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    Supertech Twin Towers: पूरी तरह से कामयाब रही नोएडा के ट्विन टावर को गिराए जाने की तकनीक, जानें क्या है इसका नाम?

    By Vinay Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Sun, 28 Aug 2022 03:44 PM (IST)

    Supertech Twin Towers नोएडा के ट्विन टावर को रविवार की दोपहर 2.30 बजे ध्वस्त कर दिया गया। इसको ध्वस्त करने में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया वो अपने आप में खास थी वरना टावर को गिराने में कई साल लग जाते।

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    Supertech Twin Towers: कंपनी के अधिकारियों ने बताया था कि किस तकनीक से इसे गिराया जाएगा।

    दिल्ली/नोएडा, एजेंसी। नोएडा सेक्टर 93ए स्थित सुपरटेक के ट्विन टावर(एपेक्स Apes और सियान Cyon) को रविवार 28 अगस्त को ध्वस्त कर दिया गया। टावर को गिराए जाने के समय के दौरान दोपहर 2:15 बजे से 2:45 बजे तक नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे(Noida-Greater Noida Expressway) को भी पूरी तरह से बंद रखा गया था। टावरों में विस्फोट करने के दौरान आसपास 800 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे।

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    टावर को गिराए जाने से पहले हर कोई ये जानने को उत्सुक है कि आखिर किस तकनीक से इस टावर को गिराया जाएगा? ऐसी कौन सी तकनीक है जिसके इस्तेमाल से इसको सावधानीपूर्वक गिरा दिया जाएगा और आसपास के लोगों को कम से कम नुकसान होगा।

    हर किसी के इस सवाल का जवाब एडिफिस कंपनी के अधिकारियों के पास था, उन्होंने इसका पूरा जवाब दिया। एडिफिस इंजीनियरिंग(EDIFICE Engineering) के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली की कुतुबमीनार से भी ऊंचे इन दोनों टावरों को गिराने के लिए वाटरफाल इम्प्लोजन (waterfall implosion) तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इस तकनीक का इस्तेमाल करके इन दोनों टावरों को सुरक्षित गिरा दिया जाएगा। इससे कम से कम नुकसान होगा।

    मालूम हो कि सुपरटेक (Supertech)के ये दोनों टावर एपेक्स (32 मंजिला) और सियान (29 मंजिला) 15 सेकंड से भी कम समय में ताश के पत्तों की तरह गिरा दिए जाएंगे। कंपनी के उत्कर्ष मेहता ने बताया कि वे काफी आश्वस्त है कि दोनों टावर इस तरह से गिरा दिए जाएंगे कि आसपास के लोगों को किसी तरह से कोई समस्या न हो।

    यह भी पढ़ें- Supertech Twin Tower: मौसम विज्ञानी ने बताया टावर गिराए जाने के दौरान किस दिशा में चलती रहेंगी हवाएं, दिल्ली पर क्या होगा असर?

    उन्होंने कहा कि टावर को गिराने की अन्य कई तकनीकें हैं मगर उनमें काफी समय लग सकता था इस वजह से विस्फोट के जरिए इसे गिराने का ही प्लान फाइनल किया गया। जिसमें इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। कंपनी के अधिकारी ने बताया कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दिया था कि इस टावर को गिराने का काम कम से कम समय में पूरा किया जाना चाहिए और पड़ोसी निवासियों को कोई परेशानी न हो, इसलिए इस टावर को गिराने के लिए ये तकनीक अधिक बेहतर पाई गई।

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