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    राजनीतिक दल से न्यायपालिका की जवाबदेही के सूत्रधार बने सुभाष चंद्र अग्रवाल, RTI को बनाया सशक्त हथियार

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 07:36 PM (IST)

    आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने सूचना के अधिकार का उपयोग करके राजनीतिक दलों न्यायपालिका और प्रशासन को जवाबदेह बनाया है। उन्होंने टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले का पर्दाफाश किया और सुप्रीम कोर्ट को सीजेआई कार्यालय को आरटीआई के दायरे में लाने के लिए मजबूर किया। उनकी आरटीआई से कामनवेल्थ गेम्स में हुए घोटाले और अन्य अनियमितताओं का खुलासा हुआ। उन्होंने छह हजार से अधिक आरटीआई दाखिल की हैं।

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    सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल।

    विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वह एक ऐसा नाम हैं, जिसने सूचना का अधिकार को राजनीतिक दल से लेकर न्यायपालिका को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए सूत्रधार का काम किया। 

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    लंबे समय से वह आरटीआई को एक सशक्त हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं और व्यापक स्तर पर उन्होंने इसके प्रयोग से न्याय व शासन तंत्र के साथ प्रशासन को भी सजग करने का काम किया है। राजनीतिक दलों से लेकर न्यायपालिका को आरटीआई के दायरे में लाने से लेकर केंद्र में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार को हिला देने वाले टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले को उजागर करने का श्रेय सुभाष अग्रवाल को ही जाता है।

    चांदनी चौक निवासी सुभाष चंद्र अग्रवाल बताते हैं कि वह संपत्ति के विवाद से जुड़े मामले में न्यायिक प्रणाली से 16 साल तक प्रताड़ित रहे। उनके चाचा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उनके पिता के खिलाफ वर्ष 1991 झूठा मुकदमा दर्ज कराया था, क्योंकि उनके दमाद उस समय हाई कोर्ट के जज थे। मामले से जुड़े सुबूत बदलवाए गए। 

    पिता की मौत के बाद वर्ष 2004 में सुभाष अग्रवाल ने कानूनी लड़ाई लड़ना शुरू किया और 2007 में सुभाष चंद्र अग्रवाल ने आरटीआइ दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से जजों की संपत्ति के बारे में जानकारी मांगी थी। हालांकि, उक्त जानकारी देने से इन्कार कर दिया गया था। 10 जनवरी 2010 को दिल्ली हाई कोर्ट ने एक निर्णय में कहा था कि सीजेआइ का दफ्तर आरटीआई के दायरे में आता है। 

    सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने हाई कोर्ट के जनवरी 2010 के फैसले को चुनौती दी थी। नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए माना था कि सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) का दफ्तर भी सूचना अधिकार कानून के दायरे में आएगा। सीजेआइ दफ्तर को सार्वजनिक कार्यालय बताते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था।

    इसके अलावा राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने से लेकर सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने का भी श्रेय सुभाष अग्रवाल को ही जाता है। सुभाष अग्रवाल द्वारा लगाई गई आरटीआइ से ही तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार के समय हुए कामनवेल्थ गेम्स में हुए घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। इसके अलावा रेल कोच में बदलाव, सिक्कों का आकार बदलने जैसे कई निर्णय इनके द्वारा दायर आरटीआइ से उजागर हुई थी।

    इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल के विदेश दौरे से प्राप्त उपहार से लेकर केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) की नियुक्ति में गड़बड़ी और संसद में सांसदों को सस्ता खाना के मामले की सच्चाई सुभाष अग्रवाल की आरटीआइ से मिली जानकारी के बाद ही जनता के सामने आ सकी थीं। सुभाष अग्रवाल छह हजार से अधिक आरटीआइ लगा चुके हैं। इसमें 600 आवेदन न सिर्फ केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) तक पहुंचे, बल्कि जनहित में अहम निर्णय भी पारित हुए।

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