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    Delhi: खुले में शौच की लड़ाई से लेकर, देशभर में सुलभ शौचालय बनाने तक, जानें डॉ. बिंदेश्वर पाठक की कहानी

    By Shyamji TiwariEdited By: Shyamji Tiwari
    Updated: Tue, 15 Aug 2023 11:10 PM (IST)

    Bindeshwar Pathak- सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना से दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले डॉ. बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने खुले में शौच करने के खिलाफ लड़ाई लड़ी। वर्ष 1991 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। डॉक्टर पाठक द्वारा स्थापित शौचालय संग्रहालय को टाइम पत्रिका ने दुनिया के 10 सर्वाधिक अनूठे संग्रहालय में स्थान दिया था।

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    सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक की कहानी

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना से दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले डॉ. बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली एम्स में करीब 1 बजकर 42 मिनट पर अंतिम सांस ली है। बुधवार को लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में डॉ. पाठक का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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    स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में हुए शामिल

    डॉ. बिदेश्वर पाठक सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक थे। यह एक सामाजिक संगठन है जो शिक्षा के माध्यम से मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन और सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। उन्होंने खुले में शौच करने के खिलाफ लड़ाई लड़ी। मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बिंदेश्वर पाठक सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर अपने आवास महावीर एंक्लेव स्थित सुलभ ग्राम पहुंचे।

    अचानक बिगड़ी तबीयत

    यहां करीब 11 बजे ध्वजारोहण हुआ। करीब पांच मिनट इन्होंने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया। इसके कुछ देर बाद इन्हें सांस लेने में थोड़ी दिक्कत महसूस हुई। करीब 12 बजकर 50 मिनट पर इनकी बेचैनी काफी बढ़ गई। इन्होंने स्वयं एम्स के चिकित्सक बात की। इसके बाद ये पूरे होश में एम्स निकले। डॉक्टरों ने उन्हें सीपीआर देकर धड़कन ठीक करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

    डॉ. बिंदेश्वर पाठक से जुड़ी बड़ी बातें-

    • इनका जन्म का बिहार के वैशाली जिला स्थित रामपुर बघेल गांव में हुआ था। 
    • उन्होंने पटना के बीएन कॉलेज से समाज शास्त्र से ग्रेजुएशन किया।
    • सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. पाठक महात्मा गांधी से प्रेरित थे। पिछले 50 वर्षों में उन्होंने हाथ से मैला ढोने वालों के मानवाधिकारों के लिए काम किया।
    • पूरे भारत में बिंदेश्वर पाठक के सुलभ इंटरनेशनल के करीब 45 हजार वालंटियर्स हैं।
    • डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने वर्ष 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी।
    • वर्ष 1991 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
    • डॉक्टर पाठक द्वारा स्थापित शौचालय संग्रहालय को टाइम पत्रिका ने दुनिया के 10 सर्वाधिक अनूठे संग्रहालय में स्थान दिया था।
    • देशभर में सुलभ इंटरनेशनल के करीब 8500 शौचालय और स्नानघर हैं।
    • सुलभ इंटरनेशनल के शौचालय के प्रयोग के लिए 5 रुपये और स्नान के लिए 10 रुपये लिए जाते हैं, जबकि कई जगहों पर इन्हें सामुदायिक प्रयोग के लिए मुफ़्त भी रखा गया है