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    ऑपरेशन सिंदूर पर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, यह संघर्ष विराम नहीं बल्कि लंका दहन की तरह है अल्पविराम

    राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने ब्रह्मोस मिसाइल का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान से रेडिएशन आने की आशंका पर संघर्ष विराम को राजी हुए। उन्होंने वामपंथ को दीमक बताते हुए कहा कि इसने तीन पीढ़ियों को खोखला कर दिया। त्रिवेदी ने पुस्तक वामपंथी दीमक के विमोचन पर यह कहा।

    By Nimish Hemant Edited By: Kushagra Mishra Updated: Sat, 17 May 2025 11:15 PM (IST)
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    त्रिवेदी ने कहा, वामपंथ दीमक ही नहीं बल्कि ड्रग्स की तरह है।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा कि यह संघर्ष विराम नहीं, बल्कि लंका दहन की तरह अल्पविराम है।

    जिस तरह राम-रावण युद्ध से पहले दूत के रूप में हनुमान जी लंका पहुंचे थे और दहन किया था। उसी तरह ब्रह्मोस ने छोटा मगर मजबूत जवाब दिया है।

    पाकिस्तान से रेडिएशन आने की आशंका पर संघर्ष विराम को हुए राजी

    ब्रह्मोस मिसाइल से पाकिस्तान के सरगोधा स्थित न्यूक्लियर भंडार को आंशिक क्षति की आशंका को एक बार फिर हवा देते हुए उन्होंने अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस संबंध में कुछ कहने से इंकार किया।

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    भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि भारत की सीमा से सरगोधा मात्र 170 किमी दूर है। अगर वहां रेडिएशन फैलता है तो उसके भारत में भी आने की आशंका है, इसलिए हम अल्पविराम को राजी हुए। पूरे मामले में हमने धैर्य व शौर्य का परिचय दिया है।

    त्रिवेदी ने कहा, वामपंथ दीमक ही नहीं बल्कि ड्रग्स की तरह है

    वह महाराष्ट्र सदन में दुनिया को खोखला कर रही वामपंथी दीमक पुस्तक के विमोचन अवसर को संबोधित कर रहे थे। यह पुस्तक अभिजित जोग ने दो वर्ष के शोध के बाद लिखी है।

    सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि वामपंथ केवल दीमक ही नहीं बल्कि ड्रग्स की तरह है। जिसने तीन-तीन पीढ़ियों को  एडिक्ट कर दिया है। वह उसी दुनियां में खोया हुआ है।

    वामपंथ ऐसा छलावरण है, जो 70 के दशक से सिस्टम के अंदर पैठ बना ली है। जो समाज में पहले आत्महीनता भरता है। फिर विरोध व विद्रोह। लेकिन इनका यह तिलिस्म टूट रहा है और सच सामने आ रहा है। 

    लोकतंत्र की बात करता है और तानाशाही का इतिहास लिखता है

    सुरुचि प्रकाशन के अध्यक्ष राजीव तुली ने कहा कि वामपंथी कहते हैं कि सत्ता किसी की भी हो, सिस्टम इनका होता है। अभी भी सत्ता में भले ही ये नहीं हैं, लेकिन सिस्टम में बरकरार हैं।

    पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि यह जिस देश में भी गए उसे दीमक की तरह चाट गए। यह ऐसी विचारधारा है जो लोकतंत्र की बात करता है लेकिन उसे ही दमनपूर्वक कुचलकर, तानाशाही और हत्याओें का महिमामंडित इतिहास लिखता है। 

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