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    न्यायिक अधिकारियों को सॉफ्ट लोन न देने पर SC का दिल्ली सरकार को नोटिस, मामला है 10 लाख के कर्ज का

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 06:09 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को न्यायिक अधिकारियों को सॉफ्ट लोन सुविधा देने के निर्देशों का पालन न करने पर नोटिस जारी किया है। दिल्ली ज्यूडिशियल सर्विस एसोसिएशन ने अवमानना याचिका दायर की है। आरोप है कि सरकार ने दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया जिसमें न्यायिक अधिकारियों को वाहन खरीदने के लिए 10 लाख रुपये तक का सॉफ्ट लोन देने की बात थी।

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    मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर 2025 के लिए निर्धारित की गई है।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर न्यायिक अधिकारियों को सॉफ्ट लोन सुविधा देने के निर्देशों को लागू न करने के कथित उल्लंघन के लिए दिल्ली ज्यूडिशियल सर्विस एसोसिएशन द्वारा दायर अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर 2025 के लिए निर्धारित की गई है।

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    न्यूनतम ब्याज पर कर्ज की बात

    वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा द्वारा प्रस्तुत अवमानना याचिका में बताया गया कि 4 जनवरी 2024 के फैसले और बाद के अनुपालन आदेशों के बावजूद, दिल्ली सरकार ने द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिश को लागू नहीं किया है, जिसमें न्यायिक अधिकारियों को वाहन खरीदने के लिए 10 लाख रुपये तक का सॉफ्ट लोन न्यूनतम ब्याज पर देने की बात कही गई थी।

    6 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई

    एमिकस क्यूरी के रूप में पेश हुए अधिवक्ता के. परमेश्वर ने भी याचिका का समर्थन करते हुए जोर दिया कि इस निरंतर गैर-अनुपालन से कोर्ट के बाध्यकारी निर्देशों का जानबूझकर अवज्ञा होती है। मुख्य न्यायाधीश ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने पक्षों को सुनने के बाद दिल्ली के मुख्य सचिव और वित्त सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर 2025 के लिए निर्धारित की गई है।

    10 लाख रुपये तक का सॉफ्ट लोन

    दिल्ली ज्यूडिशियल सर्विस और हायर ज्यूडिशियल सर्विस के अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली दिल्ली ज्यूडिशियल सर्विस एसोसिएशन ने तर्क दिया कि सरकार ने जनवरी 2024 के फैसले के पैरा 33(जी) का पालन नहीं किया, जिसमें निर्देश दिया गया था कि न्यायिक अधिकारियों को कार खरीदने के लिए 10 लाख रुपये तक की सॉफ्ट लोन सुविधा न्यूनतम ब्याज पर प्रदान की जाएगी।

    'स्पष्ट अवमानना' करार दिया

    याचिका में उल्लेख किया गया कि जनवरी 2024 के फैसले के खिलाफ राज्य की समीक्षा याचिका खारिज कर दी गई थी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने चार सप्ताह के भीतर अनुपालन का आश्वासन दिया था। फिर भी दिल्ली सरकार ने न तो इस लाभ को लागू करने के लिए बजट आवंटित किया और न ही कोई योजना तैयार की। एसोसिएशन ने इस निष्क्रियता को सुप्रीम कोर्ट के फैसले और आदेशों का 'स्पष्ट अवमानना' करार दिया।

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