवाद तब सुर्खियों में आया जब शीर्ष अदालत ने डिफेंस कॉलोनी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को यहां से अपने ढांचे हटाने और इस ऐतिहासिक स्थल पर कब्जे के लिए मुआवजे के रूप में दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग को 40 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ डिफेंस कालोनी निवासी राजीव सूरी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें गुमटी को प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 (एएमएएसआर अधिनियम) के तहत संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग की गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा 2019 में उनकी याचिका खारिज करने के बाद शीर्ष अदालत में यह याचिका दायर की गई थी। एएमएएसआर अधिनियम के तहत संरक्षित स्मारकों को कानूनी संरक्षण, संरक्षण प्रयासों और उनके आसपास की गतिविधियों पर प्रतिबंधों का लाभ मिलता है।
ताकि भविष्य की पीढि़यों के लिए उनका संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। ऐसे स्मारकों को क्षति, विनाश और उनके आसपास अनधिकृत निर्माण या उत्खनन से बचाया जाता है।
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