दिल्ली में रोज 3000 टन कचरा निस्तारित नहीं होने से सुप्रीम कोर्ट नाराज, आतिशी सरकार से मांगा हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रोजाना करीब 3000 टन कचरे के निस्तारण न हो पाने पर चिंता जताई है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कचरा प्रबंधन पर हलफनामा मांगा है। दिल्ली सरकार को हलफनामे में कचरा प्रबंधन नियम 2016 का अनुपालन करते हुए कचरा निस्तारण की टाइमलाइन बतानी होगी। कोर्ट ने कहा है कि रोजाना 3000 टन कचरा अनिस्तारित रहना शर्मनाक है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रोजाना करीब 3000 टन कचरे का निस्तारण न हो पाने पर चिंता जताई है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कचरा प्रबंधन पर हलफनामा मांगा है। दिल्ली सरकार को हलफनामे में कचरा प्रबंधन नियम 2016 का अनुपालन करते हुए कचरा निस्तारण की टाइम लाइन बतानी होगी। ये निर्देश न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने गुरुवार को कचरा प्रबंधन और प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान दिये।
कोर्ट ने राजधानी दिल्ली में रोजाना करीब 3000 टन कचरा अनिस्तारित रहने को शर्मनाक और चिंतनीय बताते हुए दिल्ली सरकार, एमसीडी और अन्य अथॉरिटीज से इस संबंध में कुछ नया रास्ता निकालने पर विचार करने को कहा है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार से राजधानी में रोज निकलने वाले कुल ठोस कचरे और उसके निस्तारण व प्रबंधन पर हलफनामा दाखिल करने को कहा था, साथ ही दिल्ली के मुख्य सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई में जुड़ने का निर्देश दिया था।
दिल्ली के पास 8073 टन कचरा प्रतिदिन निस्तारित करने की क्षमता
कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए दिल्ली सरकार और एमसीडी ने कोर्ट में कचरा प्रबंधन पर हलफनामा दाखिल किया था। साथ ही दिल्ली के मुख्य सचिव भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए थे। दाखिल हलफनामे में बताया गया था कि दिल्ली के एमसीडी के क्षेत्र में रोजाना 12 जोन और 250 वार्डों में 11000 टन कचरा निकलता है। दिल्ली के पास 8073 टन कचरा प्रतिदिन निस्तारित करने की क्षमता है जिसमें से 72000 टन कचरा प्रतिदिन निस्तारित किया जाता है जबकि 3800 टन कचरा अनिस्तारित बच जाता है जो कि गाजीपुर और भलस्वा के लैंडफिल क्षेत्र में डाला जाता है।
रोजाना गाजीपुर और भलस्वा में होती है डंपिंग
पीठ ने हलफनामा देखकर मुख्य सचिव से पूछा कि आपकी भविष्य की योजना क्या है। कैसे आप सारे कचरे का प्रबंधन करेंगे क्या आउटर डेड लाइन है। पीठ ने सवाल किया कि 2016 के रूल में टाइम लाइन तय की गई है दिल्ली उसका पालन कैसे कर रही है। कोर्ट ने दिल्ली को बेहतर हलफनामा दाखिल करने का समय देते हुए कहा है कि 3000 टन कचरा रोजाना अनिस्तारित न करना चौंकानेवाला है। यह शर्म की बात है। रोजाना गाजीपुर और भलस्वा में इसकी डंपिंग की जाती है।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वह हलफनामे में यह भी बताएगी कि पिछले एक वर्ष में लैंडफिल क्षेत्र में कचरे में कितने बार आग लगी है और इसे रोकने और प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए क्या उपाय किये गए हैं। कोर्ट ने 15 जनवरी तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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