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    'साजिश क्या थी, बस ये बताएं'; दिल्ली दंगे के आरोपी उमर खालिद और शरजील इमाम मामले में HC ने पुलिस से पूछा

    Delhi Crime दिल्ली पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़ी जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि उमर खालिद शरजील इमाम और अन्य के भाषणों ने एक विशेष समुदाय में भय पैदा किया। पुलिस ने कहा कि आरोपितों के भाषणों में सीएए-एनआरसी बाबरी मस्जिद तीन तलाक और कश्मीर जैसे मुद्दों पर एक समान पैटर्न दिखाई देता है। अदालत ने दिल्ली पुलिस से पूछा से कई सवाल किए हैं।

    By Vineet Tripathi Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Fri, 10 Jan 2025 02:28 PM (IST)
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    Delhi News: दिल्ली दंगों के आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई, पुलिस ने जताया विरोध

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा से जुड़ी विभिन्न जमानत याचिकाओं का पुरजोर विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) में तर्क दिया कि उमर खालिद (Umar Khalid), शरजील इमाम और अन्य के भाषणों ने एक विशेष समुदाय में भय भावना पैदा की।

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    विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कहा कि आरोपितों के भाषण सीएए-एनआरसी, बाबरी मस्जिद, तीन तलाक और कश्मीर के एक समान पैटर्न दिखाते हैं।

    न्यायमूर्ति नवीन चावला और शालिंदर कौर की पीठ के समक्ष एसपीपी ने कहा कि भाषणों के अलावा उमर खालिद ने अमरावती में एक आपत्तिजनक भाषण दिया, जिसे प्रासंगिक समय पर प्रसारित कर दिया गया था।

    दंगा में साजिश क्या है और साजिशकर्ताओं ने कैसे काम किया-कोर्ट

    उन्होंने उमर खालिद पर राजधानी में हिंसा होने के समय जानबूझकर दिल्ली से बाहर यात्रा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि खालिद ऐसा साजिश के तहत किया, ताकि जिम्मेदारी से बच सकें।

    वहीं, दूसरी तरफ एसपीपी के तर्कों पर अदालत ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि वह अदालत को सिर्फ यह बताएं कि जांच एजेंसी के अनुसार दंगा में साजिश क्या है और साजिशकर्ताओं ने कैसे काम किया।

    दिल्ली पुलिस को अपनी दलीलें छोटी रखने का सुझाव देते हुए पीठ ने कहा कि अदालत ट्रायल पर सुनवाई नहीं कर रही है, ऐसे में अदालत सिर्फ जांच एजेंसी के पास मौजूद सुबूतों पर नजर डालना चाहती है।

    अदालत ने कहा कि जमानत आवेदन और अंतिम मुकदमे के बीच अंतर को ध्यान में रखते हुए जांच एजेंसी को सुबूतों पर एक संक्षिप्त चार्ट तैयार किया जाना चाहिए।

    दंगों से संबंधित 751 एफआईआर दर्ज

    पीठ ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) से स्पष्ट तौर पर पूछा कि आपके पास आरोपितों के खिलाफ क्या सुबूत हैं। वहीं, एक आरोपित की तरफ से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा कि मामले में सुबूतों का अंतर्संबंध इतना कमजोर है कि किसी भी बात का जवाब देना भी मुश्किल है।

    जवाब में अमित प्रसाद ने कहा कि साजिश बड़ी है, इसमें वक्त लगेगा। रेबेका जॉन ने कहा कि आरोपित करीब पांच साल से हिरासत में हैं। एसपीपी प्रसाद ने कहा कि निर्दोष दर्शक के बजाय आराेपितों ने प्रदर्शन का आयोजन किया था और वाट्सएप समूहों के माध्यम से हिंसा पैदा करने की योजना बनाई थी।

    इसके परिणाम स्वरूप दंगों से संबंधित 751 एफआईआर दर्ज की गईं। एसपीपी ने आरोप लगाया कि विभिन्न आरोपित व्यक्तियों के बीच मानसिक मेल दिखाने के लिए बैठकें होती थीं। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने दिल्ली पुलिस को अपने तर्कों पर एक संक्षिप्त नोट तैयार करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 21 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।

    अदालत जेएनयू पूर्व छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम (Sharjeel Imam) समेत अन्य द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है। वहीं, ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोपित इशरत जहां को दी गई जमानत के विरुद्ध दिल्ली पुलिस ने अपील याचिका दायर की है।

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