सिंघानिया यूनिवर्सिटी को राहत: 55% से कम अंक वालों के प्रवेश पर विवाद, कोर्ट ने कहा- UGC का प्रतिबंध गलत
दिल्ली हाई कोर्ट ने सिंघानिया विश्वविद्यालय को पीएचडी पाठ्यक्रम पर बड़ी राहत दी है। यूजीसी के नियमों के उल्लंघन के मामले में कोर्ट ने विश्वविद्यालय पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। कोर्ट ने कहा कि यूजीसी का आदेश यूजीसी अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। विश्वविद्यालय ने यूजीसी के नोटिस को चुनौती दी थी जिसमें पीएचडी पाठ्यक्रम पर रोक लगाने का आदेश दिया गया था।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। पीएचडी पाठ्यक्रम की डिग्री प्रदान करने में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के उल्लंघन के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने राजस्थान के झुनझुनु स्थित सिंघानिया विश्वविद्यालय को बड़ी राहत दी है। न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने माना कि पांच साल के लिए पाठ्यक्रम पर प्रतिबंध लगाने संबंधी 16 जनवरी 2025 के यूजीसी का आदेश न तो यूजीसी अधिनियम के प्रविधानों से जुड़ा है और न ही आदेश में उल्लेख किए गए विनियमों से ही संबंधित है।
उचित नहीं ठहराया जा सकता
यूजीसी अधिनियम में स्पष्ट प्रविधानों के अभाव में की गई कार्रवाई को उचित नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे में 16 जनवरी 2025 का आदेश अमान्य है और रद किए जाने योग्य है। सिंघानिया विश्वविद्यालय का एक केंद्र गाजियाबाद के नेहरू नगर में है। सिंघानिया विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम प्रतिबंधित करने व नामांकन प्रक्रिया तुरंत बंद करने से जुड़े यूजीसी के 16 जनवरी 2025 के नाेटिस को चुनौती दी थी।
हर तरह की जानकारी देने को कहा
याचिका के अनुसार, 2003 के विनियमों के तहत यूजीसी ने दिनांक 16 सितंबर 2008 को विश्वविद्यालय को एक नोटिस भेजकर इसके आफ-कैंपस की स्थापना व राजस्थान के भीतर और बाहर शुरू किए गए सभी केंद्रों को बंद करने से लेकर अन्य जानकारी देने को कहा गया। विश्वविद्यालय के जवाब पर यूजीसी ने 24 अप्रैल 2009 को विश्वविद्यालय को फ्रेंचाइजी के माध्यम से कोई भी ऑफ-कैंपस केंद्र और संबद्ध कालेज और अध्ययन केंद्र स्थापित न करने का निर्देश दिया।
नामांकन पर प्रतिबंध लगा दिया
इसके बाद 2024 में यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालय को नोटिस भेजकर कहा कि यूजीसी को एम-फिल व पीएचडी डिग्री प्रदान करने में यूजीसी के नियमों के उल्लंघन किया शिकायत मिल रही है। ऐसे में इसकी जांच के लिए एक स्थायी समिति गठित की गई। कमेटी ने पाया कि सिंघानिया विश्वविद्यालय यूजीसी के दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं कर रहा है। उक्त तथ्यों को देखते हुए यूजीसी ने पांच साल के लिए पीएचडी पाठ्यक्रम में नामांकन पर प्रतिबंध लगा दिया।
55 परसेंट से कम वालों को दाखिला
विश्वविद्यालय ने उक्त नोटिस को चुनाैती देते हुए तर्क दिया कि विवादित आदेश पारित करने से पहले विश्वविद्यालय को कोई व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।
वहीं, यूजीसी ने कहा कि याचिकाकर्ता-विश्वविद्यालय को एमफिल/पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए पाया गया है, क्योंकि इसने स्नातकोत्तर में 55 प्रतिशत से कम अंक वाले उम्मीदवारों को पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश दिया था।
यूजीसी ने तर्क दिया कि प्रवेश के मानदंडों का शिक्षा के मानकों पर सीधा प्रभाव पड़ता है और निर्धारित मानदंडों में किसी भी तरह की कमी का उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के मानकों पर प्रतिकूल प्रभाव असर डालती है।
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