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    सुप्रीम कोर्ट में वकील ने की शर्मनाक हरकत: CJI पर जूता फेंकने की कोशिश, SCBA ने की कड़ी निंदा

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 05:37 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने वकील द्वारा सीजेआई जस्टिस बीआर गवई के कोर्ट में जूता फेंकने की घटना की कड़ी निंदा की है इसे न्यायिक गरिमा पर हमला बताया है। वकील राकेश किशोर खजुराहो विष्णु मूर्ति मामले पर सीजेआई की टिप्पणी से नाराज़ थे। एसोसिएशन ने कहा कि ऐसी हरकत बेंच-बार के सम्मान को ठेस पहुंचाती है और अनुशासनात्मक कार्रवाई पर विचार कर रही है।

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    सुप्रीम कोर्ट में वकील ने की शर्मनाक हरकत: CJI पर जूता फेंकने की कोशिश, SCBA ने की कड़ी निंदा

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने सोमवार को एक वकील द्वारा मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई के कोर्ट में की गई जूता फेंकने जैसी अशोभनीय हरकत पर गहरा आक्रोश जताया है। एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से इस घटना की कड़ी निंदा की और कहा कि यह न्यायिक गरिमा पर सीधा हमला है। दरअसल, 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने खजुराहो विष्णु मूर्ति पुनर्स्थापना मामले में सीजेआई गवई के टिप्पणियों से नाराज होकर अपना जूता फेंकने की कोशिश की।

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    क्या है पूरा मामला

    इस बीच किशोर ने चिल्लाते हुए कहा, "सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।" हालांकि, जूता सीजेआई को नहीं लगा और जस्टिस विनोद चंद्रन के पास जा गिरा। सुरक्षाकर्मियों ने किशोर को तुरंत बाहर निकाल लिया। दिल्ली पुलिस ने बताया कि किशोर मयूर विहार के रहने वाले हैं और एससीबीए के अस्थायी सदस्य हैं। एसोसिएशन ने कहा, 'ऐसी असंयमित हरकत न्यायालय के अधिकारी के लिए पूर्णतः अशोभनीय है और बेंच-बार के बीच आपसी सम्मान की नींव को हिला देती है।'

    एसोसिएशन कार्रवाई पर विचार कर रही

    एसोसिएशन ने सीजेआई गवई की शांतिपूर्ण प्रतिक्रिया की सराहना की। दरअसल, इस घटना के बाद उन्होंने कहा था, 'ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं। सुनवाई जारी रखें।' एसोसिएशन ने सीजेआई और अन्य जजों के साथ एकजुटता जताते हुए चेतावनी दी कि बेंच और बार न्याय व्यवस्था के दो अभिन्न अंग हैं और इस बंधन को कमजोर करने वाली कोई भी कोशिश राष्ट्र की न्याय प्रणाली को नुकसान पहुंचाती है। एसोसिएशन अनुशासनात्मक कार्रवाई पर विचार कर रही है।

    मीडिया से भी जताई नाराजगी

    इसके अलावा एसोसिएशन ने कुछ मीडिया चैनलों की भूमिका की कड़ी आलोचना की। बयान में कहा गया कि सीजेआई के बयान को इरादतन तोड़-मरोड़ कर पेश करने और सनसनीखेज रिपोर्टिंग से जनाक्रोश भड़काया गया, जो न्यायिक स्वतंत्रता पर खतरा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने का लाइसेंस नहीं है।

    अन्य संगठनों ने भी जताया रोष

    वहीं, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) ने भी घटना की निंदा की और अवमानना कार्रवाई की मांग की। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने किशोर को प्रैक्टिस से निलंबित कर दिया है। यह घटना न्यायपालिका की गरिमा पर सवाल खड़े कर रही है जबकि सीजेआई गवई ने स्पष्ट किया कि वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।

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